यूपी के 10 सफ़ेद पोश माननीयो की जन्म कुंडली
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88 नेताओं के खिलाफ ह्त्या, बलात्कार और दंगे भड़काने जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं
यूपी के जौनपुर जिले से सांसद धनंजय सिंह की पत्नी पर नौकरानी की हत्या का आरोप लगा। वहीं धनंजय सिंह पर भी आपराधिक षड़यंत्र रचने और सबूत मिटाने का आरोप लगा। यही नहीं इस मामले के सामने आने के बाद धनंजय सिंह के ऊपर दिल्ली के मयूर विहार की रहने वाली महिला ने 5 वर्ष तक रेप करने का आरोप लगाया। इसी के साथ एक बार फिर जन राजनीतिज्ञों और जन प्रतिनिधियों के दागी होने और राजनीति के अपराधीकरण पर चर्चा गर्म हो चली है। यूपी विधान सभा में 47 फीसदी विधायक दागी हैं। सदन में दागी विधायकों की संख्या के मामले में प्रदेश का नाम शर्मनाक तरीके से देश में सबसे अव्वल है। यहां कुल 189 विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ कोई ना कोई आपराधिक मामले चल रहे हैं। इलेक्शन वॉच संस्था ने वर्ष 2012 के विधान सभा चुनावों में विजयी हुए दागी नेताओं की सूची जारी की थी। इनमें से 189 विजयी विधायकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। उनमें से 88 नेताओं के खिलाफ ह्त्या, बलात्कार और दंगे भड़काने जैसे गंभीर माने जाने वाले अपराध दर्ज हैं। चकाचक सफ़ेद खादी पहनने वाले नेताओं का इतिहास कितना काला है, यह इस सूची से पता चलता है। इन 88 नेताओं में से टॉप टेन में 8 सपा के विधायक हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं: अलीगंज एटा से सपा के रामेश्वर सिंह, ज्ञानपुर से सपा के विजय कुमार, बीकापुर से सपा के मित्रसेन यादव, गोसाईंगंज से सपा अभय सिंह, लखनऊ सेंट्रल से सपा के रविदास मेहरोत्रा, अमरोहा से सपा के महबूब अली, मऊ से निर्दलीय मुख्तार अंसारी, डिबाई से सपा के श्री भगवान शर्मा, तमकुही राज से कांग्रेस के अजय कुमार उर्फ लल्लू और सीतापुर से सपा के राधेश्याम जायसवाल शामिल हैं।
पहले नंबर पर फैजाबाद की मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे मित्रसेन यादव हैं। यादव को फांसी की सजा मिल चुकी है लेकिन राज्यपाल से क्षमादान मिलने के चलते यह आज भी राजनैतिक जीवन में सक्रिय है। इनके बेटे आनंदसेन ने इनकी इस शर्मनाक परंपरा को आगे ही बढ़ाया है। बहुचर्चित शशि हत्याकांड में आनंदसेन मुख्य आरोपी हैं। 2012 में इनपर कुल 35 मुकदमे दर्ज हैं। लगभग सभी मुकदमों में तीन से ज्यादा धाराएं यानि कि आरोप लगे हैं। मित्रसेन यादव हत्या के एक मामले में अपराधी करार दिए गए हैं और राष्ट्रपति से इन्हें जीवनदान मिला है। गंभीर बात यह है कि राज्यपाल से जीवनदान मिलने के बाद भी मित्रसेन यादव ने अपराध से किनारा नहीं किया है और तकरीबन एक दर्जन मुकदमे जीवनदान मिलने के बाद इनपर दर्ज हुए हैं। इनपर 11 बार किसी की हत्या करने की कोशिश करने का और तीन बार किसी की हत्या कर देने का मुकदमा दर्ज है। डकैती और लूट के भी मामले इनपर दर्ज हैं। वर्ष 2009 में जब मित्रसेन यादव ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था, तब इन पर कुल 20 मुकदमे थे। तीन साल में पंद्रह मुकदमे बढ़ गए। 11 जुलाई 1934 को फैजाबाद के एक गांव में जन्मे मित्रसेन यादव को वर्ष 1966 में जटाशंकर तिवारी और सुरेंद्र तिवारी के दोहरे कत्ल के लिए फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इनकी हत्या उन्होंने 1964 में की थी। वर्ष 1972 में कांग्रेसी नेता कमलापति त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से इनकी फांसी माफी की अपील की तो 7 अक्टूबर 1972 को तत्कालीन राज्यपाल ने इन्हें दया की माफी दे दी। एटा के अलीगंज विधान सभा क्षेत्र से विधायक रामेश्वर सिंह के खिलाफ कुल 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं। कुख्यात डकैत लाला राम के बेटे रामेश्वर सिंह यादव के खिलाफ दर्ज मुकदमों के में चार बार हत्या का प्रयास, तीन डकैती, दो फिरौती मांगने के मुकदमे है। रामेश्वर सिंह खिलाफ एक हत्या का भी मुकदमा है । इतना ही नहीं रामेश्वर सिंह ने 14 बार दंगे भड़काने के कारगुजारी की है। वर्ष 2007 के चुनाव में रामेश्वर सिंह पर कुल 4 मुकदमे थे, जिनमें एक मामला हत्या का, दो हत्या के प्रयास के, एक डकैती का था। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने वाले रामेश्वर सिंह 2007 के विधानसभा चुनावों में हार मिली और महज -0।51 प्रतिशत वोट मिले थे।
इस सूची में अगला नंबर है 17 मुकदमों में आरोपी लखनऊ मध्य सीट से सपा विधयक रविदास मेहरोत्रा का। हालाँकि मेहरोत्रा दावा करते हैं कि जन समस्याओं को उठाने के लिए उनके विरोधियों ने उन पर यह मुकदमे दर्ज कराये हैं। रविदास मेहरोत्रा लखनऊ यूनिवर्सिटी के से लॉ ग्रेजुएट हैं। वर्ष 1984 से शुरू हुए इनके आपराधिक करियर में अब तक कुल 17 मुकदमें दर्ज हैं। मेहरोत्रा पर चल रहे मुकद्दमों में एक हत्या, एक हत्या का प्रयास तीन बार सांप्रदायिक दंगे भड़काने और 12 बार गैर सांप्रदायिक बलवा भड़काने के मुकदमे विचाराधीन हैं।
ज्योतिबा फुले नगर की अमरोहा सीट से सपा विधायक महबूब अली के ऊपर 1999 से 2011 के बीच दर्ज हुए 15 आपराधिक मामले दर्ज हुए। महबूब अली ने एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान यह कहा कि वे अपनी सरकारी गाड़ी में ड्रग्स सप्लाई कर सकते हैं। इन्हें अखिलेश सरकार ने कपड़ा और रेशम उत्पादन मंत्रालय का प्रभार दिया हुआ है। महबूब अली जब मंत्री बनकर अपने विधान सभा क्षेत्र पहुंचे तो उनके स्वागत में निकाले गए जुलूस में उनके समर्थकों ने खुले आम फायरिंग कर दहशत का माहौल पैदा कर दिया।
यूपी के जौनपुर जिले से सांसद धनंजय सिंह की पत्नी पर नौकरानी की हत्या का आरोप लगा। वहीं धनंजय सिंह पर भी आपराधिक षड़यंत्र रचने और सबूत मिटाने का आरोप लगा। यही नहीं इस मामले के सामने आने के बाद धनंजय सिंह के ऊपर दिल्ली के मयूर विहार की रहने वाली महिला ने 5 वर्ष तक रेप करने का आरोप लगाया। इसी के साथ एक बार फिर जन राजनीतिज्ञों और जन प्रतिनिधियों के दागी होने और राजनीति के अपराधीकरण पर चर्चा गर्म हो चली है। यूपी विधान सभा में 47 फीसदी विधायक दागी हैं। सदन में दागी विधायकों की संख्या के मामले में प्रदेश का नाम शर्मनाक तरीके से देश में सबसे अव्वल है। यहां कुल 189 विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ कोई ना कोई आपराधिक मामले चल रहे हैं। इलेक्शन वॉच संस्था ने वर्ष 2012 के विधान सभा चुनावों में विजयी हुए दागी नेताओं की सूची जारी की थी। इनमें से 189 विजयी विधायकों के खिलाफ आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। उनमें से 88 नेताओं के खिलाफ ह्त्या, बलात्कार और दंगे भड़काने जैसे गंभीर माने जाने वाले अपराध दर्ज हैं। चकाचक सफ़ेद खादी पहनने वाले नेताओं का इतिहास कितना काला है, यह इस सूची से पता चलता है। इन 88 नेताओं में से टॉप टेन में 8 सपा के विधायक हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं: अलीगंज एटा से सपा के रामेश्वर सिंह, ज्ञानपुर से सपा के विजय कुमार, बीकापुर से सपा के मित्रसेन यादव, गोसाईंगंज से सपा अभय सिंह, लखनऊ सेंट्रल से सपा के रविदास मेहरोत्रा, अमरोहा से सपा के महबूब अली, मऊ से निर्दलीय मुख्तार अंसारी, डिबाई से सपा के श्री भगवान शर्मा, तमकुही राज से कांग्रेस के अजय कुमार उर्फ लल्लू और सीतापुर से सपा के राधेश्याम जायसवाल शामिल हैं।
पहले नंबर पर फैजाबाद की मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र से सपा के टिकट पर जीतकर विधानसभा पहुंचे मित्रसेन यादव हैं। यादव को फांसी की सजा मिल चुकी है लेकिन राज्यपाल से क्षमादान मिलने के चलते यह आज भी राजनैतिक जीवन में सक्रिय है। इनके बेटे आनंदसेन ने इनकी इस शर्मनाक परंपरा को आगे ही बढ़ाया है। बहुचर्चित शशि हत्याकांड में आनंदसेन मुख्य आरोपी हैं। 2012 में इनपर कुल 35 मुकदमे दर्ज हैं। लगभग सभी मुकदमों में तीन से ज्यादा धाराएं यानि कि आरोप लगे हैं। मित्रसेन यादव हत्या के एक मामले में अपराधी करार दिए गए हैं और राष्ट्रपति से इन्हें जीवनदान मिला है। गंभीर बात यह है कि राज्यपाल से जीवनदान मिलने के बाद भी मित्रसेन यादव ने अपराध से किनारा नहीं किया है और तकरीबन एक दर्जन मुकदमे जीवनदान मिलने के बाद इनपर दर्ज हुए हैं। इनपर 11 बार किसी की हत्या करने की कोशिश करने का और तीन बार किसी की हत्या कर देने का मुकदमा दर्ज है। डकैती और लूट के भी मामले इनपर दर्ज हैं। वर्ष 2009 में जब मित्रसेन यादव ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था, तब इन पर कुल 20 मुकदमे थे। तीन साल में पंद्रह मुकदमे बढ़ गए। 11 जुलाई 1934 को फैजाबाद के एक गांव में जन्मे मित्रसेन यादव को वर्ष 1966 में जटाशंकर तिवारी और सुरेंद्र तिवारी के दोहरे कत्ल के लिए फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। इनकी हत्या उन्होंने 1964 में की थी। वर्ष 1972 में कांग्रेसी नेता कमलापति त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल से इनकी फांसी माफी की अपील की तो 7 अक्टूबर 1972 को तत्कालीन राज्यपाल ने इन्हें दया की माफी दे दी। एटा के अलीगंज विधान सभा क्षेत्र से विधायक रामेश्वर सिंह के खिलाफ कुल 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं। कुख्यात डकैत लाला राम के बेटे रामेश्वर सिंह यादव के खिलाफ दर्ज मुकदमों के में चार बार हत्या का प्रयास, तीन डकैती, दो फिरौती मांगने के मुकदमे है। रामेश्वर सिंह खिलाफ एक हत्या का भी मुकदमा है । इतना ही नहीं रामेश्वर सिंह ने 14 बार दंगे भड़काने के कारगुजारी की है। वर्ष 2007 के चुनाव में रामेश्वर सिंह पर कुल 4 मुकदमे थे, जिनमें एक मामला हत्या का, दो हत्या के प्रयास के, एक डकैती का था। नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ने वाले रामेश्वर सिंह 2007 के विधानसभा चुनावों में हार मिली और महज -0।51 प्रतिशत वोट मिले थे।
इसके
बाद नंबर आता है संत रविदास नगर के ज्ञानपुर विधान सभा क्षेत्र के सपा
विधायक विजय कुमार मिश्रा इनके खिलाफ कुल 25 मामले दर्ज हैं। विजय कुमार
मिश्रा पर मायावती शासनकाल के दौरान 12 जुलाई, 2010 को इलाहाबाद में बम से
एक हमला करने का आरोप है। यह हमला मायावती सरकार में मंत्री नंद गोपाल
गुप्ता नंदी पर हुआ था। इसमें एक प्रेस फोटोग्राफर की मौत हो गई और नंदी और
उनके सुरक्षा अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इसके बाद विजय मिश्रा 8
महीनों तक फरार रहे जिसके बाद उन्हें दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया।
मिश्रा अखिलेश सरकार की कृपा से इस समय अपने गृहनगर के पडोसी जिले इलाहबाद
के नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं।
इसके बाद नंबर आता है छात्र नेता के रूप में अपना राजनितिक करियर शुरू करने
वाले अभय सिंह का। सिंह फैजाबाद के गोसाईंगंज से सपा विधायक हैं। स्टेट
इलेक्शन कमीशन को दिए गए हलफनामे में इनके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं
में 18 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमे हत्या, जबरदस्ती वसूली, सार्वजनिक
कर्मचारियों को प्रताड़ित करने, दंगा-बलवा, और अवैध हथियार रखने जैसे आरोप
हैं। अभय सिंह के गैंग का सम्बन्ध मुख्तार अंसारी के गैंग के साथ है। इस
बाहुबली विधायक का खौफ इतना कि इसके खिलाफ चल रहे मामलों में 36 गवाहों ने
अपना नाम वापस ले लिया है। अब सपा सरकार भी अभय सिंह के खिलाफ दर्ज
मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया में है।इस सूची में अगला नंबर है 17 मुकदमों में आरोपी लखनऊ मध्य सीट से सपा विधयक रविदास मेहरोत्रा का। हालाँकि मेहरोत्रा दावा करते हैं कि जन समस्याओं को उठाने के लिए उनके विरोधियों ने उन पर यह मुकदमे दर्ज कराये हैं। रविदास मेहरोत्रा लखनऊ यूनिवर्सिटी के से लॉ ग्रेजुएट हैं। वर्ष 1984 से शुरू हुए इनके आपराधिक करियर में अब तक कुल 17 मुकदमें दर्ज हैं। मेहरोत्रा पर चल रहे मुकद्दमों में एक हत्या, एक हत्या का प्रयास तीन बार सांप्रदायिक दंगे भड़काने और 12 बार गैर सांप्रदायिक बलवा भड़काने के मुकदमे विचाराधीन हैं।
ज्योतिबा फुले नगर की अमरोहा सीट से सपा विधायक महबूब अली के ऊपर 1999 से 2011 के बीच दर्ज हुए 15 आपराधिक मामले दर्ज हुए। महबूब अली ने एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान यह कहा कि वे अपनी सरकारी गाड़ी में ड्रग्स सप्लाई कर सकते हैं। इन्हें अखिलेश सरकार ने कपड़ा और रेशम उत्पादन मंत्रालय का प्रभार दिया हुआ है। महबूब अली जब मंत्री बनकर अपने विधान सभा क्षेत्र पहुंचे तो उनके स्वागत में निकाले गए जुलूस में उनके समर्थकों ने खुले आम फायरिंग कर दहशत का माहौल पैदा कर दिया।
इलेक्शन
वाच के अनुसार मुख्तार अंसारी के खिलाफ 15 मुकदमें दर्ज हैं, लेकिन इस डॉन
के अआप्रधिक कारनामों की लिस्ट बहुत लम्बी है। एक अपहरण के मामले में 1993
में गिरफ्तार हुए मुख्तार अंसारी ने पुलिस के सामने दिए बयान में 10
हत्याओं की बात कबूली थी। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, वाराणसी,
जौनपुर, देवरिया, आजगढ़, मऊ, गोरखपुर, बलिया, गोंडा, फैजाबाद सहित डेढ़ दर्जन
जिलों में खौफ के दूसरे नाम से कुख्यात मुख्तार अंसारी का दावा है कि वह
गरीबों का मसीहा है। मुख्तार पर गाजीपुर, वाराणसी और दिल्ली में हत्या,
बलवा, अपहरण तथा साम्प्रदायिकता फैलाने के लगभग डेढ़ दर्जन मुकदमे दर्ज हैं।
नई दिल्ली के कालका जी थाने में प्रतिबंधित विदेशी शस्त्र रखने के मुकदमे
में यह डॉन टाडा का भी मुजरिम बन चुका है। मुख्तार अंसारी नेपाल के
मुजरिमों जैसे दिलशाद बेग के जरिये आईएसआई से संपर्क होने का भी शक रहा
है।
बुलंदशहर
के डिबाई क्षेत्र से सपा विधायक गुड्डू पंडित ऊपर रेप जैसे घिनौने अपराध
का आरोप लग चुका है। कभी अमरमणि के ड्राईवर के रूप में जाने वाला केवल
10वीं पास गुड्डू पंडित ने अपने आका अमम्र्मानी की ही तरह अपराध और राजनीती
दोनों में अपना करियर बनाया है। गुड्डू पंडित के खिलाफ इस वक़्त 13 आपराधिक
मुकदमें दर्ज हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुड्डू पंडित का रसूख इतना है
कि यह बाहुबली नॉएडा जैसे जिले की पुलिस वेबसाइट से अपनी हिस्ट्रीशीत तक
गायब करवा चुका है। यह बाहुबली विधायक एक बार दुर्घटना के मामले में पैरवी
करने के लिए अपने क्षत्र के ग्रामीणों को बस में बैठकर खुद बस ड्राइव करते
हुए एसएसपी कार्यालय जा पहुंचा था।
कुशीनगर जिले की तमकुहीराज सीट से कांग्रेस के विधायक अजय कुमार लल्लू अपने
आपको प्रदेश का सबसे गरीब विधायक मानते हैं। अजय ग्रेजुएट हैं और विधान
सभा चुनावों के समय दाखिल हलफनामे के अनुसार इनके बैंक में जमा पैसे और
जमीनें आदि मिलाकर इनकी कुल संपत्ति 96 हजार 586 रुपये मात्र थी। यह बात
अलग है कि इस सबसे गरीब विधायक के खिलाफ भी 12 आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं।
सीतापुर से विधान सभा पहुंचे राधेश्याम जायसवाल केवल कक्षा आठ पास हैं और
इन पर वर्तमान में 11 मुकदमें दर्ज हैं। इनमे से छह मुकदमें न्यायालय में
विचाराधीन हैं, पांच मुकदमों में फाइनल रिपोर्ट लगी और छह मुकदमों में दोष
मुक्त भी साबित हो चुके हैं । बीती अगस्त में इनपर आरोप लगा कि इनकी शह पर
इनके बेटों ने जमीन कब्जाने के लिए ग्रामीणों पर गोली चलायी जिसमे एक
ग्रामीण बुरी तरह घायल हो गया था। इस घटना के तुरन्त बाद इस घटना का आरोपी
राधेश्याम का बेटा संदिग्ध परिस्थियों में हुए रोड एक्सीडेंट में मारा गया।