अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का................
https://www.shirazehind.com/2013/11/blog-post_35.html
समाजवादी पार्टी ने जौनपुर के घोषित प्रत्यासी डॉ 0 केपी यादव का टिकट
काटकर यह साबित कर दिया है कि सपा में पढ़े लिखे और सज्जन नेताओ का कोई काम
नही है।
केपी यादव बचपन से ही प्रतिभावान रहे है , जिसका परिणाम रहा कि प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्चशिक्षा तक में हमेशा अव्वल आते रहे है। इन्होने कल कारखानों से निकलने वाले गंदे पानी को रिफ़ाइंड कर पुन: पीने योग्य बनाने की खोज करके पूरी दुनियां में अपनी अलग पहचान बना लिया। इनकी प्रतिभा को देखते हुए अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलू नॉइज़ ने 1800 डालर पर महीने पर बुलावा आया , इस यूनिवर्सिटी में अमेरिका के वर्तमान राष्टपति बराक ओबामा उस समय प्रोफ़ेसर हुआ करते थे। लेकिन डॉ0 यादव ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह से मिले प्यार के बदले में अपना पूरा कैरियर ही बलिदान कर दिया।
डॉ0 केपी समाजवादी मिशन से जुड़कर गरीबो, मजलूमों और किसानो के ऊपर हो रहे जुल्म खिलाफ लड़ाई शुरू कर दिया। इस लड़ाई में केपी यादव पर दर्जनों बार पुलिस ने अपनी लाठियां तोड़ी है , 36 बार गिरफ्तार हुए और 12 बार जेल की रोटियां भी खाई है। कुशल वैज्ञानिक से लोकप्रिय नेता बन रहे डॉ0 यादव के बाहरी दुश्मनों के साथ साथ पार्टी के भीतर भी कुछ दुश्मन पैदा हो गये। सभी ने मिलकर केपी को दुनियां से विदा करने की योजना बना डाली। प्लान के तहत बदमाशो को सुपारी देकर गोलियां भी चलवाई। इस गोलीकांड में केपी को चार गोली लगी थी। इसके बाद भी डॉ 0 केपी का हौसला कम नही हुआ वे हमेशा किसानो ,गरीबो और मजलूमों के उपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखा।
डॉ0 केपी यादव जौनपुर जिले के उतरगांवा में एक सामान्य परिवार में जन्म लिया था। प्राथमिक शिक्षा धर्मापुर जूनियर से लिया ,हाईस्कूल नगर पालिका और इंटर बी आर पी से किया। गोरखपुर विश्वविधायलय से कमेस्ट्री से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल किया। उसके बाद बी एच यू वाराणसी में अंतर विषयी शोध छात्र के रूप में सेलेक्शन हुआ। केपी यादव पढाई के साथ साथ छात्र राजनीत में भी सक्रिय रहे। केपी यादव ने बताया कि सन 1986 में मुलायम सिंह की क्रांति रथ यात्रा से ही मै समाजवादी पार्टी से पूरी तरह से जुड़ कर काम करता ही था साथ में अपनी पढाई भी जारी रखा। इस बीच मेरा चयन सिरामिक इंजीयरिता में रिर्सच एसोसियेट में हो गया। मेरे 25 शोध पत्र अंतर राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुए और अधौगिक क्षेत्रो के दूषित पानी को शुद्ध करने का अविष्कार भी किया। सन 1992 में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलू नॉइज़ ने 1800 डालर पर महीने के वेतन पर बुलावा आया था। मै अमेरिका जाने के लिए पासपोर्ट बनवाने लखनऊ जा रहा था कि अखबारों के माध्यम से पता चला कि मेरे नेता मुलायम सिंह को केंद्रीय कारागार वाराणसी में बंद किया गया है। मैंने ट्रेन को छोड़कर सीधे जेल जाकर नेता जी से मिला उनका आदेश मिलते ही मैंने अपने साथियों के साथ कैंट स्टेशन पर श्रमजीवी ट्रेन को रोक दिया। पुलिस मुझे गिरफ्तार कर चौकाघाट जेल माँ बंद किया। 1993 में मुझे बी एच यू का युजन सभा का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद कई प्रदेशो में पार्टी के गठन की जिम्मेदारी भी मिली। 1997 में सपा - बसपा गठबंधन टूटने के बाद मायावती ने बनारस के सिरगोवर्धन गाँव की कीमती जमीन पर रविदास पार्क बनाने का फरमान जारी कर दिया। नेता जी के आदेश पर मैंने किसानो की लड़ाई गाँव में रहकर लड़ी। शासन प्रशासन मुझे धमकाकर फुसलाकर और लालच देकर इस आन्दोलन से हटाने का प्रयास किया लेकिन मै अपने लक्ष्य से हटा नही ,जिसका परिणाम रहा कि हेलीकाप्टर से शिलान्यास करने पहुंची मुख्यमंत्री मायावती भदोही चली गई। इस जंग को जीतने के बाद मेरा कद पार्टी और जनता में काफी बढ़ गया। जिसके कारण बाहरी नेताओ के साथ हमारे करीबी भी मेरा दुश्मन बन गये। 5 जनवरी 1998 में मेरे ऊपर बदमाशो ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई इस वारदात में मुझे चार गोली लगी थी ऊपर वाले की दया से मै बच गया।
केपी यादव का दावा है की अब मै राजनीत में हुजुर और मजूर की परम्परा को समाप्त कर भाई , बहन ,माता , पिता का रिश्ता कायम करना चाहता हूँ।
केपी यादव बचपन से ही प्रतिभावान रहे है , जिसका परिणाम रहा कि प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्चशिक्षा तक में हमेशा अव्वल आते रहे है। इन्होने कल कारखानों से निकलने वाले गंदे पानी को रिफ़ाइंड कर पुन: पीने योग्य बनाने की खोज करके पूरी दुनियां में अपनी अलग पहचान बना लिया। इनकी प्रतिभा को देखते हुए अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलू नॉइज़ ने 1800 डालर पर महीने पर बुलावा आया , इस यूनिवर्सिटी में अमेरिका के वर्तमान राष्टपति बराक ओबामा उस समय प्रोफ़ेसर हुआ करते थे। लेकिन डॉ0 यादव ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह से मिले प्यार के बदले में अपना पूरा कैरियर ही बलिदान कर दिया।
डॉ0 केपी समाजवादी मिशन से जुड़कर गरीबो, मजलूमों और किसानो के ऊपर हो रहे जुल्म खिलाफ लड़ाई शुरू कर दिया। इस लड़ाई में केपी यादव पर दर्जनों बार पुलिस ने अपनी लाठियां तोड़ी है , 36 बार गिरफ्तार हुए और 12 बार जेल की रोटियां भी खाई है। कुशल वैज्ञानिक से लोकप्रिय नेता बन रहे डॉ0 यादव के बाहरी दुश्मनों के साथ साथ पार्टी के भीतर भी कुछ दुश्मन पैदा हो गये। सभी ने मिलकर केपी को दुनियां से विदा करने की योजना बना डाली। प्लान के तहत बदमाशो को सुपारी देकर गोलियां भी चलवाई। इस गोलीकांड में केपी को चार गोली लगी थी। इसके बाद भी डॉ 0 केपी का हौसला कम नही हुआ वे हमेशा किसानो ,गरीबो और मजलूमों के उपर हो रहे अत्याचार के खिलाफ लड़ाई जारी रखा।
डॉ0 केपी यादव जौनपुर जिले के उतरगांवा में एक सामान्य परिवार में जन्म लिया था। प्राथमिक शिक्षा धर्मापुर जूनियर से लिया ,हाईस्कूल नगर पालिका और इंटर बी आर पी से किया। गोरखपुर विश्वविधायलय से कमेस्ट्री से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल किया। उसके बाद बी एच यू वाराणसी में अंतर विषयी शोध छात्र के रूप में सेलेक्शन हुआ। केपी यादव पढाई के साथ साथ छात्र राजनीत में भी सक्रिय रहे। केपी यादव ने बताया कि सन 1986 में मुलायम सिंह की क्रांति रथ यात्रा से ही मै समाजवादी पार्टी से पूरी तरह से जुड़ कर काम करता ही था साथ में अपनी पढाई भी जारी रखा। इस बीच मेरा चयन सिरामिक इंजीयरिता में रिर्सच एसोसियेट में हो गया। मेरे 25 शोध पत्र अंतर राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुए और अधौगिक क्षेत्रो के दूषित पानी को शुद्ध करने का अविष्कार भी किया। सन 1992 में अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ इलू नॉइज़ ने 1800 डालर पर महीने के वेतन पर बुलावा आया था। मै अमेरिका जाने के लिए पासपोर्ट बनवाने लखनऊ जा रहा था कि अखबारों के माध्यम से पता चला कि मेरे नेता मुलायम सिंह को केंद्रीय कारागार वाराणसी में बंद किया गया है। मैंने ट्रेन को छोड़कर सीधे जेल जाकर नेता जी से मिला उनका आदेश मिलते ही मैंने अपने साथियों के साथ कैंट स्टेशन पर श्रमजीवी ट्रेन को रोक दिया। पुलिस मुझे गिरफ्तार कर चौकाघाट जेल माँ बंद किया। 1993 में मुझे बी एच यू का युजन सभा का अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद कई प्रदेशो में पार्टी के गठन की जिम्मेदारी भी मिली। 1997 में सपा - बसपा गठबंधन टूटने के बाद मायावती ने बनारस के सिरगोवर्धन गाँव की कीमती जमीन पर रविदास पार्क बनाने का फरमान जारी कर दिया। नेता जी के आदेश पर मैंने किसानो की लड़ाई गाँव में रहकर लड़ी। शासन प्रशासन मुझे धमकाकर फुसलाकर और लालच देकर इस आन्दोलन से हटाने का प्रयास किया लेकिन मै अपने लक्ष्य से हटा नही ,जिसका परिणाम रहा कि हेलीकाप्टर से शिलान्यास करने पहुंची मुख्यमंत्री मायावती भदोही चली गई। इस जंग को जीतने के बाद मेरा कद पार्टी और जनता में काफी बढ़ गया। जिसके कारण बाहरी नेताओ के साथ हमारे करीबी भी मेरा दुश्मन बन गये। 5 जनवरी 1998 में मेरे ऊपर बदमाशो ने ताबड़तोड़ गोलियां चलाई इस वारदात में मुझे चार गोली लगी थी ऊपर वाले की दया से मै बच गया।
केपी यादव का दावा है की अब मै राजनीत में हुजुर और मजूर की परम्परा को समाप्त कर भाई , बहन ,माता , पिता का रिश्ता कायम करना चाहता हूँ।