अपने ही हाथों जहर, कभी पीता नहीं है आदमी
https://www.shirazehind.com/2013/11/blog-post_29.html
अवगुणों को गुण बताकर, जीता नहीं है आदमी,
अपने ही हाथों जहर, कभी पीता नहीं है आदमी ।
बातें बहुत हैं, तर्क भी हैं, कुतर्क भी देता आदमी,
पाप-पुण्य सामने, पाप का गुणगान करता आदमी ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन
अपने ही हाथों जहर, कभी पीता नहीं है आदमी ।
बातें बहुत हैं, तर्क भी हैं, कुतर्क भी देता आदमी,
पाप-पुण्य सामने, पाप का गुणगान करता आदमी ।
डॉ अ कीर्तिवर्धन