गंगा जमुनी तहजीब का अनूठा नमूना है जौनपुर की ताज़िया

गमो का महिना मुहर्रम शुरू होते ही जौनपुर में जहा एक तरफ मजलिसो मातम का दौर शुरू हो गया है वही ताजिया बनाने वाले कारीगर ताजिया बनाने में मशगुल हो गए है । यहाँ की विशेषता ये है की यहाँ ताजिया बनाने के कारीगर सिर्फ मुस्लिम वर्ग के नहीं बल्कि हिन्दू वर्ग के लोग भी शामिल रहते है । जिससे देश की एकता अखंडता मजबूत होती है । बांस की खरपच्चियो और रंगबिरंगे कागजों से ताजिया बना रहे ये कारीगर का ताजिया बनाना पेशा नहीं है बल्कि ये लोग इमाम हुसैन की शहादत की याद में उनके रौज़े का ताजिया बनाकर इमाम हुसैन को नजराने अकीदत पेश कर रहे है । इनके पूर्वजो से चला आ रहा है की मुहर्रम का चाँद होने के एक महिना पहले से ही ये लोग अपने सारे कामो को छोड़ कर पुरे परिवार सहित ताजिया बनाने के काम में जुट जाते है । ख़ास बात ये है की ताजिये की कोई कीमत नहीं होती । ताजिया रखने वाले लोग जो भी धनराशी इन कारीगरों को दे देते है ये लोग ताजिया उसे दे देते है । इन कारीगरों का केवल एक मकसद है की इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजियादारी होती रहे । शिराज़े हिन्द जौनपुर की सदियों से ये परंपरा चली आरही है की यहाँ सदियों से हिन्दू मुस्लिम के साथ साथ सभी वर्ग के लोग इमाम हुसैन की कर्बला में शहादत की याद में ताजिया रखते है और इमाम हुसैन का गम मानते है । जिससे देश में एकता का सन्देश जाता है ।

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