मुलायम सिंह का शिखर तक का सफ़र बेहद मुश्किलों भरा रहा

 मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को यूपी के इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम मूर्ति देवी और पिता का नाम सुघर सिंह था। बचपन से ही शांत स्वभाव के मुलायम सिंह का शिखर तक का सफ़र बेहद मुश्किलों भरा रहा। लेकिन इनके दोस्तों का कहना है कि उन्हें अपने खुद पर हमेशा से भरोसा रहा। वह इच्छा को जल्दी जाहिर नहीं करते थे। लेकिन जो ठान लेते थे, उसे हर हाल में पूरा करते थे।समाजवादी पार्टी के जन्मदाता कहे जाने वाले मुलायम सिंह ने स्कूल की शिक्षा इटावा के ही प्राइमरी शिक्षा हैवरा स्कूल में पूरी की। जैन इंटर कॉलेज करहल मैनपुरी में इंटरमीडिएट करने के बाद केके डिग्री कॉलेज इटावा में ग्रेजुएशन किया। उसके बाद मुलायम सिंह ने राजनीति शास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरी की। इसके बाद वह जैन इंटर कॉलेज करहल में राजनीति शास्त्र के अध्यापक पद पर नियुक्त हुए, लेकिन जल्द ही इसी कॉलेज में वह इसी विषय के प्रवक्ता बन गए।

 मुलायम सिंह यादव के मित्र परिमाल सिंह यादव जो उनके साथ ही उसी स्कूल में अध्यापन का काम भी करते थे। उनकी माने तो मुलायम सिंह बच्चों से बहुत प्यार करते थे। उन्हें बच्चों पर गुस्सा कभी नहीं आता था। वह बच्चों को प्यार से पढ़ाने में विश्वास रखते थे। वह बच्चों के साथ बहुत जल्दी घुलमिल जाते थे। अध्यापक रहे मुलायम सिंह का हमेशा यही कहना था कि बच्चे प्यार की भाषा बहुत जल्दी समझते हैं, उन्हें डंडे के बल पर नहीं समझाया जा सकता।
मुलायम सिंह यादव के विद्यार्थी जीवन मित्र के रामरूप यादव जो कि सैफई से चार किलोमीटर दूर गांव चौबेपुर के रहने वाले हैं। इनके मुताबिक मुलायम सिंह बचपन से ही मिलनसार वयक्ति रहे है। हर किसी से बात करना इनके स्वभाव में शुरू से रहा है। अपनी क्लास के साथिओं को कभी यह किसी भी बात के लिए निराश नहीं करते थे। यही वजह है कि आज भी वह स्कूली छात्र और छात्राओं को हर वह सुविधाएं दे रहे हैं जो उनको बुलंदी तक ले जाएगा।

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