तिल उद्योग पर भी टैक्स और पुलिसिया संकट
https://www.shirazehind.com/2013/11/blog-post_9998.html
पुलिस विभाग और इन्कम टैक्स विभाग के उत्पीड़न के चलते जौनपुर का तिल उद्योग बन्दी की कगार पर पहुंच गया हैं । इस कारोबार से जुड़े लोग किसानों से तिल खरीदकर लाते है और गोमती नदी में धुलाई कर उन्हे वाराणसी की मण्डी में बेचकर अपना गुजर बसर करतें हैं। इस कार्य में लगे लोग पूरे कुनबे के साथ कड़ाके की ठण्ड में रात एक बजें से गोमती नदी के ठरते पानी में घुस कर तिल की सफाई करते है। अपनी जान की बाजी लगाकर और कड़ी मेहनत के बदौलत जब तिलियों को बजार बिकने लायक तैयार कर बेचने के लिए निकलते है तो इन्कम टैक्स और पुलिस वाले इनके तिल को अवैध घोषित कर पूरी गाढ़ी मेहनत की कमाई पर डाका डालते है।
जौनपुर में इस सर्द मौसम में गोमती के ठरते पानी में अपना खून पसीना बहा रहे है इन लोगो का बस एक ही मकसद है कि दो वख्त की रोटी का जुगाड़ करना। ये लोग कर्ज लेकर किसानों से तिल खरीदकर उन्हे खाने के लायक बनाने में अपने पूरे परिवार की जान जोखिम में डालकर रात एक बजे से ही नदी के अन्दर घुसकर दूध की तरफ सफेद करते हैं इसके बाद पूरे दिन घाटों पर सुखते हैं तब कही जाकर ये तिलियां बाजार में बिकने लायक तैयार होती है। लेकिन जब ये बेचारे कड़ाके की ठण्ड में पसीना बहाने के बाद इन्हे बाजार में बेचने के लिए वाराणसी के तरफ निकलते हैं तब रास्ते में इन्कम टैक्स और पुलिस विभाग इनसे अवैध वसूली कर इनके मुनाफे पर डाका डालते हैं।
किसानों से तिलियों को खरीदने और कुटाई धुलायी करने के बाद बा मुश्किल इन गरीबो को दो बखत की रोटी मिलती हैं। इसके बावजूद ये बेचारे अपने पुश्तैनी कारोबार में लगे हुए हैं। इन लोगो की दिलों की जख्म काफी गहरे हैं। कुरेदने पर उनकी आवाज निकलते ही रौगटे खड़े हो गये।
इन गरीबो की कड़ी मेहनत का मजा कोई और ले रहा हैं। यदि समय रहते इनका शोषण नही रोका गया तो यह धंधा और इस कारोबार से जुटे लोग दोनो दम तोड़ देगें।