रेल टिकट को मची मारामारी
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जौनपुर: रेल प्रशासन डाल-डाल तो दलाल इन दिनों पात-पात की तर्ज पर काम
कर रहे हैं। इसलिए कि अब रेल यात्रा बिना पहचान पत्र के नहीं की जा सकती
है, तो इस फरमान का काट दलालों ने ढूंढ लिया है। अगर किसी और के नाम टिकट
है तो फोटो लगाकर उसी नाम की फर्जी आइडी बनवाकर टिकट बेच रहे हैं। इस तरह
जहां टिकट का दाम दोगुना लिया जा रहा है वहीं लोग आसानी से अपने गंतव्य तक
पहुंच जा रहे हैं।
मई-जून के महीने में अगर महानगर को जाना हो तो ट्रेन की भीड़ देखकर पसीना छूटना लाजिमी है। ऐसी दशा में टिकट के लिए भी चारो तरफ मारामारी मची है। तत्काल टिकट तो मिल ही नहीं पा रहा है क्योंकि काउंटर दलालों के चंगुल है तो नेट का टिकट 8 सौ से एक हजार महंगा पड़ रहा है। इतना जरूर है कि टिकट के दलालों ने एक नया तरीका ढूढ लिया है। दो माह पहले ही भिन्न-भिन्न नाम व उम्र के टिकट को बुक करके रख लिया है। अब ग्राहक पहुंचता है तो उससे नाम व उम्र पूछता है। इसके बाद दोगुने दाम पर टिकट बेच देता है। उम्र में दो चार साल का अंतर है तो कोई बात नहीं। अब बात आती है यात्रा के दौरान परिचय पत्र की तो दलाल जिस नाम का टिकट होता है उसी नाम की फर्जी वोटर आइडी या फिर अन्य कोई पहचान पत्र तत्काल बनवा देता है। जिससे यात्री अपने गंतव्य तक अधिक पैसा खर्च कर पहुंच जाता है। जिससे साफ है कि दलाल विभाग से भी तेज गति से चल रहे हैं।
मई-जून के महीने में अगर महानगर को जाना हो तो ट्रेन की भीड़ देखकर पसीना छूटना लाजिमी है। ऐसी दशा में टिकट के लिए भी चारो तरफ मारामारी मची है। तत्काल टिकट तो मिल ही नहीं पा रहा है क्योंकि काउंटर दलालों के चंगुल है तो नेट का टिकट 8 सौ से एक हजार महंगा पड़ रहा है। इतना जरूर है कि टिकट के दलालों ने एक नया तरीका ढूढ लिया है। दो माह पहले ही भिन्न-भिन्न नाम व उम्र के टिकट को बुक करके रख लिया है। अब ग्राहक पहुंचता है तो उससे नाम व उम्र पूछता है। इसके बाद दोगुने दाम पर टिकट बेच देता है। उम्र में दो चार साल का अंतर है तो कोई बात नहीं। अब बात आती है यात्रा के दौरान परिचय पत्र की तो दलाल जिस नाम का टिकट होता है उसी नाम की फर्जी वोटर आइडी या फिर अन्य कोई पहचान पत्र तत्काल बनवा देता है। जिससे यात्री अपने गंतव्य तक अधिक पैसा खर्च कर पहुंच जाता है। जिससे साफ है कि दलाल विभाग से भी तेज गति से चल रहे हैं।