छात्र-छात्राओं का ‘शोषण विभाग’ है पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग
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जौनपुर। ‘जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग’ नाम से साफ स्पष्ट हो रहा है कि
जिले के पिछड़े वर्गों के लोगों के कल्याण के लिये इस विभाग को बनाया गया
है जहां अधिकारी के अलावा तमाम कर्मचारियों सहित चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी
तैनात किये गये हैं। ऐसा भी नहीं है कि इस विभाग के कार्यालय में जिले के
पिछड़े वर्ग के लोग अपनी फरियाद लेकर नहीं आते हैं लेकिन यहां की
कार्यप्रणाली से इस बात से एकदम इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस विभाग का
नाम ‘जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग’ नहीं, बल्कि ‘जिले के पिछड़ों के
शोषण का विभाग’ होना चाहिये। इस विभाग से परेशान लोग जहां एक ओर दर-दर
भटकते नजर आते हैं, वहीं दूसरी ओर विभाग द्वारा सरकारी विज्ञप्ति बनवाकर
सूचना विभाग के माध्यम से विभिन्न समाचार पत्रों में अपनी लम्बी-चैड़ी
बातें प्रकाशित करवाकर अपने ही हाथ से अपनी पीठ थपथपाता रहता है। विभाग
द्वारा बातें तो ऐसी कही जाती है मानो सम्बन्धित पात्रों के बारे में विभाग
काफी कुछ सोचता है लेकिन विभाग के कार्यालय में जाने पर पता चलता है कि इस
विभाग में फरियादियों का कल्याण नहीं, बल्कि शोषण होता है। केवल जेब गरम
करने के लिये सम्बन्धित कागजातों में कुछ न कुछ कमी दिखाकर केवल दौड़ाया
जाता है जबकि किसी द्वारा कुछ दे देने पर उसका काम आसानी से हो जाता है।
बता दें कि शैक्षणिक सत्र में दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति
योजनान्तर्गत पात्रों द्वारा आवेदन पत्र आनलाइन भरा जा रहा है जिसमें
विभागीय दिशा निर्देशन में पात्र आवेदन भी कर रहे हैं लेकिन अब विभाग का
कहना है कि आवेदन में त्रुटि है जिसके चलते छात्र@छात्राओं के समक्ष अब
पुनः एक नयी समस्या उत्पन्न हो गयी है। इतना ही नहीं, विभाग का कहना है कि
समस्त शिक्षण संस्थान@कालेज छात्र@छात्राओं के आवेदन पत्र के साथ जमा की
गयी प्राप्ति रसीद पर सक्षम अधिकारी@कर्मचारी के हस्ताक्षर एवं शिक्षण
संस्थान की मुहर लगाकर अनिवार्य रूप से छात्र@छात्राओं को प्राप्ति रसीद
उपलब्ध करायी जाय। ऐसे में छात्र@छात्राओं सहित शिक्षण संस्थानों का कहना
है कि यदि यह आदेश पूर्व में ही किया गया होता तो इनको पुनः दिक्कतें न
होतीं। फिलहाल चाहे जो भी हो, यह विभाग भले ही अपने को कल्याण विभाग कह ले
लेकिन कुल मिलाकर यह ‘कल्याण विभाग’ नहीं, बल्कि ‘शोषण विभाग’ ही माना
जायेगा।