फिर चलेगी जनता के जेब पर कैची
https://www.shirazehind.com/2013/11/blog-post_868.html
लखनऊ। प्रदेश पावर कारपोरेशन को बड़े घाटे से उबारने के लिए प्रदेश सरकार
एक बार फिर जनता की जेब पर कैंची चलाने को तैयार है। सूबे में फिर बिजली
की दरों में इजाफे की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। ं
बिजली की मौजूदा दरों से पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने अगले वित्तीय वर्ष में 7725 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान लगाया है। ऐसे में कुछ हद तक घाटे की भरपाई के लिए बिजली की दरों में औसतन 10 फीसदी का इजाफा करने की कवायद की जा रही है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किसानों को दी जाने वाली बिजली की दरें यथावत रहने की उम्मीद है।
दरअसल, वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए पावर कारपोरेशन ने 43,393 करोड़ रुपये (5417 करोड़ रुपये सब्सिडी मिलाकर) का जो एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है उसमें प्रबंधन ने 7725 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया है। यानि अगले वित्तीय वर्ष में उसे प्रदेशवासियों को बिजली आपूर्ति करने के लिए 43,393 करोड़ रुपये चाहिए लेकिन मौजूदा बिजली की दरों व सब्सिडी आदि से उसे 35,668 करोड़ रुपये ही हासिल होने का अनुमान है। इसमें से यदि राज्य सरकार की सब्सिडी को हटा दिया जाए तो प्रबंधन को 30251 करोड़ रुपये ही विद्युत राजस्व से मिलने की उम्मीद है।
कारपोरेशन प्रबंधन को अगले वित्तीय वर्ष में सरकार से गांवों व अन्य को सस्ती बिजली देने के एवज में 5417 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलने का अनुमान है। फिर भी 27.61 फीसदी लाइन हानियां आदि के बने रहने से 7725 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान लगाया गया है। प्रबंधन को उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष में बिजली की औसत लागत 7.09 रुपये यूनिट रहेगी। ऐसे में घाटे की भरपाई के लिए बिजली की दरों में एक बार फिर इजाफा होना तय माना जा रहा है।
प्रबंधन ने आयोग में बिजली की दरों में इजाफा किए जाने संबंधी टैरिफ प्रस्ताव तो दाखिल नहीं किया लेकिन सूत्रों का कहना है कि शहरी घरेलू से लेकर वाणिज्यिक व उद्योगों की बिजली की दरों में ही औसतन 10 फीसदी बढ़ोत्तरी किए जाने संबंधी टैरिफ प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। उच्च स्तरीय सिगनल मिलने के बाद प्रबंधन दिसंबर में टैरिफ प्रस्ताव भी आयोग में दाखिल कर सकता है। लोकसभा चुनाव होने को हैं इसलिए सूत्रों का कहना है कि अबकी किसानों की घरेलू व खेती में इस्तेमाल होने वाली बिजली के दाम बढ़ाए जाने की उम्मीद नहीं है। वैसे तो पहली अप्रैल से नई दरें प्रभावी होनी चाहिए लेकिन माना जा रहा है कि सरकार की कोशिश होगी कि अन्य श्रेणियों की बिजली के दाम भी अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव के बाद से ही लागू हो। गौरतलब है कि मौैजूदा वित्तीय वर्ष के जून से प्रभावी टैरिफ में बिजली के दाम में औसतन 10.29 फीसदी का इजाफा किया गया था।
बिजली की मौजूदा दरों से पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने अगले वित्तीय वर्ष में 7725 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान लगाया है। ऐसे में कुछ हद तक घाटे की भरपाई के लिए बिजली की दरों में औसतन 10 फीसदी का इजाफा करने की कवायद की जा रही है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किसानों को दी जाने वाली बिजली की दरें यथावत रहने की उम्मीद है।
दरअसल, वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए पावर कारपोरेशन ने 43,393 करोड़ रुपये (5417 करोड़ रुपये सब्सिडी मिलाकर) का जो एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है उसमें प्रबंधन ने 7725 करोड़ रुपये का घाटा दिखाया है। यानि अगले वित्तीय वर्ष में उसे प्रदेशवासियों को बिजली आपूर्ति करने के लिए 43,393 करोड़ रुपये चाहिए लेकिन मौजूदा बिजली की दरों व सब्सिडी आदि से उसे 35,668 करोड़ रुपये ही हासिल होने का अनुमान है। इसमें से यदि राज्य सरकार की सब्सिडी को हटा दिया जाए तो प्रबंधन को 30251 करोड़ रुपये ही विद्युत राजस्व से मिलने की उम्मीद है।
कारपोरेशन प्रबंधन को अगले वित्तीय वर्ष में सरकार से गांवों व अन्य को सस्ती बिजली देने के एवज में 5417 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलने का अनुमान है। फिर भी 27.61 फीसदी लाइन हानियां आदि के बने रहने से 7725 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान लगाया गया है। प्रबंधन को उम्मीद है कि अगले वित्तीय वर्ष में बिजली की औसत लागत 7.09 रुपये यूनिट रहेगी। ऐसे में घाटे की भरपाई के लिए बिजली की दरों में एक बार फिर इजाफा होना तय माना जा रहा है।
प्रबंधन ने आयोग में बिजली की दरों में इजाफा किए जाने संबंधी टैरिफ प्रस्ताव तो दाखिल नहीं किया लेकिन सूत्रों का कहना है कि शहरी घरेलू से लेकर वाणिज्यिक व उद्योगों की बिजली की दरों में ही औसतन 10 फीसदी बढ़ोत्तरी किए जाने संबंधी टैरिफ प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। उच्च स्तरीय सिगनल मिलने के बाद प्रबंधन दिसंबर में टैरिफ प्रस्ताव भी आयोग में दाखिल कर सकता है। लोकसभा चुनाव होने को हैं इसलिए सूत्रों का कहना है कि अबकी किसानों की घरेलू व खेती में इस्तेमाल होने वाली बिजली के दाम बढ़ाए जाने की उम्मीद नहीं है। वैसे तो पहली अप्रैल से नई दरें प्रभावी होनी चाहिए लेकिन माना जा रहा है कि सरकार की कोशिश होगी कि अन्य श्रेणियों की बिजली के दाम भी अप्रैल-मई में लोकसभा चुनाव के बाद से ही लागू हो। गौरतलब है कि मौैजूदा वित्तीय वर्ष के जून से प्रभावी टैरिफ में बिजली के दाम में औसतन 10.29 फीसदी का इजाफा किया गया था।