अब धनंजय सिंह के झण्डे का रंग नीले से हुआ पीला
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जौनपुर संसदीय सीट से सांसद धनंजय सिंह ने मंगलवार को अपना नामांकन पत्र निर्दल प्रत्यासी के रूप में दाखिल कर दिया है। धन्नजय इस बार अपने पोस्टर बैनर और झण्डे का रंग पीला कर दिया। माना जा रहा है कि धनंजय इस नीले झण्डे का जवाब पीले झण्डे से देंगे।
धनंजय सिंह अपराध जगत से राजनीत में प्रवेश लोक जनशक्ति पार्टी के आसमानी लाल और हरे कलर वाले तिरंगे झण्डे का इस्तेमाल किया था , यही झण्डा और कांग्रेस का पंजा मिलाकर 2004 लोक सभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव उन्हें कामयाबी तो नही मिली लेकिन जौनपुर के तत्कालीन भाजपा सांसद व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द की मटियामेट कर दिया था। 2009 लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह बसपा के हाथी पर सवार होकर नील झण्डे के नीचे चुनाव लड़ा था। इस बार रिकार्ड मतों से जीत हासिल किया। इसी नील झण्डे के सहारे अपने पिता राजदेव सिंह को रारी विधान सभा से विधायक बनवाने में कामयाब हुए। इस बार मायावती ने उन्हें टिकट नही दिया तो वे बागी तेवर अपनाते हुए निर्दल ही चुनाव लड़ने को तैयार हो गए है। धनंजय ने अपने बैनर पोस्टर और झण्डे का रंग हल्का पीला रखा है।
धनंजय सिंह अपराध जगत से राजनीत में प्रवेश लोक जनशक्ति पार्टी के आसमानी लाल और हरे कलर वाले तिरंगे झण्डे का इस्तेमाल किया था , यही झण्डा और कांग्रेस का पंजा मिलाकर 2004 लोक सभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव उन्हें कामयाबी तो नही मिली लेकिन जौनपुर के तत्कालीन भाजपा सांसद व केंद्रीय गृहराज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द की मटियामेट कर दिया था। 2009 लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह बसपा के हाथी पर सवार होकर नील झण्डे के नीचे चुनाव लड़ा था। इस बार रिकार्ड मतों से जीत हासिल किया। इसी नील झण्डे के सहारे अपने पिता राजदेव सिंह को रारी विधान सभा से विधायक बनवाने में कामयाब हुए। इस बार मायावती ने उन्हें टिकट नही दिया तो वे बागी तेवर अपनाते हुए निर्दल ही चुनाव लड़ने को तैयार हो गए है। धनंजय ने अपने बैनर पोस्टर और झण्डे का रंग हल्का पीला रखा है।