पुलिस की वर्दी पहनकर जेल से भागा कुख्यात बदमाश
https://www.shirazehind.com/2013/11/blog-post_8602.html
लखनऊ। आगरा के सेंट्रल जेल से शुक्रवार को कैदी जितेंद्र दीवार फांदकर नहीं बल्कि मुख्य द्वार से भागा था। उसने बंदी रक्षकों को चकमा देने के लिए खाकी पैंट पहनने के बाद शाल ओढ़ी तथा चेहरे को मफलर से बाधा। इसके बाद वह आराम से मुख्य गेट से बाहर चला गया। वहीं, फरारी से बेखबर जेल का स्टाफ कैदियों की गिनती पूरी दिखाता रहा।
कैदी जितेंद्र नाइट लंबरदार था। वह रात में बंदी रक्षकों के साथ मिलकर रखवाली करता था। शुक्त्रवार को सुबह मुख्य द्वार पर तैनात बंदी रक्षक कुछ दिनों पहले ही बाहर से स्थानातरित होकर आया है। जितेन्द्र ने इसी का लाभ उठाया। तड़के चार से पाच बजे के बीच वह खाकी पैंट पर शाल ओढ़ने के बाद मफलर बाधकर मेन गेट से भाग निकला। गेट पर तैनात बंदी रक्षक ने उसे स्टाफ समझा।
डीआइजी जेल सुरेशचंद, वरिष्ठ अधीक्षक केंद्रीय कारागार बीआर वर्मा एवं जिला जेल अधीक्षक संतलाल यादव ने कल बंदी रक्षकों और कैदियों से पूछताछ की। पता चला कि जितेंद्र के फरार होने के बावजूद स्टाफ जेल में कैदियों की संख्या पूरी दिखाता रहा। कई घटे बाद दीवार पर रस्सी लटकती देख बंदी रक्षक के सूचना देने पर जब गिनती कराई गई, तो उसके गायब होने का पता चला। जिस रस्सी से दीवार फाद कर भागने का दावा किया जा रहा था, वह काफी कमजोर थी। जो लगभग 52 किलो वजनी जितेंद्र का वजन नहीं उठा सकती थी। रस्सी दीवार का प्लास्टर कराने के दौरान काम आई थी।
कई पर गिरेगी निलंबन की गाज केंद्रीय कारागार से कैदी के फरार होने की गाज कई पर गिरेगी। इनमें अधिकारी भी शामिल हैं। कल जांच काफी हद तक पूरी कर ली गई है। रिपोर्ट तैयार करके लखनऊ भेजने की तैयारी है।
गाजियाबाद अदालत ने सुनाई थी सजा बिजनौर के श्यामपुर, कीरतपुर निवासी जितेंद्र पर गाजियाबाद के कवि नगर थाने में 2001 में अपहरण और हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। वर्ष 2007 में गाजियाबाद की अदालत ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी।
कई पर गिरेगी निलंबन की गाज केंद्रीय कारागार से कैदी के फरार होने की गाज कई पर गिरेगी। इनमें अधिकारी भी शामिल हैं। कल जांच काफी हद तक पूरी कर ली गई है। रिपोर्ट तैयार करके लखनऊ भेजने की तैयारी है।
गाजियाबाद अदालत ने सुनाई थी सजा बिजनौर के श्यामपुर, कीरतपुर निवासी जितेंद्र पर गाजियाबाद के कवि नगर थाने में 2001 में अपहरण और हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। वर्ष 2007 में गाजियाबाद की अदालत ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी।