सरकार 24 घंटे के भीतर राज्यकर्मियों से वार्ता करे।
https://www.shirazehind.com/2013/11/24.html
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आठ दिनों से चल रही राज्यकर्मियों की हड़ताल को
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया
है कि वह 24 घंटे के भीतर राज्यकर्मियों से वार्ता करे। प्रदेश में आवश्यक
सेवाओं की बहाली भी सुनिश्चित की जाए। मुख्य सचिव से कहा है कि जो कदम उठाए
जाएं, उसका ब्योरा 22 नवंबर को हलफनामे के साथ अदालत में पेश किया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसके सिंह तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खडपीठ ने अजय कुमार पंडिता की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया। याची का कहना है कि कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश में आवश्यक सेवाएं ठप हो गई हैं। लोगों को इससे भारी परेशानी हो रही है। नियमावली के अंतर्गत कर्मचारियों को हड़ताल कर आवश्यक सेवाएं ठप करने का वैधानिक अधिकार नहीं है। कर्मचारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नंदन ने कहा कि सरकार की तरफ से हड़ताल समाप्त कराने के लिए ठोस प्रस्ताव नहीं लाए गए हैं। कोर्ट ने सरकार को हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता कर हल निकालने को कहा है और मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि आवश्यक सेवाओं की बहाली के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि सरकार हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता कर रही है किंतु अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है। इससे पहले याची की ओर से अधिवक्ता चंदू त्रिपाठी व आचार्य राजेश त्रिपाठी ने कहा कि उप्र राज्य कर्मचारी सेवा आचरण नियमावली का कड़ाई से पालन कराया जाए और कर्मचारियों को नियमानुसार कार्य करने के लिए बाध्य किया जाए। याचिका की सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
हड़ताल पर सुनवाई गुरुवार को : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में चल रही राज्य कर्मचारियों की हड़ताल को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को 21 नवंबर को सूचीबद्ध करते हुए कहा है कि उ'च न्यायालय इलाहाबाद में समान याचिका में पारित आदेश से अगली सुनवाई पर पीठ को अवगत कराया जाए। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में समान तथ्यों वाली याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में विचाराधीन है। याचिका में कहा गया है कि हड़ताल से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
मुख्य न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चन्द्र चूड़ व न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी की खंडपीठ ने यह आदेश याची मोती लाल यादव की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य कर्मचारियों की हड़ताल से अनेक आवश्यक सेवाओं समेत स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। याचिका में मांग की गई है कि इस हड़ताल के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दायर की गई है। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई पर इलाहाबाद में दायर याचिका का ब्योरा पेश किया जाए।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसके सिंह तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की खडपीठ ने अजय कुमार पंडिता की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया। याची का कहना है कि कर्मचारियों की हड़ताल से प्रदेश में आवश्यक सेवाएं ठप हो गई हैं। लोगों को इससे भारी परेशानी हो रही है। नियमावली के अंतर्गत कर्मचारियों को हड़ताल कर आवश्यक सेवाएं ठप करने का वैधानिक अधिकार नहीं है। कर्मचारियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शशि नंदन ने कहा कि सरकार की तरफ से हड़ताल समाप्त कराने के लिए ठोस प्रस्ताव नहीं लाए गए हैं। कोर्ट ने सरकार को हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता कर हल निकालने को कहा है और मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि आवश्यक सेवाओं की बहाली के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता रमेश उपाध्याय ने बताया कि सरकार हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता कर रही है किंतु अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सका है। इससे पहले याची की ओर से अधिवक्ता चंदू त्रिपाठी व आचार्य राजेश त्रिपाठी ने कहा कि उप्र राज्य कर्मचारी सेवा आचरण नियमावली का कड़ाई से पालन कराया जाए और कर्मचारियों को नियमानुसार कार्य करने के लिए बाध्य किया जाए। याचिका की सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
हड़ताल पर सुनवाई गुरुवार को : इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में चल रही राज्य कर्मचारियों की हड़ताल को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को 21 नवंबर को सूचीबद्ध करते हुए कहा है कि उ'च न्यायालय इलाहाबाद में समान याचिका में पारित आदेश से अगली सुनवाई पर पीठ को अवगत कराया जाए। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में समान तथ्यों वाली याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में विचाराधीन है। याचिका में कहा गया है कि हड़ताल से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है।
मुख्य न्यायमूर्ति धनंजय यशवंत चन्द्र चूड़ व न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी की खंडपीठ ने यह आदेश याची मोती लाल यादव की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य कर्मचारियों की हड़ताल से अनेक आवश्यक सेवाओं समेत स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। याचिका में मांग की गई है कि इस हड़ताल के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं। राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में एक जनहित याचिका उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दायर की गई है। अदालत ने कहा कि अगली सुनवाई पर इलाहाबाद में दायर याचिका का ब्योरा पेश किया जाए।