आखिर कैसे रुकेगा जनसंख्या विस्फोट
https://www.shirazehind.com/2013/12/blog-post_1425.html
एक तरफ सरकारे देश में बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए तमाम योजनाये चला रही है और इस हर साल करोडो रूपये खर्च भी कर रही है। लेकिन इसका जिम्मा जिस विभाग पर सौपा गया वही सरकार के मनसूबे पर पानी फेर रहा है। इसकी बानगी देखने को मिल रही है जौनपुर के शाहगंज चिकित्सालय में। यहाँ पर नसबंदी कराने के लिए कुल अस्सी महिलाये सुबह से ही डाक्टरो के इंतज़ार में बैठी रही लेकिन साहब अस्पताल पहुंचे सूरज डूबने के बाद जिससे नाराज महिलाओ ने जमकर हंगामा किया।
चिकित्सक की देरी से नसबंदी के लिए आई महिलाओं को गुरुवार को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। रात में नसबंदी और फिर उसके बाद महिला घर वापस कैसे लौटेगी इस बात का जवाब स्वास्थ्य विभाग शायद न दे सके।
पुरुष चिकित्सालय में गुरुवार को बंध्याकरण शिविर का आयोजन किया गया था। जिसमें नसबंदी के लिए सुइथाकला, सोंधी व खुटहन ब्लाक से आई 78 महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया। महिलाओं की चिकित्सक डा.महेंद्र यादव का इंतजार करते-करते आंखों पथरा गई। डाक्टर शाम के करीब पांच बजे चिकित्सालय में पहुंचे। अब रात के अंधेरे में नसबंदी के बाद महिलाएं घर वापस कैसे लौटेंगी यह समझ से परे है। चिकित्सक की उदासीनता के चलते महिलाओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
एक माह पूर्व डाक्टर के न पहुंचने की वजह से नसबंदी के लिए आई महिलाएं बैरंग वापस लौट गई थी। राष्ट्रीय कार्यक्रम में इस तरह की उदासीनता से कार्यक्रम के सफल होने पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है।
चिकित्सक की देरी से नसबंदी के लिए आई महिलाओं को गुरुवार को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। रात में नसबंदी और फिर उसके बाद महिला घर वापस कैसे लौटेगी इस बात का जवाब स्वास्थ्य विभाग शायद न दे सके।
पुरुष चिकित्सालय में गुरुवार को बंध्याकरण शिविर का आयोजन किया गया था। जिसमें नसबंदी के लिए सुइथाकला, सोंधी व खुटहन ब्लाक से आई 78 महिलाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया। महिलाओं की चिकित्सक डा.महेंद्र यादव का इंतजार करते-करते आंखों पथरा गई। डाक्टर शाम के करीब पांच बजे चिकित्सालय में पहुंचे। अब रात के अंधेरे में नसबंदी के बाद महिलाएं घर वापस कैसे लौटेंगी यह समझ से परे है। चिकित्सक की उदासीनता के चलते महिलाओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
एक माह पूर्व डाक्टर के न पहुंचने की वजह से नसबंदी के लिए आई महिलाएं बैरंग वापस लौट गई थी। राष्ट्रीय कार्यक्रम में इस तरह की उदासीनता से कार्यक्रम के सफल होने पर प्रश्न चिह्न लगा दिया है।