पालिका अध्यक्ष के खिलाफ सभासद धरने पर
https://www.shirazehind.com/2013/11/blog-post_8247.html
जौनपुर: सभासदों ने सोमवार को शाहगंज नगर पालिका में प्रदर्शन किया।
पालिका प्रशासन पर गलत तरीके से नामांतरण करने व 20 दिन से नकल उपलब्ध
कराने के लिए दौड़ाने का आरोप लगाया। बाद में नकल उपलब्ध कराने पर मामला
शांत हुआ।
नगर के एराकियाना मुहल्ला निवासी अबू जफर उर्फ मुन्नू ने आरोप लगाया कि पालिका अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने मनमानी तरीके से गलत नामांतरण किया है। मांगने पर उसकी नकल भी पालिका प्रशासन नहीं दे रहा है। उन्होंने इस बात की जानकारी सभासद सेराज अहमद को दी। सोमवार को सभासद सेराज अहमद के नेतृत्व में श्याम जी गुप्ता, जैगम अहमद, अबुल जैस, प्रदीप विश्वकर्मा, विशाल साहू, आशुतोष अग्रहरी, चंदन मोदनवाल, श्रेयांश गुप्ता सहित अन्य सभासद नगर पालिका कार्यालय पहुंच गए।
उक्त नामांतरण की नकल की मांग की तो पालिका कर्मी ने अध्यक्ष की अनुमति के बगैर नकल न देने की बात कही। जिससे क्षुब्ध होकर सभासद पालिका कार्यालय पर धरने पर बैठ गए। सभासदों ने जमकर नारेबाजी की। साथ ही उक्त प्रकरण की जानकारी उप जिलाधिकारी व जिलाधिकारी को फोन के माध्यम से अवगत कराया। कुछ देर उपरांत पालिका अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने नकल देने की अनुमति कर्मी सूर्यभान सिंह को दिया। जिसके बाद मामला शांत हुआ। इस संबंध में पूछे जाने पर अधिशासी अधिकारी सीताराम ने मामले से अनभिज्ञता जताई।
नगर के एराकियाना मुहल्ला निवासी अबू जफर उर्फ मुन्नू ने आरोप लगाया कि पालिका अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने मनमानी तरीके से गलत नामांतरण किया है। मांगने पर उसकी नकल भी पालिका प्रशासन नहीं दे रहा है। उन्होंने इस बात की जानकारी सभासद सेराज अहमद को दी। सोमवार को सभासद सेराज अहमद के नेतृत्व में श्याम जी गुप्ता, जैगम अहमद, अबुल जैस, प्रदीप विश्वकर्मा, विशाल साहू, आशुतोष अग्रहरी, चंदन मोदनवाल, श्रेयांश गुप्ता सहित अन्य सभासद नगर पालिका कार्यालय पहुंच गए।
उक्त नामांतरण की नकल की मांग की तो पालिका कर्मी ने अध्यक्ष की अनुमति के बगैर नकल न देने की बात कही। जिससे क्षुब्ध होकर सभासद पालिका कार्यालय पर धरने पर बैठ गए। सभासदों ने जमकर नारेबाजी की। साथ ही उक्त प्रकरण की जानकारी उप जिलाधिकारी व जिलाधिकारी को फोन के माध्यम से अवगत कराया। कुछ देर उपरांत पालिका अध्यक्ष जितेंद्र सिंह ने नकल देने की अनुमति कर्मी सूर्यभान सिंह को दिया। जिसके बाद मामला शांत हुआ। इस संबंध में पूछे जाने पर अधिशासी अधिकारी सीताराम ने मामले से अनभिज्ञता जताई।