24 सालों में मेरी जिंदगी 22 गज में सिमटी रही :सचिन
https://www.shirazehind.com/2013/11/24-22.html
वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में तीसरे दिन, यानी शनिवार को ही भारत जीत गया और सचिन की शानदार विदाई हुई। शनिवार को वानखेड़े स्टेडियम में हजारों प्रशंसकों के सामने सचिन
के एक-एक शब्द इतिहास का हिस्सा बनने के लिए गूंज रहे थे। दुनिया के इस
महान बल्लेबाज ने रिटायरमेंट के भावुक क्षणों में अपने तमाम प्रशंसकों का
शुक्रिया अदा किया और उन सबके प्रति आभार जताया, जिनके चलते उन्हें यह
मुकाम हासिल हुआ। मैच खत्म होने के बाद सचिन ने कहा .....
पिछले 24 सालों में मेरी जिंदगी 22 गज में सिमटी रही। सचिन ने लिस्ट निकाली और कहा कि मैं सबके नाम लिखकर लाया हूं ताकि
किसी को भूल न जाऊं। सबसे पहले अपने पिता रमेश तेंदुलकर का नाम लेकर सचिन
बोले, 'उनके निर्देशन के बिना मैं आपके सामने इस वक्त न खड़ा होता। 11 साल
की उम्र में उन्होंने मुझे कहा कि अपने सपनों का पीछा करो। जब भी मैंने कुछ
खास किया और अपना बल्ला हवा में उठाया, यह उन्हीं के लिए था।
मां के अलावा अंकल-आंटी को भी याद किया....
अपनी मां को याद करते हुए सचिन बोले 'मुझे संभालना आसान नहीं था।
उन्होंने मेरे जैसे शरारती बच्चे को कैसे संभाला होगा! उन्हें हर वक्त मेरी
सेहत की फिक्र रहती। हर वक्त इस बात का ध्यान रखा। जिस दिन से मैंने
क्रिकेट खेलना शुरू किया, उन्होंने मेरे लिए प्रार्थना शुरू कर दी। उन्हीं
की दुआओं से मैं यहां तक पहुंचा।' सचिन ने कहा 'स्कूल के दिनों में मैं चार
साल तक अपने अंकल आंटी के पास रहा क्योंकि मेरा घर स्कूल से दूर था। मेरे
अंकल-आंटी ने मेरे लिए बहुत मेहनत की। मेरी आंटी सुबह-सुबह उठकर मुझे खाना
देती थीं और प्रैक्टिस पर भेजती थीं। उन्होंने मेरे लिए बहुत मेहनत की,
मुझे अपना बेटा समझा। मैं उनका शुक्रिया किए बिना नहीं रह सकता।'
बहन का जिक्र किया.....
मेरे भाई नितिन और बहन सविता ने मुझे सब कुछ दिया। सविता ने मुझे
जिंदगी का सबसे पहला बैट दिया था, जहां से यह सफर शुरू किया। जब भी मैं
बैटिंग करता हूं वह आज तक भी व्रत रखती हैं। मेरे भाई ने मेरे लिए अपना
करियर बलिदान कर दिया। उनके बारे में मैं क्या कहूं! रात मैं जब उनसे बात
कर रहा था तो हमें पता था कि अब बैटिंग का चांस नहीं मिलेगा। वह तब भी मेरी
टेक्निक के बारे में बात कर रहे थे। मैं नहीं खेल रहा हूंगा, तब भी यही सब
होगा। वह न होते तो मैं कमतर क्रिकेटर होता।
अंजलि औऱ बच्चों के बारे में
1990 में मेरे साथ सबसे खूबसूरत बात हुई, जब मैं अंजलि से मिला। वे
खास साल थे। अंजलि डॉक्टर हैं। उनके सामने शानदार करियर था। जब हमने परिवार
बढ़ाने के बारे में सोचा तो अंजलि पीछे हटीं और बोलीं कि तुम क्रिकेट में
आगे बढ़ो, मैं परिवार संभालूंगी। उन्होंने मुझे बहुत सहा है। अंजलि, तुम
मेरी लाइफ की बेस्ट पार्टनरशिप थीं।
बच्चे बड़े हो गए हैं। मेरी बेटी 16 साल की है और बेटा 14 का। मैं
उनके साथ बहुत वक्त बिताना चाहता था। उनके बर्थडे, स्पोर्ट्स डे वगैरह को
मैंने बहुत मिस किया। शुक्रिया कि तुमने मुझे समझा। तुम दोनों मेरे लिए
बहुत स्पेशल हो। तुम सोच भी नहीं सकते कितना। बस अब, आने वाले साल तुम्हारे
हैं।
सचिन ने दोस्तों के बारे में कहा
वे ऐसे दोस्त थे जो अपना काम छोड़कर मुझे बॉल डालने लगते थे। जब भी
मुझे लगा कि चोटों की वजह से मेरा करियर खत्म हो रहा था, तब उन्होंने मुझे
यकीन दिलाया कि मेरा करियर अभी खत्म नहीं हुआ।'
कोच के बारे में सचिन ने कहा--
11 साल की उम्र में मेरा करियार शुरू हुआ। लेकिन मेरे करियर का
टर्निंग पॉइंट था जब मेरा भाई मुझे आचरेकर सर के पास लेकर गया। कल उन्हें
स्टैंड्स में देखना मेरे लिए गर्व की बात थी। पहले तो वह बस टीवी पर ही
मुझे देखते थे। लेकिन कल वह आए। सर मुझे अपने स्कूटर पर मुंबई के एक मैदान
से दूसरे मैदान तक ले जाते थे, ताकि मेरी ज्यादा से ज्यादा मैच प्रैक्टिस
हो सके। लेकिन एक बात है। पिछले 29 साल में उन्होंने मुझे कभी वेल प्लेड
नहीं कहा। उन्हें डर था कि मैं ज्यादा ही खुश न हो जाऊं और मेहनत करना न
छोड़ दूं। सर, अब आप मुझे कह सकते हैं, वेल प्लेड सचिन। अब कोई मैच नहीं
बचा है।'
साथियों के लिए
सचिन ने मैदान को, मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन, बीसीसीआई, अपने
सिलेक्टर्स, सीनियर्स, साथी खिलाड़ियों राहुल द्रविड़, लक्ष्मण, सौरभ
गांगुली, अनिल कुंबले, अपने पहले मैनेजर मार्क मस्ट्रेनर्स, सारे कोच,
डॉक्टर्स, फिजियो और सपोर्ट स्टाफ का शुक्रिया किया। ऐसा लग रहा था कि सचिन
किसी को भूलना नहीं चाहते थे। उन्होंने मीडिया और फोटोग्राफर्स को धन्यवाद
कहा।
फैन्स के लिए
'मेरी स्पीच लंबी हो रही है...बस आखिरी बात।' 'मैं पूरी दुनिया से आए
आप लोगों का शुक्रिया करना चाहता हूं। आपका सपोर्ट मेरे लिए बेशकीमती है।
लोग मेरे लिए व्रत रखते हैं, प्रार्थना करते हैं। उनके बिना वक्त ऐसा नहीं
होता। वक्त बहुत जल्दी बीत गया लेकिन ये यादें हमेशा मेरे साथ रहेंगे। और
एक बात जो मेरे जहन में हमेशा गूंजती रहेगी, वह है... सचिन...सचिन...यह
आखिरी सांस तक मेरे जहन में गूंजता रहेगा...गुड बाय।'