प्रधानमन्त्री के नाम पाती
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प्रति’ठा में,
आदरणीय प्रधानमन्त्री जी,
भारत सरकार
मान्यवर,
यथोचित अभिवादनोपरान्त उ0प्र0 के पूर्वांचल की जनता विनम्रता पूर्वक आपके समक्ष यह जिज्ञासा प्रकट करती है कि जनहित के प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों तथा उचित जन आकांक्षाओं की पूर्ति हेतु शीर्ष नेतृत्व को आधी शताब्दी यानि पूरे 50 साल की अवधि भी क्या अल्पावधि है? या फिर 50 वर्षो तक इस धैर्यवान जनता ने जिस धैर्य का परिचय दिया है वह अनदेखी योग्य? या फिर हर उचित काम के लिए जनता के समक्ष जनान्दोलन ही एकमात्र विकल्प? महोदय इस जिज्ञासा के साथ सादर आपका ध्यान आकृ’ट कराना है कि उत्तर प्रदेश पूर्वांचल की लोक सभा सीट गाजीपुर से चुने गये सासंद विशवनाथ सिंह गहमरी ने पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्रीत्व काल में पूर्वाचल में व्याप्त गरीबी की सच्ची तस्वीर दिखाने के उद्दे”य से संसद में यहाॅं से ले गये बैलों के गोबर को घोल कर उसमें से अनाज छानकर निकाला और अनाज को दिखाते हुए यह बताया कि पूर्वाचल में गरीबी व भुखमरी का यह आलम है कि इसी प्रकार गोबर से निकला हुआ अनाज ही सामान्यजन के भोजन का एक मात्र सहारा है।
इस कारूणिक दृश्य को देख संसद में उपस्थित सभी माननीय अवाक रह गये और नेहरू जी रो पड़े थे तब निदान के दृ’िटगत पंडित जी द्वारा तत्काल वी. पी. पटेल की अध्यक्षता में पूर्वाचल की गरीबी का कारण खोजने और उसके तत्काल निवारण के उद्दे”य से एक आयोग गठित किया गया जिसे पटेल आयोग के नाम से जाना गया। इस आयोग के सदस्य आर.डी. धर,आर.एन.माथुर ,कृ’णचन्द्र , जे. के. पाण्डे, आर. एस.वर्मा, जे. पी. जैन, आर.आर.अग्रवाल और केे. मित्रा नामित हुए जो विकास संबंधित अलग-अलग वि’ायों के विशेषज्ञ थें। सादर अवलोकनार्थ छायाप्रति संलग्न है।
इन्हें पूर्वांचल की समस्याओं और उपलब्ध संसाधनों की समीक्षा हेतु प्रदेश के चार जनपदों गाजीपुर, जौनपुर, आजमगढ़, और देवरिया(उस समय मऊ आजमगढ़ तथा कु”ाीनगर देवरिया जनपद में ही सम्मलित था) की आर्थिक तथा समाजिक दशा विकास संबंधित समस्याओं का बारीकी से अध्ययन, इन जनपदों में प्रथम दो पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान हुई प्रगति का मूल्यांकन, तथा तृतीय पंचवर्षीय योजना पर विचार विमर्”ा, साथ ही अध्ययन द्वारा प्रशासनिक एवं वैका”िाक सुझाव का भार सौपा गया। जिसके क्रियान्वयन में आयोग द्वारा इन जिलों में स्थलीय निरीक्षण एवं वि”िा’ट जनों से विचार विनिमय किया गया वह निम्नवत हैः-
देवरिया- तत्कालीन आयुक्त गोरखपुर मंडल, जिलाधिकारी देवरिया, ब्लाख प्रमुख रवीन्द्र साही,अध्यक्ष जिला परिषद सांसद वी.पाण्डे विधायक रामलाल चतुर्वेदी विधायक ”िाव प्रसाद विधायक कृ’णा राय,पी.एन. पाण्डे शेर सिंह सदस्य कम्युनिस्ट पार्टी विधायक उग्रसेन विधायक चन्द्रबली ।
आजमगढ़- तत्कालीन जिलाधिकारी आजमगढ जिला परिषद रामकुवर सिंह, सांसद विश्राम प्रसाद, सांसद जय बहादुर सिंह, सांसद रामभरत यादव,सांसद रामकृ’ण यादव,सांसद श्याम प्रसाद,विधायक चन्द्रजीत यादव, एमएलसी रामविलास पाण्डे, विधायक झारखण्डे राय, पूर्व सांसद कालिका सिंह,शिवनारायण राय,डा0 केदार नाथ ।
जौनपुर- तत्कालीन जिलाधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी अधिशासी अभियन्ता उपविकास आयुक्त उप निदेशक कृषी सांसद गणपतिराम ,सांसद करताल सिंह ,विधायक लालबहादुर सिंह ,विधायक राम चन्द्र शर्मा हृदय नरायण सिंह एमएलसी ,विधायक वी.डी.तिवारी ,विधायक माताप्रसाद ,विधायक के.पी.पाण्डे .,विधायक परमे”वरी ,चन्द्रजीत यादव,प्रोफेसर श्रीपाल सिंह,डा0आर.एन.सिंह बनारस हिन्दु विशवविद्यालय,अभय जीत दुबे ।
उपरोक्त क्रम में जनपद गाजीपुर में भी उक्त आयोग द्वारा अनेक स्थलों का स्थलीय निरीक्षण व संबधित विषयों पर तत्कालीन अध्यक्ष जिला परिषद सांसद सरजू पाण्डे,सांसद विश्वनाथ सिंह गहमरी, विधायक राजनाथ सिंह, आज अखबार के संपादक ईश्वर चन्द्र सिंन्हा, सिन्हा वकील, रामकुवर सिंह, के. एस. यादव, विध्याचल सिंह, जिलाधिकारी गाजीपुर,जिला उद्योग अधिकारी गाजीपुर एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी से विचार विमर्श तथा लगातार दो वर्षो तक गहन मंथन के उपरान्त पाच खण्डों में अपनी रिपोर्ट सौपी गयी जिसमें प्रस्तावित जिलों की आवस्यकता अनुसार अलग-अलग संस्तुतिया की गयी है। उसमें इस जनपद गाजीपुर को व्यावसायिक केंद्र बनाने के दृ’िटगत गाजीपुर मुख्यालय के पास गंगा नदी पर रेल तथा सड़क पूल का निर्माण,फल संरक्षण,कैनिग इन्डस्ट्रीज,चर्म उद्योग प्लास्टिक उद्योग आदि सिचाई हेतू विभिन्न संसाधन बढाने की प्रबल संस्तुति की गयी है । संस्तुति के आधार पर सडक पुल का निर्माण तो हो गया है किन्तु रेल पुल जो ताडीघाट रेलवेस्टे”ान से गाजीपुर घाट स्टे”ान (जिसकी दूरी लगभग तीन किलोमीटर है) को जोडता व अन्य संस्तुतियां नेतृत्व की अनदेखी व”ा आज तक लम्बित है और पूर्वाचल वासी अपने-अपने जिले के लिए किये गये संस्तुतियों के आधार पर विकास के लिए लालायित।