जौनपुर में शुरू हो गई बंदियों की ऑनलाइन पेशी
https://www.shirazehind.com/2013/11/blog-post_1720.html
जौनपुर : जेल में निरुद्ध बंदियों को अब पेशी के लिए न्यायालय नहीं जाना
पड़ेगा। वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए पेशी की व्यवस्था आनलाइन हो गई है। यह
सेवा दो दिन पहले ही चालू कर दी गई। प्रथम चरण में न्यायिक मजिस्ट्रेट
प्रथम व द्वितीय की कोर्ट में ही इसका प्रयोग किया जा रहा है। खास तौर से
अभी वही मामले पेश किए जाएंगे जिनमें मुकदमों का परीक्षण शुरू नहीं हुआ है।
हाई कोर्ट सहित महत्वपूर्ण जिलों में कांफ्रेसिंग के जरिए बंदियों की पेशी काफी समय से चल रही थी। तमाम परेशानियों को देखते हुए जिले में भी यह व्यवस्था शुरू कर दी गई। गुरुवार को जेएम प्रथम अभिमन्यु सिंह व प्रभारी जेएम द्वितीय अशोक सिंह यादव दीवानी न्यायालय स्थित कंप्यूटर कक्ष से जेल में बंदियों को पेश करने की कार्यवाही की। कंप्यूटर में लगे वेब कैमरे के जरिए जेल में बैठे जेलर से वार्ता होती है तब संबंधित फाइल के अभियुक्त को कैमरे के समक्ष पेश किया जाता है। फिलहाल! यह तो प्रथम चरण की व्यवस्था है। शीघ्र ही यह सभी अदालतों में लागू हो जाएगी। इस तरह गवाहों का बयान भी आरोपित जेल में बैठे ही सुन सकेंगे।
जेलर सत्य प्रकाश सिंह ने कहा कि अभी तो आनलाइन सेवा की शुरुआत हुई है। यदि यह सफल होती है तो एक साथ कई फायदे होंगे।
उन्होंने बताया कि लाकअप में भीड़ नहीं होगी। वाहन को कम चक्कर लगाना पड़ेगा। अनावश्यक पुलिस बल नहीं लगेगा। जेल कर्मियों को भारी भार से निजात मिलेगी। जितना वक्त पुलिस व जेल कर्मियों को बंदियों की पेशी में देना पड़ता था उतना समय देकर वे दूसरा काम और भी मनोयोग से कर सकते हैं। प्राय: बंदियों के भागने व उन पर हमला होने की भी नौबत नहीं आएगी।
हाई कोर्ट सहित महत्वपूर्ण जिलों में कांफ्रेसिंग के जरिए बंदियों की पेशी काफी समय से चल रही थी। तमाम परेशानियों को देखते हुए जिले में भी यह व्यवस्था शुरू कर दी गई। गुरुवार को जेएम प्रथम अभिमन्यु सिंह व प्रभारी जेएम द्वितीय अशोक सिंह यादव दीवानी न्यायालय स्थित कंप्यूटर कक्ष से जेल में बंदियों को पेश करने की कार्यवाही की। कंप्यूटर में लगे वेब कैमरे के जरिए जेल में बैठे जेलर से वार्ता होती है तब संबंधित फाइल के अभियुक्त को कैमरे के समक्ष पेश किया जाता है। फिलहाल! यह तो प्रथम चरण की व्यवस्था है। शीघ्र ही यह सभी अदालतों में लागू हो जाएगी। इस तरह गवाहों का बयान भी आरोपित जेल में बैठे ही सुन सकेंगे।
जेलर सत्य प्रकाश सिंह ने कहा कि अभी तो आनलाइन सेवा की शुरुआत हुई है। यदि यह सफल होती है तो एक साथ कई फायदे होंगे।
उन्होंने बताया कि लाकअप में भीड़ नहीं होगी। वाहन को कम चक्कर लगाना पड़ेगा। अनावश्यक पुलिस बल नहीं लगेगा। जेल कर्मियों को भारी भार से निजात मिलेगी। जितना वक्त पुलिस व जेल कर्मियों को बंदियों की पेशी में देना पड़ता था उतना समय देकर वे दूसरा काम और भी मनोयोग से कर सकते हैं। प्राय: बंदियों के भागने व उन पर हमला होने की भी नौबत नहीं आएगी।