इच्छा शक्ति विहीन हो चुके है जौनपुर के नेता , दादा जैसे नेता की तलास
https://www.shirazehind.com/2014/06/blog-post_6573.html
जौनपुर : प्रदेश में सत्तासीन सपा तो केंद्र में पदारूढ़ भाजपा का भरपूर साथ देने के बावजूद इस जिले के लोग कम से कम बिजली आपूर्ति के मद्देनजर हाशिए पर धकेल दिए गए है।
बजबजाती जानलेवा गर्मी में दिन-दिन, रात-रात भर बिजली के गायब रहने से बिलबिला रहे यहां के लोगों को भी शायद अब एक अदद 'दादा' की तलाश है। हम बात कर रहे है वाराणसी के शहर दक्षिणी के धुरंधर भाजपा विधायक श्यामदेव राय चौधरी 'दादा' की। जो जनता की खातिर अपनी सरकार रही हो या गैर किसी दल की जान की बाजी लगाकर सार्थक आंदोलन करते हैं।
सार्थक इस लिए लिहाज से कहना जरुरी है कि नेकनीयती से किया गया उनका आंदोलन कभी खाली नहीं गया। कम से कम वाराणसी के लोग जब-जब बिजली किल्लत से जूझते है सहज ही उनकी निगाहें अपने 'दादा' पर जा टिकती है। धुन के पक्के 'दादा' भी सरकार कोई भी हो घुटने टेकने को मजबूर करके ही दम लेते हैं। उनकी संघर्षो का प्रतिफल है कि बिजली कटौती से मुक्त वाराणसी। बिजली किल्लत से कराह रहे यहां के लोगों की निगाहें एक अदद 'दादा' को यहां भी तलाश रही है। फिलहाल यह अधूरी तलाश कब पूरी होगी कहना मुश्किल है। यहां के जनप्रतिनिधि एक बयान बहादुर नेता की तरह मीडिया में प्रेस विज्ञप्ति भेजकर अपने कर्तव्र्यो की इतिश्री मान लेते हैं। सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि शायद किसी दुर्व्यवस्था के विरोध में आवाज उठाना गलत समझ बैठे है। काश! यहां भी कोई 'दादा' होता तो प्रदेश के बड़े जनपद जौनपुर का नाम भी वाराणसी, आजमगढ़, कन्नौज, रायबरेली, अमेठी जैसे चुनिंदा जिलों की कतार में शामिल हो जाता। बिजली की घोर किल्लत से पेयजल के अभाव, अनिद्रा की स्थिति से दो चार इस जिले के लोगों का भरोसा यहां के बयान बहादुर नेताओं से शायद उठ चुका है।
सार्थक इस लिए लिहाज से कहना जरुरी है कि नेकनीयती से किया गया उनका आंदोलन कभी खाली नहीं गया। कम से कम वाराणसी के लोग जब-जब बिजली किल्लत से जूझते है सहज ही उनकी निगाहें अपने 'दादा' पर जा टिकती है। धुन के पक्के 'दादा' भी सरकार कोई भी हो घुटने टेकने को मजबूर करके ही दम लेते हैं। उनकी संघर्षो का प्रतिफल है कि बिजली कटौती से मुक्त वाराणसी। बिजली किल्लत से कराह रहे यहां के लोगों की निगाहें एक अदद 'दादा' को यहां भी तलाश रही है। फिलहाल यह अधूरी तलाश कब पूरी होगी कहना मुश्किल है। यहां के जनप्रतिनिधि एक बयान बहादुर नेता की तरह मीडिया में प्रेस विज्ञप्ति भेजकर अपने कर्तव्र्यो की इतिश्री मान लेते हैं। सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि शायद किसी दुर्व्यवस्था के विरोध में आवाज उठाना गलत समझ बैठे है। काश! यहां भी कोई 'दादा' होता तो प्रदेश के बड़े जनपद जौनपुर का नाम भी वाराणसी, आजमगढ़, कन्नौज, रायबरेली, अमेठी जैसे चुनिंदा जिलों की कतार में शामिल हो जाता। बिजली की घोर किल्लत से पेयजल के अभाव, अनिद्रा की स्थिति से दो चार इस जिले के लोगों का भरोसा यहां के बयान बहादुर नेताओं से शायद उठ चुका है।