पार्को की लंबी फेहरिस्त, घर में खेलते हैं बच्चे!
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जौनपुर : जनपद में पार्को की लंबी फेहरिस्त है फिर भी घर में ही मन बहलाना बच्चों की मजबूरी है। वजह हरियाली और सुंदरता के प्रतीक इन पार्को में वीरानगी छा गई है। उपेक्षा के चलते खेल के उपकरण जंग खाकर खराब हो गए हैं।
जिले के सबसे प्रमुख पार्क की बात करें तो भूपतिपट्टी में स्थित वन विहार कभी अपनी सुंदरता की अलौकिक छटा बिखेरता था। 1983 में स्थापित इस पार्क में विभिन्न नस्लों के पक्षी, खरगोश, पिग पिंजरों में बंद रहते थे। जिन्हें देखने के लिए शहर व सुदूर गांवों से लोग आते थे। स्थिति यह थी कि पार्क में दुकानें लगती थीं, पर अब स्थिति ऐसी है कि यहां सब कुछ उजड़ा चमन जैसा लगता है।
यही दशा सीर वन पार्क की है। मड़ियाहूं कस्बे से तीन किमी. दूर बसुही नदी के किनारे स्थित इस पार्क के अवशेष बचे हैं। वे अवशेष और बोर्ड ही सिर्फ गवाही देते हैं कि यह भी बसने से पहले उजड़ गया। सिंगरामऊ के पहितियापुर में स्थित राज नरायन सिंह बहरा पार्क की स्थिति भी ऐसी ही है। हालांकि नाले पर स्थापित इस पार्क की भौगोलिक स्थिति ही कुछ अलग है। लेकिन शासन की उपेक्षा बिल्कुल साफ झलकती है।
विभागीय सूत्रों ने बताया कि पहले शासन की इन पर नजर रहती थी, किंतु 1997 के बाद से इन पार्को को मिलने वाले बजट का पिटारा बंद हो गया। यही स्थिति अन्य पार्को की है। छोटे-मोटे पार्क खुटहन, महराजगंज, जलालपुर, धर्मापुर आदि क्षेत्र में भी उपेक्षा की मूक गवाही दे रहे हैं।
वही मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए सपा शासनकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2006 में नगर के पास पचहटिया इलाके में एक विशाल पार्क का शिलान्यास किया था। काम शुरू हुआ लेकिन ग्रामीणों ने निर्माण स्थल को ग्राम समाज की जमीन बताने के साथ इसका पुरजोर विरोध किया। इस पर बात नहीं बनी और पार्क की चहारदीवारी का काम शुरू हो गया। आखिरकार ग्रामीणों ने न्यायालय की शरण ली और न्यायालय के आदेश से पार्क का काम बंद कर दिया गया। लोगों का शहर के समीप विशाल पार्क का सपना फिलहाल सपना ही रह गया।
जन सुविधाओं की बात की जाए तो जनपद की आबादी कई गुना बढ़ गई है लेकिन लोगों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। नगर क्षेत्र में यात्री प्रतीक्षालय, शौचालय, पेयजल, पार्किग आदि की व्यवस्था नहीं है।