जान जोखिम में डालकर लोग पहुंचे है मंजिल पर
https://www.shirazehind.com/2013/12/blog-post_3161.html
जौनपुर सरकार प्रदेश का सर्वागीण विकास करने का दावा कर रही
है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाके तक हर सुविधाओं सुलभ कराने का काम किया जा
रहा है। वही आजादी के छह दशक बाद भी विकास खंड का पल्टूपुर व खड़वा गांव
पूर्ण रूप से उपेछित है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इन
गांवों के लोगों को घर से बाहर निकलने के लिए बसुही नदी पार करके जाना होता
है। जहां बास का पुल बनाया है। जिसे लोग अपनी जान जोखिम में डालकर ही पार
करते है।
ब्लाक मुख्यालय से करीब दस किमी दूर स्थित पल्टूपुर व खड़वा गांव स्थिति है। गांव में आने-जाने के लिए कच्ची सड़क ही है। जबकि बीच से बसुही नदी गुजरी है। जिस पर ग्रामीणों ने बांस का पुल बना दिया है। यह स्थिति आजादी के पहले से ही बनी हुई है। इसी रास्ते से प्रतिदिन छात्र-छात्राएं सहित अन्य ग्रामीण अपने काम से गांव के बाहर निकलते है। ग्रामीणों को सबसे ज्यादा दिक्कत बारिश में होती है। जब नदी में पानी होने के कारण उक्त पुल डूब जाता है। मजबूरी में ग्रामीणों को छह से सात किमी दूर गणेशपुर गांव होते हुए जाना पड़ता है। जिसे लेकर ग्रामीण काफी चिंतित रहते है। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधि वोट लेने के लिए चुनाव के समय आते है और इस समस्या का का निदान करने का वादा कर चले जाते है। मगर वह अपने वायदे को भूल जाते है।
ब्लाक मुख्यालय से करीब दस किमी दूर स्थित पल्टूपुर व खड़वा गांव स्थिति है। गांव में आने-जाने के लिए कच्ची सड़क ही है। जबकि बीच से बसुही नदी गुजरी है। जिस पर ग्रामीणों ने बांस का पुल बना दिया है। यह स्थिति आजादी के पहले से ही बनी हुई है। इसी रास्ते से प्रतिदिन छात्र-छात्राएं सहित अन्य ग्रामीण अपने काम से गांव के बाहर निकलते है। ग्रामीणों को सबसे ज्यादा दिक्कत बारिश में होती है। जब नदी में पानी होने के कारण उक्त पुल डूब जाता है। मजबूरी में ग्रामीणों को छह से सात किमी दूर गणेशपुर गांव होते हुए जाना पड़ता है। जिसे लेकर ग्रामीण काफी चिंतित रहते है। उनका कहना है कि जनप्रतिनिधि वोट लेने के लिए चुनाव के समय आते है और इस समस्या का का निदान करने का वादा कर चले जाते है। मगर वह अपने वायदे को भूल जाते है।