नेहरू जी की जन्म स्थली बना रेड लाइट एरिया
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इलाहाबाद. देश के पहले प्रधानमंत्री, महान स्वतंत्रता सेनानी, लेखक और चिंतक पंडित जवाहल लाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देश के इस महान नेता का जन्म जिस मीरगंज मोहल्ले में हुआ था वहां आज प्रदेश का सबसे बड़ा रेड लाइट एरिया आबाद है।
अंग्रेजों ने इस इलाके को मनोरंजन के लिए वेश्यालय के तौर पर तैयार किया था। जवाहर लाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू की वकालत जब चल निकली तो उनका परिवार चमक दमक वाले सिविल लाइन्स के 9 एल्गिन रोड के एक किराए के बंगले में आकर बस गया था। इसके बाद नेहरू परिवार आनंद भवन चला गया। नेहरू परिवार ने तरक्की की लेकिन मीरगंज के सभी लोग इतने किस्मत वाले नहीं थे। वह इलाका आज भी उतना ही बदनाम और दयनीय हो गया है।
इस मामले का सबसे दुखद पहलू है कि जिस पंडित जवाहर लाल नेहरू के परिवार ने देश को तीन प्रधानमन्त्री दे दिए, उस महान नेता की यह जन्मस्थली आज जिस्म की एक बड़ी मंडी बनकर रह गई है। हालांकि कुछ स्थानीय नेताओं ने इस इलाके को आज़ाद कराने के लिए कई आन्दोलन किए लेकिन वह देश की आज़ादी के नायक की जन्मस्थली को आज़ाद नहीं करा पाए।
जवाहर लाल नेहरू का जन्म इलाहाबाद के नामी वकील मोतीलाल नेहरू के घर 1889 में हुआ था। उनकी मां का नाम स्वरुप रानी नेहरू था। नेहरू अपने पिता के एकलौते पुत्र थे इसके अलावा दो बहनें भी थी। उनकी एक बहन विजयलक्ष्मी पंडित संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्षा बनीं। पंडित नेहरू परिवार का ताल्लुक मूल रूप से कश्मीर के सारस्वत ब्राह्मण परिवार से था। जवाहर लाल नेहरू के पूर्वज 18 वीं शताब्दी के आरम्भ में कश्मीर से इलाहाबाद आकर बस गए थे। जवाहर लाल नेहरू की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई, जहां उन्होंने कई अंग्रेज़ और विदेशी शिक्षक-शिक्षिकाओं से शिक्षा ग्रहण की। इसके अलावा उन्होंने स्थानीय संस्कृत विद्वानों से संस्कृत और शास्त्रों का ज्ञान भी अर्जित किया।
जवाहर जवाहर लाल नेहरू15 वर्ष की अवस्था में 1915 में इंग्लैंड के प्रसिद्ध हैरो स्कूल पढ़ाई के लिए गए। जहां से उनकी ज़िन्दगी का दूसरा दौर शुरू हुआ।
नेहरू का विवाह 1916 में कमला नेहरु के साथ हुआ। नेहरू जी का बचपन इलाहाबाद की गलियों में बीता। अपनी पैदाइश के दो-तीन साल तक वह बदनाम मीरगंज मोहल्ले में ही रहे। नेहरू जी को इलाहाबाद से खासा लगाव था। उनके कई संस्मरणों में उन्होंने लिखा है कि जब लोग उन्हें इलाहाबादी कहते तो उन्हें गर्व होता है। लेकिन उस वक़्त उन्हें अंदाज़ा नहीं था की वह जिस इलाहाबादी शब्द पर गर्व करते उसी में उनके जन्मस्थल मीरगंज मोहल्ले की पहचान इक्कीसवीं सदी में हजारों वेश्याओं से आबाद एक बदनाम मोहल्ले के रूप में होगी। नेहरू जी को इलाहाबाद का अमरुद खासा पसंद था वह जब देश के प्रधानमंत्री बनें तब भी इलाहाबाद से लोग उनके लिए उपहार में अमरुद लेकर जाते थे। अपने जीवन में नौ बार जेल यात्रा करने वाले नेहरु जी को लेखन, स्वाधीनता संग्राम और देश का पहला प्रधानमंत्री होने के कारण भारत रत्न के सम्मान से नवाजा गया। 'विश्व इतिहास की झलक', 'भारत एक खोज' उनके प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं जो देश और दुनिया की ऐतिहासिक जानकारियों से भरे हैं।
नेहरू का विवाह 1916 में कमला नेहरु के साथ हुआ। नेहरू जी का बचपन इलाहाबाद की गलियों में बीता। अपनी पैदाइश के दो-तीन साल तक वह बदनाम मीरगंज मोहल्ले में ही रहे। नेहरू जी को इलाहाबाद से खासा लगाव था। उनके कई संस्मरणों में उन्होंने लिखा है कि जब लोग उन्हें इलाहाबादी कहते तो उन्हें गर्व होता है। लेकिन उस वक़्त उन्हें अंदाज़ा नहीं था की वह जिस इलाहाबादी शब्द पर गर्व करते उसी में उनके जन्मस्थल मीरगंज मोहल्ले की पहचान इक्कीसवीं सदी में हजारों वेश्याओं से आबाद एक बदनाम मोहल्ले के रूप में होगी। नेहरू जी को इलाहाबाद का अमरुद खासा पसंद था वह जब देश के प्रधानमंत्री बनें तब भी इलाहाबाद से लोग उनके लिए उपहार में अमरुद लेकर जाते थे। अपने जीवन में नौ बार जेल यात्रा करने वाले नेहरु जी को लेखन, स्वाधीनता संग्राम और देश का पहला प्रधानमंत्री होने के कारण भारत रत्न के सम्मान से नवाजा गया। 'विश्व इतिहास की झलक', 'भारत एक खोज' उनके प्रसिद्ध ग्रन्थ हैं जो देश और दुनिया की ऐतिहासिक जानकारियों से भरे हैं।