...एक बार फिर चर्चा का विषय बना नवीन नव दीप संस्था नखास
https://www.shirazehind.com/2013/10/blog-post_10.html
श्री गणेश-वेद व्यास का चित्रण देखने के लिये उमड़ी भारी भीड़
जौनपुर। हर वर्ष शारदीय नवरात्रि पर लगने वाले पूजन पण्डाल में किसी न किसी तरह से सूर्खियों में रहने वाला ‘नवीन नव दीप संस्था नखास (विसर्जन घाट)’ इस बार भी चर्चा में है, क्योंकि संस्था के ही छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं द्वारा बनाया गया ‘श्री गणेश एवं वेद व्यास’ का चित्रण देखने के लिये दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इतना ही नहीं, जहां एक ओर पण्डाल के बाहर पीपल के पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठे महर्षि वेद व्यास भगवान श्रीगणेश से महाभारत लिखवा रहे हैं, वहीं उनके पीछे बनाये गये गुफा में बाबा बर्फानी को विराजमान कराया गया है। साथ ही माता रानी के दरबार को पहाड़ से निकले झरने पर सजाया गया है जो विद्युत की जगमगाती रोशनी में बड़ा मनोरम लगता है। संस्थाध्यक्ष सूरज निषाद ने बताया कि संजय जायसवाल, मुन्ना सिंह व नारायण सरोज द्वारा वर्ष 1986 में संस्थापित यह संस्था इसके पहले गुप्त गोदावरी गुफा, 50 फीट का शिवलिंग, नीम के पेड़ पर झूला झूलती माता रानी, सातों बहिनिया, छोटे से जगह पर 200 मीटर का लम्बा गुफा, सड़क से 5 फीट की ऊंचाई पर माता रानी को बैठाकर उनके चरणों से नीचे से भक्तों को दर्शनोपरांत निकालने का अनोखा कारनामा कर चुका है। श्री निषाद ने बताया कि इस बार राजू चैधरी, विकास निषाद, डा. कमलेश एवं उनके द्वारा ‘श्री गणेश-वेद व्यास’ का चित्रण, बाबा बर्फानी, झरने पर मां का दरबार बनाया गया है जो चर्चा का विषय बना हुआ है।
जौनपुर। हर वर्ष शारदीय नवरात्रि पर लगने वाले पूजन पण्डाल में किसी न किसी तरह से सूर्खियों में रहने वाला ‘नवीन नव दीप संस्था नखास (विसर्जन घाट)’ इस बार भी चर्चा में है, क्योंकि संस्था के ही छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं द्वारा बनाया गया ‘श्री गणेश एवं वेद व्यास’ का चित्रण देखने के लिये दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इतना ही नहीं, जहां एक ओर पण्डाल के बाहर पीपल के पेड़ के नीचे चबूतरे पर बैठे महर्षि वेद व्यास भगवान श्रीगणेश से महाभारत लिखवा रहे हैं, वहीं उनके पीछे बनाये गये गुफा में बाबा बर्फानी को विराजमान कराया गया है। साथ ही माता रानी के दरबार को पहाड़ से निकले झरने पर सजाया गया है जो विद्युत की जगमगाती रोशनी में बड़ा मनोरम लगता है। संस्थाध्यक्ष सूरज निषाद ने बताया कि संजय जायसवाल, मुन्ना सिंह व नारायण सरोज द्वारा वर्ष 1986 में संस्थापित यह संस्था इसके पहले गुप्त गोदावरी गुफा, 50 फीट का शिवलिंग, नीम के पेड़ पर झूला झूलती माता रानी, सातों बहिनिया, छोटे से जगह पर 200 मीटर का लम्बा गुफा, सड़क से 5 फीट की ऊंचाई पर माता रानी को बैठाकर उनके चरणों से नीचे से भक्तों को दर्शनोपरांत निकालने का अनोखा कारनामा कर चुका है। श्री निषाद ने बताया कि इस बार राजू चैधरी, विकास निषाद, डा. कमलेश एवं उनके द्वारा ‘श्री गणेश-वेद व्यास’ का चित्रण, बाबा बर्फानी, झरने पर मां का दरबार बनाया गया है जो चर्चा का विषय बना हुआ है।