ऊंचे लोग, ओछी हरकत ?
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तहलका के पूर्व संपादक तरुण तेजपाल और
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके गांगुली कुछ वक्त पहले तक देश
की निगाह में हीरो से थे। अब दोनों की पहचान बदल
चुकी है। अपनी पत्रिका की रिपोर्टर के यौन उत्पीड़न के
केस में तरुण तेजपाल को गोवा पुलिस गिरफ्तार कर
चुकी है। पीड़िता ने आरोप लगाया है कि 7 और 8 नवंबर
को गोवा में तहलका पत्रिका के थिंक फेस्ट कार्यक्रम के
दौरान तरुण तेजपाल ने उसका यौन शोषण करने
की कोशिश की।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके गांगुली पर भी संगीन आरोप लगे हैं। जस्टिस गांगुली के साथ बतौर इंटर्न काम कर चुकी कानून की स्नातक ने एक ब्लॉग पर उन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। हालांकि पीड़िता ने साफ किया है कि उसका इरादा आरोपों का आगे बढ़ाना नहीं बल्कि यौन दुर्व्यावहार को लेकर जागरुकता फैलाना है, लेकिन आरोप सामने आने के बाद मामले की जांच और सजा की मांग उठ रही है। इन आरोपों से पूर्व जज एके गांगुली और तरुण तेजपाल का नाम अमेरिकी खेल प्रेजेंटर मर्व अल्बर्ट,
अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और सेक्स स्कैंडल की वजह से फ्रांस के राष्ट्रपति बनते-बनते रह गए डॉमिनिक स्ट्रॉस कान जैसी बदनाम हस्तियों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है। खोजी पत्रकारिता की दुनिया में मशहूर तेजपाल 6 दिन की पुलिस रिमांड में हैं। आरोपों का सच जानने में जुटी गोवा पुलिस ने रेप के नए कानूनों के मुताबिक उनका पोटेंसी टेस्ट भी कराया है। खबरों के मुताबिक कई घंटे चली पूछताछ में पुलिस ने उनसे उनके बयानों के विरोधाभास के बारे में भी पूछताछ की है। 18 नवंबर को तहलका पत्रिका की तत्कालीन मैनेजिंग एडीटर शोमा चौधरी से यौन शोषण की शिकायत करने के बाद पीड़िता जहां अपने बयान पर कायम है, वहीं तरुण तेजपाल बार-बार बयान बदल रहे हैं। शुरुआत में इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताने वाले तेजपाल मामले के तूल पकड़ने के बाद कभी इसे मजाक बता रहे हैं तो कभी साजिश। पीड़ित महिला पत्रकार ने 18 नवंबर को तहलका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी से यौन शोषण की शिकायत की। 7 और 8 नवंबर को गोवा में मैगजीन के थिंक फेस्ट कार्यक्रम के वक्त हुई घटना की जानकारी दी। 19 नवंबर को तरुण तेजपाल ने ई- मेल के जरिए एक माफीनामा भेजा। माफीनामे में तेजपाल ने गलत फैसले के लिए बिना शर्त माफी मांगी। ये भी माना कि उन्होंने 7 और 8 नवंबर को पीड़िता से उसकी मर्जी के खिलाफ अश्लील बात करने की कोशिश की। तरुण तेजपाल ने तहलका की तत्कालीन मैनेजिंग एडीटर शोमा चौधरी को भी ईमेल भेजकर पत्रिका की परंपरा का हवाला देकर प्रायश्चित के लिए छह महीने तक संपादक पद से हटने की पेशकश भी की। यहां तक मामले को एक संस्थान के भीतरी मुद्दे की तरह निपटाने की कोशिश हुई, लेकिन 21 नवंबर को कुछ सोशल साइट्स और न्यूज चैनलों पर तरुण तेजपाल पर लगे संगीन आरोप की खबर का खुलासा हो गया।
कानूनी कार्रवाई की मांग होने लगी। शिकायत की सुनवाई के लिए कमेटी बनाने का ऐलान हुआ। पुलिस ने भी जांच के लिए कमर कस ली। तेजपाल की एक सफाई अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू के जरिए भी सामने आई, जिसमें तेजपाल ने आरोप लगाया कि पीड़ित महिला पत्रकार झूठ बोल रही है। वो आधा सच बता रही है। नौकरी बचाने के लिए समझौते की बात सच नहीं है। इसके पीछे सियासी ताकतें काम कर रही हैं। तेजपाल ने गोवा पुलिस से भी लुका- छुपी का खेल शुरू कर दिया। दिल्ली की अदालतों से कानूनी राहत न मिलते देख आखिरकार तेजपाल ने गोवा में जमानत लेने की कोशिश की। 30 नवंबर को अदालत ने जमानत की अर्जी खारिज कर दी। तरुण तेजपाल लोकतंत्र के चौथे खंभे कहे जाने वाले मीडिया के नुमाइंदे हैं, जबकि यौन शोषण के केस में फंसने वाले रिटायर्ड जज एके गांगुली न्यायपालिका के। ये पहली बार है कि जब सुप्रीम कोर्ट के किसी जज पर यौन शोषण का आरोप लगा है। यही वजह है कि आरोप एक ब्लॉग में सामने आने के बावजूद देश में तूफान उठ खड़ा हुआ। सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी ने आरोप लगाने वाली लॉ इंटर्न का बयान लिया तो दूसरी ओर जस्टिस एके गांगुली की सफाई भी सुनी, जिनका कहना है कि वो निर्दोष हैं। 16 दिसंबर 2012 दिल्ली गैंगरेप की घटना से देश उबल रहा था। धरना-प्रदर्शन में कानून की एक छात्रा भी शामिल होना चाहती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक जज के निर्देशन में इंटर्नशिप पूरा करने के लिए वो प्रदर्शनों में हिस्सा नहीं ले सकी। इसके करीब एक साल बाद उस लॉ इंटर्न ने एक ब्लॉग में लिखा कि जब देश औरतों के प्रति हिंसा पर गुस्से में था, तब सुप्रीम कोर्ट के उस जज के हाथों वो खुद यौन शोषण का शिकार हुई। उसने लिखा कि मेरी मेहनत का फल मुझे यौन हमले (शारीरिक चोटें नहीं लेकिन उससे कम हिंसक भी नहीं) के रूप में मिला, एक ऐसा आदमी से जो मेरे दादा की उम्र का था। मैं इसके ब्यौरे में तो नहीं जाऊंगी, लेकिन इतना जरूर कहूंगी कि उस कमरे से निकलने के बहुत बाद भी उसकी याद कायम रही, दरअसल यह अब भी मेरे साथ ही है। पीड़िता के बयान के बाद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश ए के गांगुली का बयान भी रिकॉर्ड किया। इसके बाद बीते साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जज जस्टिस एके गांगुली का बयान भी आ गया, उन्होंने अपने उपर लगे सभी आरोपों का खंडन किया। जस्टिस गांगुली ने खुद को हालात का शिकार बताया और ये भी कहा कि वो नहीं जानते हैं कि लॉ इंटर्न ने उनके खिलाफ आरोप क्यों लगाए। जस्टिस गांगुली को जानने वाले भी इस खुलासे से हैरान हैं, क्योंकि वो अपने सख्त फैसलों के लिए जाने जाते हैं। जस्टिस गांगुली ने टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की सुनवाई की थी, और मोबाइल सेवा के 121 लाइसेंस रद्द करने का फैसला सुनाया था। एक फैसले में उन्होंने आपातकाल की भी आलोचना की थी। जस्टिस गांगुली फिलहाल पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं, लेकिन महिला संगठन अब तेजपाल केस की ही तरह उनपर भर भी एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। तरुण तेजपाल की कहानी वॉयस ऑफ बास्केटबॉल से जाने जाने वाले अमेरिकी स्पोर्ट्स प्रेजेंटर मर्व अल्बर्ट से हूबहू मिलती जुलती है। अपनी शानदार कमेंट्री की वजह से लोकप्रिय अल्बर्ट बॉस्केट बॉल हॉल ऑफ फेम में शामिल किए गए थे। मीडिया आज भी उनकी प्रशंसा में पन्ने के पन्ने रंग देता है, लेकिन 1997 में टीवी चैनल और अखबार मर्व अल्बर्ट यौन शोषण केस के आरोपों से पटे हुए थे। उन पर 42 साल की वनीशा परहाच ने यौन हमले का आरोप लगाया था। अल्बर्ट पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली वनीशा परहाच का इल्जाम था कि पेंटागन सिटी होटल में अल्बर्ट ने उनसे जबरन यौन संबंध बनाने की कोशिश की। आरोप लगते ही अल्बर्ड हीरो से विलेन नजर आने लगे। उन पर मुकदमा चला और मुकदमे के दौरान ही एक और महिला ने अल्बर्ट पर यौन शोषण का आरोप लगा दिया। डीएनए जांच में वनीशा के आरोपों की पुष्टि हो गई। अदालत की जिरह में अल्बर्ट पर आरोप साबित हो गए। उन्हें 12 महीने का सस्पेंडेड कैद की सजा सुनाई गई। मर्व अल्बर्ट पर जब यौनशोषण का आरोप साबित हुआ तब वो 20 साल से एनबीसी टीवी के साथ जुड़े हुए थे। अल्बर्ट को सजा होते ही एनबीसी ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। हालांकि दिलचस्प बात ये भी है कि तरुण तेजपाल केस से मिलते जुलते अल्बर्ट के मामले में एनबीसी ने उन्हें नौकरी से निकलाने के बाद दो साल पूरा होने से पहले ही काम पर दोबारा रख लिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का व्हाइट हाउस इंटर्न मोनिका लेविंस्की के साथ अफेयर के मामले ने समूची दुनिया में सुर्खियां बटोरी थीं। बिल क्लिंटन की कुर्सी की जाते-जाते बच गई थी, दूसरी तरफ फ्रांस का एक सेक्स स्कैंडल ऐसा भी है जिसने राष्ट्रपति पद के सबसे ताकतवर उम्मीदवार का सियासी करिअर धूल में मिला दिया। बिल क्लिंटन पर व्हाइट हाउस इंटर्न मोनिका लेविंस्की से विवाहेत्तर संबंध रखने का आरोप था। 22 साल की मोनिका लेविंस्की को 1995 में बतौर इंटर्न तैनात किया गया था। मोनिका ने अपनी दोस्त लिंडा ट्रिप से फोन पर राष्ट्रपति से अपने रिश्ते होने की बात बताई। मोनिका ने दावा किया कि नवंबर 1995 से मार्च 1997 के बीच उसके और क्लिंटन के करीब 9 बार रिश्ते बने। रक्षा विभाग की कर्मचारी लिंडा ने मोनिका से हुई बातचीत रिकॉर्ड कर ली और टेप क्लिंटन के खिलाफ पॉला जोंस यौन शोषण मामले की पैरवी कर रहे वकील केनेथ स्टार को दे दिया। इसके बाद इस मामले के खुलने में देर नहीं लगी। शुरुआत में बिल क्लिंटन ने मोनिका से अफेयर होने से इंकार कर दिया। शुरू में लेविंस्की इस मामले में बयान देने को राजी नहीं थी, लेकिन बाद में वो न सिर्फ बयान देने के लिए राजी हो गई बल्कि उसने अपने अफेयर के सबूत भी पेश किए। इसके बाद बिल क्लिंटन के सामने अपना अफेयर को स्वीकार करने के सिवा कोई चारा नहीं बचा। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में महाअभियोग चला। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व प्रमुख स्ट्रास कान के खिलाफ ऐसा ही मामला 14 मई 2011 को सुर्खियों में आया था जब नफीसातौ दियालो नाम की एक वेट्रेस ने उनपर यौन हमले का आरोप लगाया। दियालो का आरोप था कि स्ट्रॉस कान ने न्यूयार्क के सॉफिटेल होटल में उसका यौन शोषण किया। स्ट्रॉस कान ने जबरन शारीरिक रिश्ते बनाने के दियालो के आरोपों को खारिज कर दिया। हालांकि दस दिन बाद दियालो के कपड़े के डीएनए टेस्ट ने साबित कर दिया कि स्ट्रॉस कान ने उनसे रिश्ते बनाए थे। स्ट्रॉस कान पर जब यौन शोषण का आरोप लगा तब वो फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। राष्ट्रपति पद के लिए उन्हें सबसे मजबूत उम्मीदवारों में से एक माना जा रहा था। स्ट्रॉस कान की दलील थी कि उन्होंने सहमति के साथ दियालो से रिश्ते बनाए थे। दियालो के आरोप उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश है। आरोप लगने के बाद स्ट्रॉस कान की फ्रांस के राष्ट्रपति बनने की तमन्ना अधूरी रह गई, हालांकि दियालो के कई बार बयान बदलने की वजह से उन पर यौन शोषण के आरोप भी साबित नहीं हो सके। जांच के दौरान दियालो ने स्वीकार किया कि उसने झूठ बोला था। इसके बाद स्ट्रॉस कान पर लगे आरोप वापस ले लिए गए।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एके गांगुली पर भी संगीन आरोप लगे हैं। जस्टिस गांगुली के साथ बतौर इंटर्न काम कर चुकी कानून की स्नातक ने एक ब्लॉग पर उन पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है। हालांकि पीड़िता ने साफ किया है कि उसका इरादा आरोपों का आगे बढ़ाना नहीं बल्कि यौन दुर्व्यावहार को लेकर जागरुकता फैलाना है, लेकिन आरोप सामने आने के बाद मामले की जांच और सजा की मांग उठ रही है। इन आरोपों से पूर्व जज एके गांगुली और तरुण तेजपाल का नाम अमेरिकी खेल प्रेजेंटर मर्व अल्बर्ट,
अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और सेक्स स्कैंडल की वजह से फ्रांस के राष्ट्रपति बनते-बनते रह गए डॉमिनिक स्ट्रॉस कान जैसी बदनाम हस्तियों की फेहरिस्त में शामिल हो गया है। खोजी पत्रकारिता की दुनिया में मशहूर तेजपाल 6 दिन की पुलिस रिमांड में हैं। आरोपों का सच जानने में जुटी गोवा पुलिस ने रेप के नए कानूनों के मुताबिक उनका पोटेंसी टेस्ट भी कराया है। खबरों के मुताबिक कई घंटे चली पूछताछ में पुलिस ने उनसे उनके बयानों के विरोधाभास के बारे में भी पूछताछ की है। 18 नवंबर को तहलका पत्रिका की तत्कालीन मैनेजिंग एडीटर शोमा चौधरी से यौन शोषण की शिकायत करने के बाद पीड़िता जहां अपने बयान पर कायम है, वहीं तरुण तेजपाल बार-बार बयान बदल रहे हैं। शुरुआत में इसे दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताने वाले तेजपाल मामले के तूल पकड़ने के बाद कभी इसे मजाक बता रहे हैं तो कभी साजिश। पीड़ित महिला पत्रकार ने 18 नवंबर को तहलका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी से यौन शोषण की शिकायत की। 7 और 8 नवंबर को गोवा में मैगजीन के थिंक फेस्ट कार्यक्रम के वक्त हुई घटना की जानकारी दी। 19 नवंबर को तरुण तेजपाल ने ई- मेल के जरिए एक माफीनामा भेजा। माफीनामे में तेजपाल ने गलत फैसले के लिए बिना शर्त माफी मांगी। ये भी माना कि उन्होंने 7 और 8 नवंबर को पीड़िता से उसकी मर्जी के खिलाफ अश्लील बात करने की कोशिश की। तरुण तेजपाल ने तहलका की तत्कालीन मैनेजिंग एडीटर शोमा चौधरी को भी ईमेल भेजकर पत्रिका की परंपरा का हवाला देकर प्रायश्चित के लिए छह महीने तक संपादक पद से हटने की पेशकश भी की। यहां तक मामले को एक संस्थान के भीतरी मुद्दे की तरह निपटाने की कोशिश हुई, लेकिन 21 नवंबर को कुछ सोशल साइट्स और न्यूज चैनलों पर तरुण तेजपाल पर लगे संगीन आरोप की खबर का खुलासा हो गया।
कानूनी कार्रवाई की मांग होने लगी। शिकायत की सुनवाई के लिए कमेटी बनाने का ऐलान हुआ। पुलिस ने भी जांच के लिए कमर कस ली। तेजपाल की एक सफाई अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू के जरिए भी सामने आई, जिसमें तेजपाल ने आरोप लगाया कि पीड़ित महिला पत्रकार झूठ बोल रही है। वो आधा सच बता रही है। नौकरी बचाने के लिए समझौते की बात सच नहीं है। इसके पीछे सियासी ताकतें काम कर रही हैं। तेजपाल ने गोवा पुलिस से भी लुका- छुपी का खेल शुरू कर दिया। दिल्ली की अदालतों से कानूनी राहत न मिलते देख आखिरकार तेजपाल ने गोवा में जमानत लेने की कोशिश की। 30 नवंबर को अदालत ने जमानत की अर्जी खारिज कर दी। तरुण तेजपाल लोकतंत्र के चौथे खंभे कहे जाने वाले मीडिया के नुमाइंदे हैं, जबकि यौन शोषण के केस में फंसने वाले रिटायर्ड जज एके गांगुली न्यायपालिका के। ये पहली बार है कि जब सुप्रीम कोर्ट के किसी जज पर यौन शोषण का आरोप लगा है। यही वजह है कि आरोप एक ब्लॉग में सामने आने के बावजूद देश में तूफान उठ खड़ा हुआ। सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी ने आरोप लगाने वाली लॉ इंटर्न का बयान लिया तो दूसरी ओर जस्टिस एके गांगुली की सफाई भी सुनी, जिनका कहना है कि वो निर्दोष हैं। 16 दिसंबर 2012 दिल्ली गैंगरेप की घटना से देश उबल रहा था। धरना-प्रदर्शन में कानून की एक छात्रा भी शामिल होना चाहती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक जज के निर्देशन में इंटर्नशिप पूरा करने के लिए वो प्रदर्शनों में हिस्सा नहीं ले सकी। इसके करीब एक साल बाद उस लॉ इंटर्न ने एक ब्लॉग में लिखा कि जब देश औरतों के प्रति हिंसा पर गुस्से में था, तब सुप्रीम कोर्ट के उस जज के हाथों वो खुद यौन शोषण का शिकार हुई। उसने लिखा कि मेरी मेहनत का फल मुझे यौन हमले (शारीरिक चोटें नहीं लेकिन उससे कम हिंसक भी नहीं) के रूप में मिला, एक ऐसा आदमी से जो मेरे दादा की उम्र का था। मैं इसके ब्यौरे में तो नहीं जाऊंगी, लेकिन इतना जरूर कहूंगी कि उस कमरे से निकलने के बहुत बाद भी उसकी याद कायम रही, दरअसल यह अब भी मेरे साथ ही है। पीड़िता के बयान के बाद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायधीश ए के गांगुली का बयान भी रिकॉर्ड किया। इसके बाद बीते साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए जज जस्टिस एके गांगुली का बयान भी आ गया, उन्होंने अपने उपर लगे सभी आरोपों का खंडन किया। जस्टिस गांगुली ने खुद को हालात का शिकार बताया और ये भी कहा कि वो नहीं जानते हैं कि लॉ इंटर्न ने उनके खिलाफ आरोप क्यों लगाए। जस्टिस गांगुली को जानने वाले भी इस खुलासे से हैरान हैं, क्योंकि वो अपने सख्त फैसलों के लिए जाने जाते हैं। जस्टिस गांगुली ने टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले की सुनवाई की थी, और मोबाइल सेवा के 121 लाइसेंस रद्द करने का फैसला सुनाया था। एक फैसले में उन्होंने आपातकाल की भी आलोचना की थी। जस्टिस गांगुली फिलहाल पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं, लेकिन महिला संगठन अब तेजपाल केस की ही तरह उनपर भर भी एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। तरुण तेजपाल की कहानी वॉयस ऑफ बास्केटबॉल से जाने जाने वाले अमेरिकी स्पोर्ट्स प्रेजेंटर मर्व अल्बर्ट से हूबहू मिलती जुलती है। अपनी शानदार कमेंट्री की वजह से लोकप्रिय अल्बर्ट बॉस्केट बॉल हॉल ऑफ फेम में शामिल किए गए थे। मीडिया आज भी उनकी प्रशंसा में पन्ने के पन्ने रंग देता है, लेकिन 1997 में टीवी चैनल और अखबार मर्व अल्बर्ट यौन शोषण केस के आरोपों से पटे हुए थे। उन पर 42 साल की वनीशा परहाच ने यौन हमले का आरोप लगाया था। अल्बर्ट पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली वनीशा परहाच का इल्जाम था कि पेंटागन सिटी होटल में अल्बर्ट ने उनसे जबरन यौन संबंध बनाने की कोशिश की। आरोप लगते ही अल्बर्ड हीरो से विलेन नजर आने लगे। उन पर मुकदमा चला और मुकदमे के दौरान ही एक और महिला ने अल्बर्ट पर यौन शोषण का आरोप लगा दिया। डीएनए जांच में वनीशा के आरोपों की पुष्टि हो गई। अदालत की जिरह में अल्बर्ट पर आरोप साबित हो गए। उन्हें 12 महीने का सस्पेंडेड कैद की सजा सुनाई गई। मर्व अल्बर्ट पर जब यौनशोषण का आरोप साबित हुआ तब वो 20 साल से एनबीसी टीवी के साथ जुड़े हुए थे। अल्बर्ट को सजा होते ही एनबीसी ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया। हालांकि दिलचस्प बात ये भी है कि तरुण तेजपाल केस से मिलते जुलते अल्बर्ट के मामले में एनबीसी ने उन्हें नौकरी से निकलाने के बाद दो साल पूरा होने से पहले ही काम पर दोबारा रख लिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का व्हाइट हाउस इंटर्न मोनिका लेविंस्की के साथ अफेयर के मामले ने समूची दुनिया में सुर्खियां बटोरी थीं। बिल क्लिंटन की कुर्सी की जाते-जाते बच गई थी, दूसरी तरफ फ्रांस का एक सेक्स स्कैंडल ऐसा भी है जिसने राष्ट्रपति पद के सबसे ताकतवर उम्मीदवार का सियासी करिअर धूल में मिला दिया। बिल क्लिंटन पर व्हाइट हाउस इंटर्न मोनिका लेविंस्की से विवाहेत्तर संबंध रखने का आरोप था। 22 साल की मोनिका लेविंस्की को 1995 में बतौर इंटर्न तैनात किया गया था। मोनिका ने अपनी दोस्त लिंडा ट्रिप से फोन पर राष्ट्रपति से अपने रिश्ते होने की बात बताई। मोनिका ने दावा किया कि नवंबर 1995 से मार्च 1997 के बीच उसके और क्लिंटन के करीब 9 बार रिश्ते बने। रक्षा विभाग की कर्मचारी लिंडा ने मोनिका से हुई बातचीत रिकॉर्ड कर ली और टेप क्लिंटन के खिलाफ पॉला जोंस यौन शोषण मामले की पैरवी कर रहे वकील केनेथ स्टार को दे दिया। इसके बाद इस मामले के खुलने में देर नहीं लगी। शुरुआत में बिल क्लिंटन ने मोनिका से अफेयर होने से इंकार कर दिया। शुरू में लेविंस्की इस मामले में बयान देने को राजी नहीं थी, लेकिन बाद में वो न सिर्फ बयान देने के लिए राजी हो गई बल्कि उसने अपने अफेयर के सबूत भी पेश किए। इसके बाद बिल क्लिंटन के सामने अपना अफेयर को स्वीकार करने के सिवा कोई चारा नहीं बचा। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में महाअभियोग चला। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के पूर्व प्रमुख स्ट्रास कान के खिलाफ ऐसा ही मामला 14 मई 2011 को सुर्खियों में आया था जब नफीसातौ दियालो नाम की एक वेट्रेस ने उनपर यौन हमले का आरोप लगाया। दियालो का आरोप था कि स्ट्रॉस कान ने न्यूयार्क के सॉफिटेल होटल में उसका यौन शोषण किया। स्ट्रॉस कान ने जबरन शारीरिक रिश्ते बनाने के दियालो के आरोपों को खारिज कर दिया। हालांकि दस दिन बाद दियालो के कपड़े के डीएनए टेस्ट ने साबित कर दिया कि स्ट्रॉस कान ने उनसे रिश्ते बनाए थे। स्ट्रॉस कान पर जब यौन शोषण का आरोप लगा तब वो फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी के खिलाफ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। राष्ट्रपति पद के लिए उन्हें सबसे मजबूत उम्मीदवारों में से एक माना जा रहा था। स्ट्रॉस कान की दलील थी कि उन्होंने सहमति के साथ दियालो से रिश्ते बनाए थे। दियालो के आरोप उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश है। आरोप लगने के बाद स्ट्रॉस कान की फ्रांस के राष्ट्रपति बनने की तमन्ना अधूरी रह गई, हालांकि दियालो के कई बार बयान बदलने की वजह से उन पर यौन शोषण के आरोप भी साबित नहीं हो सके। जांच के दौरान दियालो ने स्वीकार किया कि उसने झूठ बोला था। इसके बाद स्ट्रॉस कान पर लगे आरोप वापस ले लिए गए।