दलितो की दुश्मन नम्बर वन है मायावती : दीपचन्द राम

भाजपा में शामिल होने के बाद दलित नेता ने भरी हूंकार
    जौनपुर। नरेन्द्र मोदी की विकासोन्मुख, राष्ट्रवादी नीति तथा भाजपा की लोकतांत्रिक नीतियों से प्रभावित होकर मैंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की एवं भविष्य में राष्ट्र की एकता व अखण्डता तथा लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूत करने को प्रदेश के स्वजातीय को जोड़ने के लिये प्रयासरत रहूंगा। बसपा अलोकतांत्रिक पार्टी जहां लोकतंत्र की जगह धनतंत्र है तथा यह पार्टी दलित विरोधी है जिसका प्रमाण है माया सरकार में मात्र 2 स्वजातीय कैबिनेट मंत्री का रहना। ये मंत्री ग्राम विकास मंत्री दद्दू प्रसाद व बांट/माप मंत्री रामहेत रहे। क्या बांट-माप विभाग से दलित कल्याण होगा, वहीं पर जिसका वोट नहीं मिलता, उस समाज के नसीमुद्दीन सिद्दीकी के पास लगभग 24 महत्वपूर्ण विभाग थे। उपरोक्त बातें भाजपा में गत दिवस में शामिल होने के बाद जनपद लौटने पर पहली बार पत्र-प्रतिनिधियों से वार्ता करते हुये पूर्व सहायक आयुक्त ग्राम्य विकास दीपचन्द राम ने कही। उन्होंने कहा कि कांशीराम के समय में जिन विधायकों को 2-3 बार मंत्री बनाया गया था, वही वर्ष 2007 में पूर्ण बहुमत की सरकार में पुनः विधायक चुनकर आये किन्तु एक को भी मंत्री नहीं बनाया गया जबकि चुनाव में चैथे स्थान पर रहे व्यक्ति को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया। क्या यही है उनका दलित प्रेम। मायावती के परिवारवाद के बयान पर पलटवार करते हुये उन्होंने कहा कि वह भाषणों में बार-बार यह कहती हैं कि मेरी पार्टी परिवारवाद नहीं है किन्तु सतीश चन्द्र मिश्र, रामवीर उपाध्याय, कपिलमुनि कलवरिया, बृजेश पाठक, विनोद सिंह, रामचन्दर प्रधान, अनिल मौर्या, हरिशंकर तिवारी, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, स्वामी प्रसाद मौर्य सहित ऐसे लगभग 100 परिवार बसपा में मौजूद हैं जिनके घरों में माननीय सदस्यों की संख्या 2 से लेकर 19 तक है। क्या यह परिवारवाद नहीं है। दलित मायावती के सोच में अत्यन्त दरिद्र हैं, क्योंकि वह आज तक किसी भी स्वजातीय के सुख-दुख में कभी शामिल नहीं हुईं जबकि इसके विपरीत गैरसमाज के सुख-दुख में बढ़-चढ़कर भाग लेती हैं। भाजपा नेता ने कहा कि भारतवर्ष में सबसे बड़ा दलित विरोधी कोई है तो उसका सबसे बड़ा प्रमाण है मायावती जिन्होंने उत्तर प्रदेश/सम्पूर्ण भारत में एक भी दलित नेता पैदा नहीं होने दिया। बसपा नेता मायावती बाबा साहब की घोर विरोधी हैं, क्योंकि इस पार्टी में लोकतंत्र नहीं है। वह दलित नेतृत्व को पनपने नहीं देतीं। बाबा साहब व बौद्ध धर्म से जुड़े सभी धार्मिक स्थल जैसे सारनाथ, कुशीनगर, आगरा, पूना में एक ईंट भी रखने का काम नहीं किया। यही नहीं, मायावती दलितों के मार्गदर्शक कांशीराम साहब की भी विरोधी हैं, क्योंकि उन्होंने सभी संस्थापक सदस्यों को पार्टी से बाहर कर दिया गया। कांशीराम की मां के नाम पर विश्वविद्यालय न बनाकर शकुंतला विकलांग विश्वविद्यालय बना दिया गया लेकिन अब दलित जग गया है तथा वह मायावती के झांसे में आने वाला नहीं है। पत्रकार वार्ता के दौरान भाजपा जिलाध्यक्ष हरिश्चन्द्र सिंह, वरिष्ठ नेता अशोक सिंह, बलवंत सिंह, डा. धर्मराज सिंह, अभिमन्यु राय, जिला पंचायत सदस्य शिवकुमार यादव सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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