नन्ही सी कब्र खोदकर असगर को गाडके शबीर उठ खड़े हुए दामन को झाड़ के

 ...... ये मंजर दिखाई पड़ रहा है जौनपुर के एक इमाम बाड़े में यहाँ के एक कलाकार ने कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन और उनके ७२ साथियों की दर्द भरी वाकया अपने कला के माध्यम से प्रस्तुत किया है उसने अपनी जादुई हाथो से इमाम हुसैन के ऊपर यजिदियो द्वारा ढाए गये जुर्म की कहानी बया की गई है अजदारो को यह झाकिया अपने आकर्षित कर रही मोहरम का महीना शुरू होते है अजखानो इमामबाड़ो और चैकों पर अजादार ताजिये रखकर इमाम हुसैन की याद में मजलिस मातम का दौर शुरू कर दिया है मोलवी मौलाना मजलिसो में कर्बला में शहीद हुए लोगो की दर्द भरी कहानिया सुनाकर याद ताज़ा करा रहे है वही जौनपुर में एक कलाकार ने अपने जादुई हाथो से कर्बला का मंजर तैयार करके उस वाकये याद दिला रही है नगर के पुरानी बाजार के इमाम बाड़े में दसवी मोहरम को किस कदर यजिदियो ने इमाम हुसैन और उने ७२ साथियों पर जुर्म ढाया उसका संजीव चित्रण है दूर दूर से अजादार पूरी आस्था के साथ इस अनोखो मंजर को देखने के लिए आ रहे है कर्बला की पूरी कहानी अपने जादुई हाथो से बया करने वाले इस कलाकार का कोई पेशा नही है बल्कि उसका इमाम हुसैन प्रति एक लगाव है उसका बस एक ही मकशद है कि हिंदुस्तान का हर नागरिक इमाम हुसैन कि शहादत के बारे में जान सके ऐ रात ना ढलना कि उजड़ जाएगी जैनब भाई से अहले सुबह वीछड़ जाएगी जैनब .... कुछ यह मंजर भी ये बया कर रही है ये झाकिया

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