अब अधिवक्ताओं को हड़ताल का सहारा लेना पड़ रहाः गौतम

 जौनपुर। परम्परा एवं जनकल्याण को नियामक के रूप में विधि व्यवस्था के माध्यम से संचालित किया जाता है परन्तु कभी- कभी न्याय सम्बन्धी निर्णय लेने में होने वाले अस्पष्ट और वादकारी हितों के विपरीत दिखने के नाते अधिवक्ताओं को सामान्य नागरिक के रूप में आचरण करते हुये हड़ताल, धरना-प्रदर्शन का सहारा लेना पड़ता है। उक्त बातें मडि़याहूं तहसील परिसर में अधिवक्ताओं की हुई बैठक में स्थानीय बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र प्रताप सिंह गौतम ने कही। उन्होंने कहा कि यह स्थिति बेहद खराब है कि परम्परा के अनुसार ग्रीष्म ऋतु में प्रातःकालीन न्याय की व्यवस्था के बजाय भयंकर गर्मी के दौरान प्रातः 10 बजे से न्यायालय चलाने के निर्णय ले लिये गये। वास्तव में यह बार और बेंच की प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं है, वरन् वादकारी जनता की सुविधाओं के लिये ही प्रातःकालीन न्यायालय संचालन प्रक्रिया वर्षों की पुरानी परम्परा के अनुरूप होती रही है। आज इसे बदलकर 10 बजे से किये जाने के निर्णय का अपना अलग औचित्य हो सकता है लेकिन प्रातःकालीन न्यायालय के संचालन से होने वाली सुविधा से वादकारियों एवं अधिवक्ताओं को विरत करने का औचित्य नहीं बनता है। इस अवसर पर मंगला राय सिंह यादव, रमेश चन्द्र मिश्र, राकेश श्रीवास्तव, मुर्तजा हुसैन, श्याम बहादुर सरोज, अनिल पटेल, दिनेश चन्द्र मिश्र, जयनिन्द्र यादव, मुरलीधर वर्मा, ब्रह्मदेव मिश्र, रमाकांत पाण्डेय, हरिशंकर यादव लाल साहब आदि उपस्थित रहे।

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