जागरूकता की कमी से मलेरिया पर नियंत्रण पाना मुश्किलः डा. रजनीश श्रीवास्तव
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जौनपुर। मलेरिया से निबटने के लिये भारत ने बहुत पहले ही उपाय शुरू कर दिये थे। भारत सरकार ने वर्ष 1953 में राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (एनएमसीपी) चलाने के साथ ही डीडीटी का छिड़काव शुरू किया लेकिन तमाम कोशिशों व उपायों के बाद भी जनजागरूकता की कमी की वजह से मलेरिया पर नियंत्रण पाना बहुत मुश्किल साबित हुआ। आज विश्व की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या इस रोग से प्रभावित हो रही है। वहीं विश्व में इस बीमारी से मरने वाले बच्चों की संख्या भी काफी अधिक है। उक्त बातें गुरूवार को विश्व मलेरिया दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुये वरिष्ठ सर्जन डा. रजनीश श्रीवास्तव ने कही। इसके अलावा वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. स्मिता श्रीवास्तव सहित डा. मनमोहन सिंह, डा. मुकेश शुक्ला, डा. कमलेश जायसवाल, डा. अरशद, मेजर डा. एके मौर्या ने बताया कि मलेरिया बहुत तेजी से स्वस्थ मनुष्यों में फैलता है और इसकी वजह से जान का नुकसान भी होने का आसार रहता है। यदि मलेरिया के लक्षण दिखायी पड़े तो तत्काल रक्त की जांच कराकर उसका उपचार कराना चाहिये। इस असस पर डा. पवन चैरसिया, डा. मधुरिमा सिंह, डा. वीपी गुप्ता, डा. शशंक श्रीवास्तव, डा. अरविन्द प्रजापति, निर्मल श्रीवास्तव, विरेन्द्र प्रताप सिंह, रबिश सिंह, अंकित श्रीवास्तव, रितेश श्रीवास्तव सहित तमाम चिकित्सक, गणमान्य लोग उपस्थित रहे।