........... मंजिलों का क्या , रोज बदलती रहती हैं


मंजिल पाना तो मेरा मकसद ना था ,
रास्तों से पहचान जिंदगी का सबब था ।
 मंजिलों का क्या , रोज बदलती रहती हैं ,
रास्तों का मकसद ,मंजिल तक पहुचाना था ।
 डॉ अ कीर्तिवर्धन

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