टीम का हिस्सा रहूं न रहूं, दिल में भारत : सचिन

नई दिल्‍ली. विदाई के तुरंत बाद ही भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद सचिन तेंदुलकर ने पहली बार रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस का संबोधित किया। सचिन ने कहा कि चौबीस साल देश के लिए क्रिकेट खेलना उनके लिए अहम बात रही है और क्रिकेट उनके लिए ऑक्सीजन है, जिसके बिना जीना संभव नहीं है। संन्यास के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए सचिन ने कहा कि अपने क्रिकेट के सफर को रोकने का यह सही समय था। शरीर ने भी इस बात का संकेत दे दिया था कि अब उन्हें क्रिकेट को अलविदा कहना चाहिए। 
 
सचिन ने कहा मुंबई में आखिरी टेस्ट उनकी मां के लिए रखा गया और यह निश्चित तौर पर यादगार रहा। सचिन ने कहा, टीम का हिस्सा रहूं न रहूं, दिल में भारत है। उन्होंने कहा, 'भारत रत्न' अपनी मां के साथ ही सभी माताओं को समर्पित करता हूं। माताओं का अपने बच्चों के लिए त्याग महान होता है। मैं चाहता हूं कि भारत हर खेल में जीते। सीएनआर राव को 'भारत रत्न' के लिए बधाई।
 
भारत के खिलाफ वेस्टइंडीज जैसी अपेक्षाकृत कमजोर टीम को खेलने के लिए बुलाने के बारे में जवाब देते हुए सचिन ने कहा कि वेस्टइंडीज दुनिया की मजबूत टीम है लेकिन उतार-चढ़ाव सभी के साथ चलते रहते हैं।
 
क्या सचिन क्रिकेट एकेडमी खोलेंगे? इसके जवाब में सचिन ने कहा कि वे क्रिकेट से रिटायर जरूर हुए हैं लेकिन वे युवाओं को इस खेल की बारिकियां सीखाते रहेंगे। उन्होंने कहा कि वे पहले भी क्रिकेट में आ रहे नए खिलाड़ियों को और यंगस्टर्स को के साथ मुखातिब होते रहे हैं। लेकिन ऐसा वह सार्वजनिक तौर पर नहीं करते इसलिए इस बारे में कम ही लोग जानते हैं।   
 
आज कैसे बीता सचिन का दिन
सचिन ने कहा कि 'रोजाना की तरह खुद ही आज सुबह भी जल्दी आंख खुल गई। उठकर शॉवर लिया तो याद आया कि आज तो मैच भी नहीं है। इसके बाद पत्नी के साथ शानदार ब्रेकफास्ट लिया। और अब प्रेस कॉन्फ्रेंस में आपके सामने हूं। 
 
परिवार की भूमिका के बारे में पूछे एक सवाल के बारे में सचिन ने कहा कि उनके परिवार ने कभी उनके प्रदर्शन को लेकर अपना संतुलन नहीं खोया, भले ही उन्होंने शतक लगाया हो या वे कम रनों पर आउट हुए हों, मां हमेशा उनके लिए भगवान से प्रार्थना करती रही हैं। विदाई मैच के दिन भी मां ने भगवान  के लिए मिठाई रखी।
 
अर्जुन तेंदुलकर के बारे में बात करते हुए सचिन ने कहा कि उसे खेलने दो, उस पर उम्मीदों का दबाव मत बनाओं। वह एक पैशनेट लड़का है क्रिकेट के बारे में। सचिन ने कहा कि वे अर्जुन के ऊपर किसी भी तरह का दबाव नहीं बनाएंगे औऱ न ही मीडिया को बनाने चाहिए। उसे क्रिकेट के साथ मजे करने दो। तभी कोई खइलाड़ी अच्छा कर पाता है। उन्होंने कहा कि यदि उनके पिता यदि उन पर दबाव बनाते तो उनके हाथ में बैट नहीं कलम होती क्योंकि उनके पिता प्रोफेसर थे। इसलिए अर्जुन से उसके पिता की तरह उम्मीद पालना ठीक नहीं है।
 
सचिन ने कहा कि उनके लिए सबसे बढ़िया समय वह था जब टीम इंडिया ने वर्ल्ड कप जीता और 2003 में फाइनल में पहुंचकर विश्वकप नहीं जीत पाना सबसे निराशाजनक समय था। 
 
क्रिकेट को ओलंपिक में शामिल किए जाने  को लेकर क्या वे कोई अभियान शुरू करेंगे? इस सवाल के जवाब को टालते हुए सचिन ने कहा कि अभी उन्हें रिटायरमेंट लिए 24 घंटे ही हुए हैं उन्हें थोड़ा समय मिले तो वे इस बारे में सोचेंगे। 
 
कोच के विदेशी होने के सवाल के जवाब में सचिन ने कहा कि कोच को लेकर देसी-विदेशी का कोई मसला नहीं होना चाहिए। असली बात यह है कि बेहतर कोच कौन होगा। कोच,  कोच ही है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोच किस देश का है।

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