अब एसपी मंज़िल सैनी ने किया यूपी सरकार को टाटा ?
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लखनऊ. मुजफ्फरनगर के दंगे की आग में आम आदमी के साथ आईपीएस
अधिकारियों की कुर्सी भी झुलसती जा रही है। ऐसे में अब प्रदेश के कई उच्च
अधिकारी प्रदेश से पलायन करने की सोच रहे हैं। पहले उत्तर प्रदेश के एडीजी
लॉ ने अखिलेश सरकार का दामन छोड़ा, तो अब मंजील सैनी ने भी उनसे किनारा करने
की अर्जी डाल दी है।
मुजफ्फरनगर के कवाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद सितंबर में
एसएसपी पद से हटाई गई मंजिल सैनी ने पांच माह की लंबी छुट्टी मांगी है। यह
छुट्टी उन्होंने प्रतिनियुक्ति पर जाने की इजाजत न मिलने के बाद मांगी है।
कानून व्यवस्था के नाम पर हटाई गई सैनी तीसरी आईपीएस हैं, जिन्होंने
प्रतिनियुक्ति पर जाने की दरख्वास्त दी थी। सैनी इस समय पीएसी की सीतापुर स्थित 11वीं वाहिनी की सेनानायक हैं।
उन्होंने लम्बे अवकाश पर जाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था इसमें
उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में जाने की इच्छा जताई थी।
सरकार ने इसकी इजाजत अभी तक नहीं दी। मंजील सैनी ने अपना पत्र पीएसी
मुख्यालय के डीआईजी को दिया था। जिन्होंने उनकी छुट्टी का प्रार्थना पत्र
डीजी रंजन द्विवेदी के पास भेजा है। वैसे मंजिल सैनी कोई पहली अफसर नही हैं जिन्हें दंगे की वजह से हटाया गया।
कुछ समय पहले एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) अरुण कुमार को भी पद से हटा दिया गया
था। उससे पहले एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) सुबेश कुमार सिंह और एडीजी जगमोहन यादव
को भी इसी आधार पर हटाया गया था। इनके अलावा डीजी बृजलाल, डीआईजी विजय प्रकाश, आईपीएस एंटनी देवकुमार,
पी.अंबेडकर, शचि घिल्डियाल समेत 18 आईपीएस अफसरों ने केंद्रीय
प्रतिनियुक्ति पर जाने की अपनी मंशा जता चुके हैं। मतलब साफ है की आईपीएस
कैडर के उच्च अधिकारी उत्तर प्रदेश में काम करना नहीं चाहते।
MULLA YAM KE RAAJ ME YAHI HOGA
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