मछलीशहर नगर पंचायत में व्याप्त भ्रट्राचार के खिलाफ चेयरमैन ने फूंका बिगुल
https://www.shirazehind.com/2013/12/blog-post_7.html
मामला बिना जांच किये कार्यदायी संस्था को भुगतान किये जाने का
जौनपुर। नगर पंचायत मछलीशहर के अधिशासी अधिकारी इस समय सुर्खियों में बने हुये हैं, क्योंकि यहां के अलावा दो नगर पालिकाओं का प्रभार देखने वाले इनकी कार्यप्रणाली की शिकायत करने के लिये मछलीशहर चेयरमैन अब आगे आ गये हैं। उन्होंने जिलाधिकारी सहित मुख्य सचिव नगर विकास अनुभाग उत्तर प्रदेश और नगर विकास मंत्री उत्तर प्रदेश शासन से लिखित शिकायत किया है। मछलीशहर चेयरमैन संजय जायसवाल की शिकायत के अनुसार पम्प नम्बर 1 पर स्वीकृत सामान की आपूर्ति कार्यालय के लिये हुआ है लेकिन वह पूर्ण रूप से गलत है, क्योंकि स्वीकृत सामान ठेकेदार को लाइन खिंचवाकर फीडिंग करवाकर उतने सामान का ही बिल प्रस्तुत किया जाना चाहिये। साथ ही अधिशासी अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि बिल के अनुसार सामान व कार्यों को देखकर बिल भुगतान के स्वीकृति के लिये अध्यक्ष के पास भेजवायें, क्योंकि शासन कार्यों की गहनता से जांच हेतु अधिशासी अधिकारी को तैनात करता है। कहीं से कोई गड़बड़ी मिलने पर कार्यवाही करने एवं जिलाधिकारी सहित उच्चाधिकारियों को अवगत कराने की जिम्मेदारी भी ईओ महोदय की बनती है लेकिन मछलीशहर के ईओ महोदय के कार्यों से यह साफ स्पष्ट होता है कि कार्यों में लापरवाही हो रही है एवं शासन के मंशानुरूप कार्य नहीं कर पा रहे हैं। श्री जायसवाल के अनुसार ईओ महोदय मछलीशहर पंचायत के अलावा नगर पालिका मुंगराबादशाहपुर एवं मडि़याहूं का अतिरिक्त प्रभार देख रहे हैं जहां के अध्यक्ष नये हैं जिन्हें पालिका के विषय में जानकारी नहीं है। ऐसे में इन जगहों पर वित्तीय अनियमितता अवश्य होती होगी जिसकी विभागीय जांच करने की आवश्यकता है। मालूम हो कि दिग्विजय एसोसिएट द्वारा पंचायत को सामान आपूर्ति करके 2 लाख 72 हजार 7 सौ रूपये का बिल प्रस्तुत किया गया जिसमें आयकर की कटौती करके देय धनराशि 2 लाख 66 हजार 592 रूपये आया जिसके भुगतान के लिये पंचायत के ईओ महोदय ने चेक भी काट दिया लेकिन जांचोपरांत अध्यक्ष श्री जायसवाल ने कहा कि जीआई तार का प्रयोग कहीं नहीं हुआ है, इसलिये इसका भुगतान काटकर दूसरा चेक बनाया जाय। इस पर अधिशासी अधिकारी ने दूसरा चेक 2 लाख 51 हजार 340 रूपये का काटा लेकिन शक होने पर अध्यक्ष ने उस चेक पर भी अपना हस्ताक्षर नहीं किया और अधिशासी अधिकारी की वर्तमान कार्यप्रणाली की लिखित शिकायत उच्चाधिकारियों से कर डाली।
जौनपुर। नगर पंचायत मछलीशहर के अधिशासी अधिकारी इस समय सुर्खियों में बने हुये हैं, क्योंकि यहां के अलावा दो नगर पालिकाओं का प्रभार देखने वाले इनकी कार्यप्रणाली की शिकायत करने के लिये मछलीशहर चेयरमैन अब आगे आ गये हैं। उन्होंने जिलाधिकारी सहित मुख्य सचिव नगर विकास अनुभाग उत्तर प्रदेश और नगर विकास मंत्री उत्तर प्रदेश शासन से लिखित शिकायत किया है। मछलीशहर चेयरमैन संजय जायसवाल की शिकायत के अनुसार पम्प नम्बर 1 पर स्वीकृत सामान की आपूर्ति कार्यालय के लिये हुआ है लेकिन वह पूर्ण रूप से गलत है, क्योंकि स्वीकृत सामान ठेकेदार को लाइन खिंचवाकर फीडिंग करवाकर उतने सामान का ही बिल प्रस्तुत किया जाना चाहिये। साथ ही अधिशासी अधिकारी की जिम्मेदारी होती है कि बिल के अनुसार सामान व कार्यों को देखकर बिल भुगतान के स्वीकृति के लिये अध्यक्ष के पास भेजवायें, क्योंकि शासन कार्यों की गहनता से जांच हेतु अधिशासी अधिकारी को तैनात करता है। कहीं से कोई गड़बड़ी मिलने पर कार्यवाही करने एवं जिलाधिकारी सहित उच्चाधिकारियों को अवगत कराने की जिम्मेदारी भी ईओ महोदय की बनती है लेकिन मछलीशहर के ईओ महोदय के कार्यों से यह साफ स्पष्ट होता है कि कार्यों में लापरवाही हो रही है एवं शासन के मंशानुरूप कार्य नहीं कर पा रहे हैं। श्री जायसवाल के अनुसार ईओ महोदय मछलीशहर पंचायत के अलावा नगर पालिका मुंगराबादशाहपुर एवं मडि़याहूं का अतिरिक्त प्रभार देख रहे हैं जहां के अध्यक्ष नये हैं जिन्हें पालिका के विषय में जानकारी नहीं है। ऐसे में इन जगहों पर वित्तीय अनियमितता अवश्य होती होगी जिसकी विभागीय जांच करने की आवश्यकता है। मालूम हो कि दिग्विजय एसोसिएट द्वारा पंचायत को सामान आपूर्ति करके 2 लाख 72 हजार 7 सौ रूपये का बिल प्रस्तुत किया गया जिसमें आयकर की कटौती करके देय धनराशि 2 लाख 66 हजार 592 रूपये आया जिसके भुगतान के लिये पंचायत के ईओ महोदय ने चेक भी काट दिया लेकिन जांचोपरांत अध्यक्ष श्री जायसवाल ने कहा कि जीआई तार का प्रयोग कहीं नहीं हुआ है, इसलिये इसका भुगतान काटकर दूसरा चेक बनाया जाय। इस पर अधिशासी अधिकारी ने दूसरा चेक 2 लाख 51 हजार 340 रूपये का काटा लेकिन शक होने पर अध्यक्ष ने उस चेक पर भी अपना हस्ताक्षर नहीं किया और अधिशासी अधिकारी की वर्तमान कार्यप्रणाली की लिखित शिकायत उच्चाधिकारियों से कर डाली।