बेटी को जन्म देने पर मां को मिली मौत!
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इलाहाबाद. आज इंसान भले ही चांद पर पहुंच गया हो लेकिन समाज की
बेड़ियों में जकड़ा आदमी अभी भी बेटे और बेटियों में भेद करता है। ताजा सनसनी
खेज मामला कौशाम्बी जिले के सराय अकिल कस्बे का है। यहां एक विवाहिता को
बेटी जन्म देने की सजा अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
महज सात दिन पहले बेटी को जन्म देने वाली पिंकी की लाश सराय अकिल कस्बे के एक तालाब के किनारे लावारिस हालत में मिली। इस बात का खुलासा पुलिस की तफ्तीश में हुआ है। कौशाम्बी पुलिस के अधिकारी अब इस मामले में जांच के बाद कार्यवाही की बात कर रहे हैं। कौशाम्बी के सराय अकिल कस्बे के चित्तापुर गांव के जिस घर में बेटी के जन्म का उत्सव होना चहिए था वहां मौत का मातम पसरा है। महज सात दिन की इस बिटिया के सर से उसकी मां का साया हमेशा हमेशा के लिए उठ गया है। बेटी के जन्म के बाद से ही इस मासूम की मां पिंकी को सास-ससुर के इतने ताने मिले की उसने मौत को गले लगा लिया। पिंकी की लाश गांव के एक तालाब के किनारे लोगों को मिली। बेटी के जन्म के सात दिन बाद उसकी रहस्यमय मौत गांव और उसके मायके वालों के लिए किसी पहेली से कम नहीं है। पिंकी की मां लालती देवी का कहना है कि बेटी के जन्म के बाद से ही उसकी वह सदमे में रहती थी।
महज सात दिन पहले बेटी को जन्म देने वाली पिंकी की लाश सराय अकिल कस्बे के एक तालाब के किनारे लावारिस हालत में मिली। इस बात का खुलासा पुलिस की तफ्तीश में हुआ है। कौशाम्बी पुलिस के अधिकारी अब इस मामले में जांच के बाद कार्यवाही की बात कर रहे हैं। कौशाम्बी के सराय अकिल कस्बे के चित्तापुर गांव के जिस घर में बेटी के जन्म का उत्सव होना चहिए था वहां मौत का मातम पसरा है। महज सात दिन की इस बिटिया के सर से उसकी मां का साया हमेशा हमेशा के लिए उठ गया है। बेटी के जन्म के बाद से ही इस मासूम की मां पिंकी को सास-ससुर के इतने ताने मिले की उसने मौत को गले लगा लिया। पिंकी की लाश गांव के एक तालाब के किनारे लोगों को मिली। बेटी के जन्म के सात दिन बाद उसकी रहस्यमय मौत गांव और उसके मायके वालों के लिए किसी पहेली से कम नहीं है। पिंकी की मां लालती देवी का कहना है कि बेटी के जन्म के बाद से ही उसकी वह सदमे में रहती थी।
पिंकी और बबलू की शादी के तीन साल बाद घर में नए मेहमान के जन्म से
सात दिन पहले घर में ख़ुशी का माहौल था, पर पिंकी की कोख से बेटी के जन्म
होने की खबर से ससुराल में यह ख़ुशी जैसे गायब सी हो गई। पिंकी अपनी नन्ही बच्ची के साथ जब अपने ससुराल पहुंची तो रात दिन के तानो
ने उसे इतना दुखी कर दिया कि उसने अपनी दुधमुही बेटी का ख्याल किए बिना मौत
को गले लगाना ज्यादा मुनासिब समझा। जहां बेटी के जन्म का उत्सव होना चाहिए
वहां यदि मां को ताने मिलेंगे तो न जाने कितनी पिंकी जैसी माएं मौत को गले
लगाएगी । सवाल साफ है आखिर कब तक बेटे की चाहत में नारी ही बलि की वेदी पर
चढ़ती रहेगी।