पत्रकारिता की शुरुआत ही बगावत से हुई है : गोविन्दपंत राजू

इंटरनेट युग में पत्रकारों के सामने बड़ी चुनौती: कुलपति


जौनपुर। आज के युग में पत्रकारिता के सामने कई चुनौतियां हैं। आजादी के पहले पत्रकारों के सामने एक चुनौती वह थी भारत को आजादी दिलाने की आज एक नहीं दर्जनों चुनौतियां खड़ी है। गरीबी महंगाई भ्रष्टाचार माफिया सफेदपोष माफिया समेत तमाम चुनौती पत्रकारिता को प्रभावित करने में जुटी है। इसके बाद भी पत्रकार अपने मिषन को कामयाब कर रहे। उक्त बातें दैनिक जागरण लखनऊ के एसोसियेट एडिटर आशुतोष शुक्ला ने जौनपुर पत्रकार संघ द्वारा आयोजित हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर आयोजित गोष्ठी वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिंदी पत्रकारिता विषय पर बतौर मुख्य अतिथि कही।
उन्होंने कहा कि हमारी लेखनी जनता के हित में मूलभूत समस्याओं पर होनी चाहिए उसके बाद आर्थिक समाचारों को तरजीह देना चाहिए तीसरे स्थान पर राजनीतिक खबरों रखना चाहिए। उन्होंने उपस्थित पत्रकारों को आगाह किया कि राजनीत और पत्रकारिता एक साथ कतई न करें और ना ही राजनीत में जाने का पत्रकारिता को माध्यम बनाये। उन्होंने पूरे परिवार के विखराव और एकल परिवार के बढ़ती परम्परा पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज हमारा समाज संस्कृति और परम्परायें बदलते जमाने में खोती जा रही है। इन सब को बचानेे का दायित्व भी पत्रकारों के कंधें पर ही आ गया है। अब हम सबको मिलकर अपने पुराने परम्पराओं तीज त्योहारों को बचाने और अगली पीढ़ी को बताने के लिए भी अपनी कलम चलानी होगी। उन्होंने साफ कहा कि समाज बचेगा तभी पत्रकार बचेगा। इसके लिए हमें बुरी खबरों को कम और अच्छी खबरों के लिए अधिक स्थान देना होगा। फिलहाल पत्रकार इन विषम परिस्थितियों में अपना काम कर रहा है।
विशिष्ठ अतिथि श्री न्यूज चैनल के यूपी हेड गोविंद पंत राजू ने कहा कि भारत में पत्रकारिता का उदय ही बगावत से हुआ है। त्रेतायुग में नारदजी पत्रकार की भूमिका निभाते थे उन्हें बागी माना जाता था। 16वीं शताब्दी में एक अंग्रेज ने अंग्रेजी हुकुमत हो रहे अत्याचार के खिलाफ अखबार का प्रकाशन शुरू किया तो उसे तत्कालीन शासन ने अखबार ही बंद नहीं कराया बल्कि उसे देश निकाल दिया था। उसके बाद भारत को आजाद करने के लिए जितने भी पहली लाइन के नेता हुए सभी पत्रकार बने। आज भी पत्रकारों की कलम से सरकारी बदलती और गिरती हैै। अखबारों में छपी खबरों के अधार पर अदालते खुद नोटिस लेकर उस पर मुकदमें चला रही है। पत्रकार निष्पक्ष और गुणवत्ता से अपनी खबरों को प्रकाशित करें तो उसका सार्थक परिणाम जरूर निकलता है। यही मेेरी असली कमाई होती है। श्री राजू ने कहा कि हिन्दी को आगे बढ़ाने में जौनपुर का विशेष योगदान रहा हैं। उन्होने एक किताब का हवाला देते हुए कहा कि सन् 1641 में यहां के निवासी बनारसी दास ने अर्द्ध कथानक नामक एक पुस्तक लिखा था। जिसमें जौनपुर का इतिहास संस्कृति और परम्परायें हिन्दी में लिखी था हालांकि यह पुस्तक कई वर्षों तक दबी रही लेकिन अमेरिका में एक रिसर्च होने के बाद उसे अंग्रेजी मे प्रकाशित किया गया उसके बाद हिन्दी में पुनः रूपातंरित किया गया।
श्री राजू ने टीवी न्यूज चैनलों के आकड़ें का हवाला देते हुए कहा कि आज करीब 30 करोड़ लोग चैनल देख रहे है। जिसमें से 22 करोड़ लोग हिन्दी न्यूज देखते है। इससे साफ जाहिर है कि हिंदी आगे बढ़ रहा है। उन्होने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि पहले विज्ञापन मीडिया हाउस के खर्च को पूरा करने के लिए छापा जाता था लेकिन आज अखबार मालिकों के घर भरने के लिए छापा जा रहा है। उन्होने हिन्दी अखबारों में अंग्रेजी शब्दों के प्रयोग की वकालत करते हुए कहा कि इससे हिन्दी को कोई खतरा नहीं है हिन्दी में अंग्रेजी का मिश्रण समय की मांग हैं। इससे हिंदी को बढ़ाने सहायक होगा।
 कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीयूष रंजन अग्रवाल ने कहा कि हिंदी भाषा हमेशा आगे बढ़ी है और वर्तमान समय में बढ़ रही है लेकिन मौजूदा समय में इंटरनेट युग में पत्रकारों के सामने चुनौतियां जरूर आयी है। पत्रकार भाग दौड़ करके तथ्य जुटाने के बाद खबरें प्रकाशित करता है। इसके बाद भी वह पीछे रह जाता हैै। अब पत्रकारों को पाठक और समुदाय को तलाश करके खबरें छापनी होगी। जिससे लोगो को जुड़ाव हो। पत्रकारों को अपनी सीमा के भीतर तक ही लेखनी चलानी चाहिए सीमा के बाहर जाने पर लाच्छन लगना शुरू हो जाता है। पत्रकारों को हमेशा समाज से जुड़ी अच्छी खबरें परोसते रहना चाहिए जिससे समाज का भला हो जन समस्याएं समाप्त हो तभी यह मिशन कामयाब होगा।
संघ द्वारा मुख्य अतिथि आशुतोष शुक्ला को वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र सिंह व पंकज चैबे, गोविंद पंत राजू को लोलारक दुबे व कपिल देव मौर्या और कुलपति को डा. मनोज वत्स व राजेश गुप्ता ने स्मृति चिन्ह अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया। वहीं मुम्बई की संस्था सरस फाउंडेशन ने वरिष्ठ पत्रकार सियाराम यादव व नासिर खां को उनके द्वारा किये गये कार्यों को देखते हुए अंगवस्त्रम् व स्मृति चिन्ह देकर स्व. तीर्थराज तिवारी पत्रकारिता पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ द्वीप प्रज्जवलित कर अतिथियों ने किया तथा स्वागत भाषण अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह ने किया।
भोजपुरी गायक रविंद्र सिंह ज्योति ने गीत गाकर अतिथियों का स्वागत किया। गोष्ठी को केराकत तहसील प्रभारी अब्दुल हक अंसारी, कुंवर यशवंत, अखिलेश तिवारी अकेला सहित अन्य पत्रकारों ने भी सम्बोधित किया। कार्यक्रम में शिक्षक संघ के अध्यक्ष संतोष सिंह, प्रदेश मंत्री रमेश सिंह, जिलाध्यक्ष राकेश सिंह, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष राकेश श्रीवास्तव, कलेक्ट्रेट कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिवमोहन श्रीवास्तव, दीवानी बार के महामंत्री जयप्रकाश कामरेड, वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन नाथ श्रीवास्तव, राकेशकांत पांडेय, राजेश श्रीवास्तव, जयआनन्द, मोहम्मद अब्बास, शशिराज सिन्हा, मनोज उपाध्याय, सुहैल असगर खान, हिम्मत बहादुर सिंह, मेराज अहमद, अजीत सिंह, जावेद अहमद, योगेश श्रीवास्तव, सतीश सिंह, आशीष श्रीवास्तव, अजीत बादल, संजय चैरसिया, विनोद विश्वकर्मा, राजन मिश्रा, विश्वप्रकाश श्रीवास्तव, राजकुमार सिंह, विद्याधर राय विद्यार्थी, यादवेंद्र दूबे, संजय कुमार श्रीवास्तव लंकेश, सै. अरशद अब्बास, अमित गुप्ता, अखिलेश श्रीवास्तव, दीपक शुक्ला, सहायक जिला सूचना अधिकारी केके तिवारी सहित अन्य लोग मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन डा. मधुकर तिवारी एवं आभार महामंत्री हसनैन कमर दीपू ने किया।
भवदीय हसनैन कमर दीपू

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