मुसलमानो के हितैषी मुलायम के जिले में घर में ही शव दफनाते है मुस्लिम

इटावा. इटावा में एक ऐसा गांव जहां लोगों को मरने के बाद दफनाने के लिए दो गज़ ज़मीन नहीं मिलती है। इस कारण यहां के लोग अपने ही घरों को कब्रिस्तान बनाने औऱ लाशो के बीच रहने को को मजबूर हैं 
मुलायम के गृह जनपद इटावा के चकरनगर गांव में मुस्लिम समुदाय के लोग अपने परिजनों के शव को अपने ही घरों और बाहर रोड पर दफनाने को मजबूर हैं
गांव वालों का आरोप है कि शासन प्रशासन की अनदेखी के चलते इस गांव का मुस्लिम समुदाय ने अपने ही घरों को कब्रिस्तान बना डाला है। यहां रहने वाले मुस्लिम समुदाय के पास कब्रिस्तान की जमीन न होने के कारण घर वाले परिजनों की मौत के बाद उन्हें अपने ही घर में दफ़नाने को मजबूर हैं। इसी कारण हर घर में चार-पांच कब्रें बनी हैं। उन्ही कब्रों के पास यह लोग अपनी जिदंगी बसर कर रहे हैं। पेट भरने के लिए चूल्हा जलाने से लेकर खाना पीना, लेटना बैठना, नहाना धोना यहां तक की शादी ब्याह भी उन्ही कब्रों के पास होता है।

 जबकि इस्लाम में इसे गुनाह माना गया है। लोगों का कहना है कि यही हमारा घर है और यही कब्रिस्तान। यहीं पैदा होते है और यही दफ़न भी।  अल्पसंख्यकों की राजनीति कर सैफई से संसद तक पहुंचे वाले समा मुखिया मुलायम सिंह के गृह जनपद इटावा में इन्हीं लोगों के लिए मरने के बाद दो गज जमीन भी नसीब नही होती है। यह हाल प्राचीन इष्टिकापुरी से बने इटावा के चकरनगर गांव का। तीन हज़ार की आबादी वाले इस क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के पचास मकान हैं। लेकिन इस समुदाय के लोगों के पास मौत के बाद कब्रिस्तान की ज़मीन न होने के कारण यह लोग मृतक व्यक्ति को अपने ही घर में दफ़न करते हैं। जिसके चलते आज हर घर में चार-पांच कब्रें बनी हुई हैं।

उस गांव की नगीना बेगम के अनुसार उनके घर में दो कमरे हैं। जिसमें एक कमरे में उनके जेठ और सास को दफनाया गया है। जबकि घर के बाहर उनके पति की बहन और देवर की कब्र है। यह हाल सिर्फ इनके घर का ही नहीं है, बल्कि इस गांव में रहने वाले सभी मुस्लिम परिवारों का है।
सबके घरों में कम से कम चार से पांच कब्र हैं और उन्ही कब्रों के बीच यह रहने को मजबूर हैं। नगीना कि माने तो गांव के आसपास दूर-दूर तक कोई कब्र नहीं होने के कारण घरों को ही कब्रिस्तान बना डाला है।
वहीं मोहम्मद इस्लाम की माने तो जब से यह गांव बसा है तब से लेकर आज तक इस गांव में अधिकारी भी आते हैं और राजनैतिक पार्टी के नेता भी। लेकिन काम निकल जाने के बाद कोई पलट कर भी नहीं आता।
वहीं मोहम्मद इस्लाम की माने तो जब से यह गांव बसा है तब से लेकर आज तक इस गांव में अधिकारी भी आते हैं और राजनैतिक पार्टी के नेता भी। लेकिन काम निकल जाने के बाद कोई पलट कर भी नहीं आता। इस्लाम के मुताबिक दस साल पहले इनकी मां का इंतकाल हो गया। जिसके बाद इन्होंने उसका कब्र घर के अंदर ही बना दिया। उसके बाद उनकी बहन और पत्नी का भी इंतकाल हो गया। उनको भी इन्होने अपने घर के अंदर ही दफना दिया। आज इनके घर में कुल चार कब्र हैं और इन्ही कब्र के बीच यह अपने बच्चों के साथ रहने को मजबूर हैं। इनके मुताबिक वह दिन दूर नहीं जब पूरा मोहल्ला कब्रिस्तान में तब्दील हो जाएगा और लोग अपना घर छोड़ने पर मजबूर हो जाएंगे। एक दिन वह आएगा जब यह लोग सड़कों पर होंगे और यह पूरा मोहल्ला कब्रिस्तान के नाम से जाना जाएगा।

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