कैश है तो ऐश
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जौनपुर : बंदियों की पेशी का एक सीधा साधा नियम है। उन्हें ले जाने वाला एक वाहन होता है। जिसमें सामूहिक रूप से बंदी ले जाए जाते हैं। यदि कोई विशेष परिस्थिति है तो सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस का विशेष वाहन प्रयोग में लाया जाता है। किंतु ऐसा भी होता है कि बंदी अपने प्रभाव या धन का इस्तेमाल कर स्पेशल सुविधा लेते हैं। इसके लिए कोई न कोई रास्ता जेल प्रशासन ही निकालता है। कारण तो बीमारी या अन्य बंदियों से खतरा बताया जाता है किंतु यह सब कागजी होता है। इसमें पुलिस की भी रुचि होती है। उन्हें भी मैनेज करना होता है। यदि वे तैयार हैं तो आगे का रास्ता क्लियर अन्यथा जेल के गेट पर किचकिच। यह व्यवस्था बंदियों के लिए फायदेमंद इसलिए है कि उन्हें दो घंटे कचहरी के लाकअप में नहीं रहना होगा। भीड़ भरे वाहन से बचेंगे और सबसे बड़ी बात उनके सम्मान में इजाफा हो जाएगा। पूछे जाने पर जेल प्रशासन के अधिकारी इसका तकनीकी कारण बताते हैं।