भगवान भाष्कर के उदय होने पर महिलाओं ने दिया दूसरा अघ्र्य
https://www.shirazehind.com/2013/11/blog-post_3688.html
पूजा के साथ व्रत का किया तारण, 4 दिवसीय अनुष्ठान समाप्त
जौनपुर। शनिवार को सुबह भगवान भाष्कर के उदय होने पर डाला छठ पर व्रत रहने वाली महिलाओं ने अघ्र्य देकर 4 दिवसीय इस धार्मिक अनुष्ठान का समापन किया। साथ ही घर जाकर व्रत का पारण किया। इसके पहले पुत्रों के यशस्वी व दीर्घजीवी होने की कामना लिये माताएं व्रत रहकर नहाय-खाय के बाद तीसरे दिन शाम को जनपद के विभिन्न क्षेत्रों के नदियों, तालाबों, जलाशयों में खड़ी होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य दीं। तत्पश्चात् दूसरे दिन यानी शनिवार को 6 बजकर 9 मिनट पर सूर्योदय होने पर व्रती महिलाओं ने अघ्र्य दिया जिसके साथ पवित्र व कठिन अनुष्ठान का समापन हुआ। छठ माता की पूजा करने वाली निराजल व्रती महिलाएं जलाशयों सहित सार्वजनिक स्थलों पर वेदी बनाकर विधिपूर्वक पूजा कीं और पुत्रों के यशस्वी व दीर्घजीवी होने की कामना कीं। इसके पहले छठ माता का गीत गातीं हर्षतिरेक में महिलाएं गोमती सहित अन्य नदियों के किनारे स्थित घाटों पर पहुंचीं जहां पूजा की डाली, ठेकुआ के अलावा नारियल, केला, सेब, अमरूद, चना, सरीफा, माला, फूल, धूप, अगरबत्ती, गन्ना आदि से पूजा कीं। देखा गया कि प्रतिमा विसर्जन घाट, गोपी घाट, हनुमान घाट, केरारवीर घाट, गूलरघाट, विंध्यवासिनी घाट, रत्ती लाल घाट, अचला देवी घाट, सूरज घाट, राजेपुर त्रिमुहानी, गोमतेश्वर, पांचो शिवाला सहित अन्य घाटों पर भक्तों का तांता लगा रहा।
जौनपुर। शनिवार को सुबह भगवान भाष्कर के उदय होने पर डाला छठ पर व्रत रहने वाली महिलाओं ने अघ्र्य देकर 4 दिवसीय इस धार्मिक अनुष्ठान का समापन किया। साथ ही घर जाकर व्रत का पारण किया। इसके पहले पुत्रों के यशस्वी व दीर्घजीवी होने की कामना लिये माताएं व्रत रहकर नहाय-खाय के बाद तीसरे दिन शाम को जनपद के विभिन्न क्षेत्रों के नदियों, तालाबों, जलाशयों में खड़ी होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अघ्र्य दीं। तत्पश्चात् दूसरे दिन यानी शनिवार को 6 बजकर 9 मिनट पर सूर्योदय होने पर व्रती महिलाओं ने अघ्र्य दिया जिसके साथ पवित्र व कठिन अनुष्ठान का समापन हुआ। छठ माता की पूजा करने वाली निराजल व्रती महिलाएं जलाशयों सहित सार्वजनिक स्थलों पर वेदी बनाकर विधिपूर्वक पूजा कीं और पुत्रों के यशस्वी व दीर्घजीवी होने की कामना कीं। इसके पहले छठ माता का गीत गातीं हर्षतिरेक में महिलाएं गोमती सहित अन्य नदियों के किनारे स्थित घाटों पर पहुंचीं जहां पूजा की डाली, ठेकुआ के अलावा नारियल, केला, सेब, अमरूद, चना, सरीफा, माला, फूल, धूप, अगरबत्ती, गन्ना आदि से पूजा कीं। देखा गया कि प्रतिमा विसर्जन घाट, गोपी घाट, हनुमान घाट, केरारवीर घाट, गूलरघाट, विंध्यवासिनी घाट, रत्ती लाल घाट, अचला देवी घाट, सूरज घाट, राजेपुर त्रिमुहानी, गोमतेश्वर, पांचो शिवाला सहित अन्य घाटों पर भक्तों का तांता लगा रहा।