हिन्दु-मुस्लिम एकता के प्रतीक है मजालिसे अजा व जुलूस
https://www.shirazehind.com/2013/10/blog-post_290.html
नन्ही सी कब्र खोदकर असगर को गाड़कर सब्बीर उठ खड़े है दमन को झाड़कर.............
जौनपुर। जमीने मुबारक कदम रसूल छोटी लाइन इमामबाड़े में रविवार को हिन्दु-मुस्लिम एकता के प्रतीक शिया पंजतनी कमेटी के तत्वावधान में 16वाॅं आल इण्डिया मजालिसे अजा व जुलूस सम्पन्न हुआ। इस अजीमो शान मजालिस में देश के मशहूर मौलाना गजनफर अब्बास ने बताया कि कर्बला के शहीद इमाम हुसैन की यह जीती जागती हकीकत को सारी दुनिया जानती है कि किसी भी कौम ने एक जगह इतनी बड़ी सामूहिक कुर्बानी नहीं दी जिसमें 6 माह के नन्हें अली असगर ने इमाम हुसैन की आगोश में शहादत देकर इन्सानियत को जिन्दा रखा। इमाम हुसैन का कर्बला के माध्यम से दिया गया संदेश कि दुनिया की कोई भी बुराई किसी भी कानून जब्र पे जंग से समाप्त नहीं की जा सकती। इमाम के चाहने वालों को चाहिए कि उनके संदेश से एसी जागरुकता पैदा करें कि इन्सान के दिलों की आंखे रौशन हो जाये। सालाना मजलिस का आगाज तिलावते कलाम पाक से मौलाना शेख हसन जाफर ने किया इसे बाद पेशखानी देश के मशहूर शायर शोला जौनपुरी, डा0 शोहरत जौनपुरी, डा0 अंजुम जौनपुरी, हिजाब इमामपुरी, वसी जौनपुरी ने कलाम पेश किया।
सोजखानी मोहम्मद मुस्लिम व उनके हमनवों ने पढ़ा उसके बाद मजालिसेां का सिलसिला शुरु हुआ। पहली व दूसरी मजलिस को मौलाना सईद रजाई जलालपुर व मौलाना कुर्रतुलएैन मुज्तबा प्रिंसिपल जामिअतुल मंुतज+र नौगावां सादात ने कहा कि इमाम हुसैन ने अपनी कुर्बानी देकर पूरी दुनियां को यह पैगाम दिया कि जुल्म चाहे तुम पामाल कर डालों मगर झूठों और जालिमों के आगे सर न झुकाना। उहोंने कहा कि जब तक यह दुनियां कायम रहेगी यू ही हजरत इमाम हुसैन व उनके साथियों की शहादत का गम हम मनाते रहेंगे, क्योंकि इस गम से बड़ा हमारे लिये कोई गम दुनिया में नहीं है।
लखनऊ से आये मौलाना बिलाल काजमी ने मजलिस को खेताब करते हुए कर्बला के शहीदों की याद हमारे दिलों में जब तक रहेगी तब तक हम लोग इस दुनिया में रहेंगे। इसके लिए हम हर एक मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार है क्योंकि इससे बड़ा गम हमारे लिये पूरी दुनिया में नहीं है। यही वजह है कि आज सभी धर्म के लोग इमाम हुसैन का गम मनाते हैं। आखिरी गजलिस मुजफ्फर नगर से आये मौलाना गजनफर अब्बास ने पढ़ा जिसके बाद शबीहे ताबूत अलम व जुलजुनाह बरामद हुआ। जिसकी हमराह अन्जूमन शमशीरे हैदरी, सदर इमामबाड़ा ने दर्द भरे नौहे कर्बोबला का तपता जंगल हाय हुसैन हाय हुसैन पढ़कर सुनाया तो पूरा माहौल गमगीन हो गया और लोग दहाड़े मार-मार कर रोने लगे। इस मौके पर मौलाना सै0 निसार मेंहदी
जौनपुर। जमीने मुबारक कदम रसूल छोटी लाइन इमामबाड़े में रविवार को हिन्दु-मुस्लिम एकता के प्रतीक शिया पंजतनी कमेटी के तत्वावधान में 16वाॅं आल इण्डिया मजालिसे अजा व जुलूस सम्पन्न हुआ। इस अजीमो शान मजालिस में देश के मशहूर मौलाना गजनफर अब्बास ने बताया कि कर्बला के शहीद इमाम हुसैन की यह जीती जागती हकीकत को सारी दुनिया जानती है कि किसी भी कौम ने एक जगह इतनी बड़ी सामूहिक कुर्बानी नहीं दी जिसमें 6 माह के नन्हें अली असगर ने इमाम हुसैन की आगोश में शहादत देकर इन्सानियत को जिन्दा रखा। इमाम हुसैन का कर्बला के माध्यम से दिया गया संदेश कि दुनिया की कोई भी बुराई किसी भी कानून जब्र पे जंग से समाप्त नहीं की जा सकती। इमाम के चाहने वालों को चाहिए कि उनके संदेश से एसी जागरुकता पैदा करें कि इन्सान के दिलों की आंखे रौशन हो जाये। सालाना मजलिस का आगाज तिलावते कलाम पाक से मौलाना शेख हसन जाफर ने किया इसे बाद पेशखानी देश के मशहूर शायर शोला जौनपुरी, डा0 शोहरत जौनपुरी, डा0 अंजुम जौनपुरी, हिजाब इमामपुरी, वसी जौनपुरी ने कलाम पेश किया।
सोजखानी मोहम्मद मुस्लिम व उनके हमनवों ने पढ़ा उसके बाद मजालिसेां का सिलसिला शुरु हुआ। पहली व दूसरी मजलिस को मौलाना सईद रजाई जलालपुर व मौलाना कुर्रतुलएैन मुज्तबा प्रिंसिपल जामिअतुल मंुतज+र नौगावां सादात ने कहा कि इमाम हुसैन ने अपनी कुर्बानी देकर पूरी दुनियां को यह पैगाम दिया कि जुल्म चाहे तुम पामाल कर डालों मगर झूठों और जालिमों के आगे सर न झुकाना। उहोंने कहा कि जब तक यह दुनियां कायम रहेगी यू ही हजरत इमाम हुसैन व उनके साथियों की शहादत का गम हम मनाते रहेंगे, क्योंकि इस गम से बड़ा हमारे लिये कोई गम दुनिया में नहीं है।
लखनऊ से आये मौलाना बिलाल काजमी ने मजलिस को खेताब करते हुए कर्बला के शहीदों की याद हमारे दिलों में जब तक रहेगी तब तक हम लोग इस दुनिया में रहेंगे। इसके लिए हम हर एक मुश्किलों का सामना करने के लिए तैयार है क्योंकि इससे बड़ा गम हमारे लिये पूरी दुनिया में नहीं है। यही वजह है कि आज सभी धर्म के लोग इमाम हुसैन का गम मनाते हैं। आखिरी गजलिस मुजफ्फर नगर से आये मौलाना गजनफर अब्बास ने पढ़ा जिसके बाद शबीहे ताबूत अलम व जुलजुनाह बरामद हुआ। जिसकी हमराह अन्जूमन शमशीरे हैदरी, सदर इमामबाड़ा ने दर्द भरे नौहे कर्बोबला का तपता जंगल हाय हुसैन हाय हुसैन पढ़कर सुनाया तो पूरा माहौल गमगीन हो गया और लोग दहाड़े मार-मार कर रोने लगे। इस मौके पर मौलाना सै0 निसार मेंहदी