पति के गले में वरमाला डालकर दुनियां से रुखसत हो गई मीनू
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डोली में विदा करने के मुहूर्त में अर्थी को कंधा देकर देनी पड़ी अंतिम विदाई
जौनपुर जिले के जफराबाद थाना क्षेत्र के महरुपुर गांव में एक ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ है जिसको सुनने बाद हर व्यक्ति के हाथ पैर कापने लग रहा है । जिस परिवार पर यह बज्रपात हुआ है उसकी क्या हालत होगी इसका अंदाजा लगा पाना काफी मुश्किल है । दरअसल इस गांव में अनिल शुक्ला की बेटी की बारात आई हुई थी द्वारचार के बाद जयमाल कर्यक्रम में दुल्हन ने दूल्हे को वरमाला डाला उसके बाद दूल्हे ने दुल्हन के गले मे वर माला डालते ही दुल्हन बेहोश होकर स्टेज पर गिर गई आननफानन में उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया जहाँ पर उपचार के दरम्यान मौत हो गई ।
जौनपुर जिले के जफराबाद थाना क्षेत्र के महरुपुर गांव निवासी अनिल शुक्ला की बेटी मीनू की बारात प्रतापगढ़ जिले के रमईपुर गांव से आई हुई थी । धूमधाम से द्वारचार लगा बाराती घराती खाने पीने में मशगूल थे । इसी बीच जयमाल स्टेज पर वर बधु को शहनाई की बीच लाया गया । दुल्हन मीनू ने दूल्हा आशीष कुमार दूबे के गले में वरमाला डाला उसके बाद आशीष ने अपने होने वाली पत्नी मीनू के गले में जयमाल डाला । मीनू के गले में वरमाला पड़ते ही वह बेहोश होकर गिर पड़ी । आनन फानन में उसे जिला अस्पताल ले जाया गया लेकिन तब तक मीनू दुनियां से रुखसत हो चुकी थी। मीनू की मौत होते ही शहनाई खामोश हो गई घर में चल रहे मंगलगीत की जगह चीख पुकार सुनाई देने लगी । जिस घडी में माता पिता भाई बहन अपनी लाड़ली को डोली में विदा करना था उस मुहूर्त में अर्थी को कंधा देकर अंतिम विदाई देनी पड़ी ।

जौनपुर जिले के जफराबाद थाना क्षेत्र के महरुपुर गांव निवासी अनिल शुक्ला की बेटी मीनू की बारात प्रतापगढ़ जिले के रमईपुर गांव से आई हुई थी । धूमधाम से द्वारचार लगा बाराती घराती खाने पीने में मशगूल थे । इसी बीच जयमाल स्टेज पर वर बधु को शहनाई की बीच लाया गया । दुल्हन मीनू ने दूल्हा आशीष कुमार दूबे के गले में वरमाला डाला उसके बाद आशीष ने अपने होने वाली पत्नी मीनू के गले में जयमाल डाला । मीनू के गले में वरमाला पड़ते ही वह बेहोश होकर गिर पड़ी । आनन फानन में उसे जिला अस्पताल ले जाया गया लेकिन तब तक मीनू दुनियां से रुखसत हो चुकी थी। मीनू की मौत होते ही शहनाई खामोश हो गई घर में चल रहे मंगलगीत की जगह चीख पुकार सुनाई देने लगी । जिस घडी में माता पिता भाई बहन अपनी लाड़ली को डोली में विदा करना था उस मुहूर्त में अर्थी को कंधा देकर अंतिम विदाई देनी पड़ी ।