पूर्वांचल की शान है-गाजीपुर जनपद
https://www.shirazehind.com/2013/09/blog-post_7.html
शिवेद्र पाठक |
जी हाँ! इसी मिट्टी के लाल हैं हम। हमें गर्व है इस बात पर कि हमें प्रदेश के सर्वाधिक पिछड़े होने का गौरव प्राप्त है। गर्व के अलावा इस बात का डर भी है, खटका लगा रहता है कि कोई हमसे हमारा पिछड़ापन कहीं छुड़ा न लें। अगड़े बनने की हर कोशिश से हम बचते हैं, बल्कि करते ही नहीं, हमें अगड़े बनने से परहेज है तो बस इसलिए कि फिर हम पिछड़े नहीं रह पायेंगे, जो एकमात्र हमारे गौरव का कारण है। हम केन्द्र / प्रदेश सरकारों से रियायतें मांगते रहते हैं कि हमारे पिछड़ेपन का ध्यान रखा जाय। उद्योग धन्धे के लिए विशेष छूट भी मिलता है। (जैसा कि पिछड़े क्षेत्रों को देने का प्राविधान है।) हम छूट तो पाते हैं परन्तु सर्वविदित है कि इन उद्योग धन्धों को पानी, बिजली या अन्य आवश्यक आपूर्तियों से वंचित रखते हैं हमें यह डर है कि यदि यह ठीक से चल निकले तो हमें अगड़ा (विकसित) बना देंगे जो पिछड़ेपन की हमारी पारम्परिक पहचान को ही छीन लेगा। हमें अपने पहचान की चिन्ता है और क्यों? जिस कारण हम गौरवान्वित हैं। वह हमने बताया ही है हम प्रसन्न हैं। उन सड़क बनाने वालों से जिन्होंने सड़के बनाते वक्त इस बात का बखूबी ध्यान रखा कि पिछड़े जनपद में ठीक-ठाक सड़के शोभा नहीं देती। जब तक आदमी धक्के नहीं खायेगा, उसे कैसे पता चलेगा कि उसकी गाड़ी पिछड़े क्षेत्र से गुजर रही है, हम सड़के ही ऐसी बनाते हैं कि उससे पिछड़ेपन की हमारी पहचान पुख्ता हो सके। किसी भी बावत कोई कुछ भी पूछे तो हमारा उत्तर यही रहता है कि ‘‘ सर क्या बतायें पिछड़ा जनपद है न, बस इसी कारण ’’ और मजेदार बात यह है कि लोग मान भी जाते हैं। अभी पिछले माह राजधानी से एक नौकरशाह जो विकास की गति नापने राजकीय यात्रा पर यहां पधारे थे, लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस में उपस्थित जिलाधिकारी सहित अनेक जिला स्तरीय अधिकारियों की उपस्थिति में पूछा कि ‘‘यहां बड़ी गर्मी है।’’ डी0आर0डी0ए0 ए0ई0 द्वारा तत्काल उत्तर मिला ‘‘ सर क्या बतायें एक्चुअली पिछड़ा जनपद है न‘‘ वह नौकरशाह यह पूछ सकते थे कि गर्मी से पिछड़ेपन का क्या सम्बन्ध? पर पूछा नहीं, दरअसल अपने तीन दिवसीय प्रवास में हर बात के जबाव में यह सुन-सुन कर जान चुके थे कि ये लोग कब, कहां, किस सन्दर्भ में अपने पिछड़ेपन को पेश कर दें।
हम अपना पिछड़ापन गर्व से स्वीकार करते हैं, आवेदन पत्रों के साथ संलग्न करते हैं, भाषण में डाल देते हैं, आन्दोलन कर लेते हैं, मांग पत्रोंं में तो डालते ही हैं, मॅूह पर भी मार सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर इसकी आड़ भी ले सकते हैं। इस लघु लेख में कितने लाभ गिनाऊँ ऐसी बहुउद्देशीय वस्तु है और कहां मिलेगी। परन्तु आजकल हम बेहद दुःखी और चिन्तित हैं, कारण कि हमारे पिछड़ेपन पर कई बैतालों की बुरी नजर पड़ गयी है, जिसकी वजह से हमारा पिछड़ापन जो हमारी सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक, धरोहर है, को खतरा पैदा हो रहा है। क्या कहें उन मतिमन्दों को जो या तो यह मानते ही नहीं कि हम पिछड़े हैं या फिर किसी तरह मान लें तो एक साजिश की तरह हमारा विकास करने का षडयन्त्र करते हैं कि आपका पिछड़ापन समाप्त करना है, वे अनुदान देने की शरारत करते हैं, हितकारी योजनाएं क्रियान्वित करने की गलती कर बैठते हैं, यहां-वहां से ब्याज रहित या कम ब्याज पर कर्जा देकर विकास के लिये फालतू ही हमें फुसलाते हैं। पुराने कर्जे माफ करके हमें मुर्ख बनाना चाहते हैं और अगड़ा बनाने के लाभ गिनाने की ठग विद्या फैलाते हैं। कुल मिलाकर हमें फासने की पूरी तैयारी करते हैं ये मूढमती। यह बात दीगर है कि हम फंसते नहीं है हम अपने पिछड़ेपन से ऐसे चिपके हैं जैसे कोई गोह दीवाल से। पिछड़ापन हमारी सांस्कृतिक धरोहर है हम इसी को गाते हैं इसे ही खाते हैं इसे ही ओढ़ते और बिछाते हैं।
एक राजनेता ने हमसे राय लेना चाहा, हमसे कहा कि मैंने एक ऐसी योजना तैयार कराई है जिसे केन्द्र से स्वीकृति प्राप्त होते ही इस जनपद का ऐसा विकास होगा कि लोग आश्चर्यचकित हो जायेंगे। यह गाजीपुर जनपद नोएडा, गाजियाबाद को भी काफी पीछे छोड़ देगा। हमने उस मूर्ख मन्त्री को चेताया कि खबरदार जो ऐसी गिरी हरकत की, अरे करना तो दूर सोची भी अरे मूर्खाधिराज देश के कतिपय बड़े नेताओं को छोड़ अपने ही जनपद के उन नेताओं को देखों जिन्होंने विकास की बात की। अरे इन नेताओं से सबक सीख, ईमानदार और स्वच्छ छवि के अतिरिक्त इनके पास बचा क्या है? यह अपने किये गये जन कल्याणकारी कार्यों की जानकारी देकर आज से ग्राम प्रधानी भी नहीं जीत सकते। इन लोगों ने भी हम पिछड़ा को विकसित की लाईन में लाने का दुस्साहस किया था। हाॅ अगर पिछड़े इलाके के नाम पर कोई स्कीम डालकर ऐसा करने वाला हो कि कुछ पैसा तुम बनाओ कुछ तुम्हारे ठीकेदार भी खींच सकें (पुनः चुनाव लड़ना है कि नहीं) तो हम बेखटके तैयार हैं वैसे भी स्वतन्त्रता प्राप्ति के कुछ वर्षों बाद से ही हम ऐसी स्कीमें लाने में सिद्धहस्त हो गये हैं जिससे हमारे पिछड़ेपन पर आॅच भी न आये और कार्यक्रम भी चलता रहे। हमारा पिछड़ापन स्वयं ही हमारे लिये एक योजना है, अवसर है, टकसाल है, पूर्वजों की छोड़ी विरासत है, ईश्वर का अनमोल उपहार है, पिछड़ापन हटाना एक सतत् प्रक्रिया है यहां एक तरफ से हटाओं तो दूसरी तरफ से चली आती है। दरअसल हमारी बनावट ही अजीब है अनोखी रचना है हमारे क्रिया-कलाप ऐसे है कि जिस कोण से भी देखों हमारा पिछड़ापन झलकता नजर आयेगा।
यहां कोई भी आगे नहीं है न ही होना चाहता है। अपवादवश यदि कोई आगे भी है तो वह मानने को तैयार नहीं, बल्कि कहता है कि हम भी पिछड़े ही हैं। क्योंकि वह खूब जानते हैं कि पिछड़ा कह कर ही आगे बढ़े हैं। कहते हैं हम तनिक आगे जरूर आ गये हैं पर पिछड़ापन छूटा नहीं है हमारा। हम पिछड़ेपन को छोड़ेगे भी नहीं, हम मूर्ख नहीं है हमें पिछड़ेपन में छिपे अगड़े की खूब पहचान है हमारा पिछड़ापन कोई दूर नहीं कर सकता जो करने की कोशिश करेगा हम उसे ही अपने से दूर कर देंगे।
हम पुनः संकल्प लेते हैं कि हम अपने सांस्कृतिक धरोहर के रूप में प्राप्त अपने पिछड़ेपन पर पूरी नजर और पकड़ रखेंगे। इस हेतु हम सतत् सतर्क और चैकन्ने रहेंगे। इस पुनीत कार्य में किसी प्रकार की कोताही नहीं बरतेंगे।
हम अपनी कृतज्ञता प्रगट करते है उन श्रद्धेय गुरूजनों के प्रति जिन्होंने आजीवन (या जबसे कार्यरत) अपना मूल कार्य (शिक्षण) न करके व्यक्तिगत हितों तथा येन-केन प्रकारेण पुरस्कृत होने का प्रयास करते रहें। उन चिन्तकों और साहित्यकारों का जिन्होंने निजी स्वार्थवश हम पिछड़े समाज को एक दिशा, एक चेतना देने के प्रयास से भी कोताही बरती, उन पत्रकारों के प्रति जिन्होंने सच की अनदेखी की यदि आप सभी महानुभाव ऐसा न करते तो निश्चय ही हमारा पिछड़ापन प्रभावित हो जाता।
हम आभार प्रकट करते हैं सड़क निर्माण विभाग से जुड़े महानुभावों का जिन्होंने राजकीय मानकों (नौकरी करते हो तो नौकरी) अपनी प्रतिष्ठा एवं आत्मा की आवाज को ताक पर रखकर हमारे पिछड़ेपन के मानक के अनुसार (उबड़-खाबड़) सड़क निर्माण में संलग्न रहें।
हम आभार प्रकट करते हैं बिजली विभाग से जुडे उन महानुभावों के प्रति जिनके सतत् प्रयासों से अब तक हमारा पिछड़ापन जिन्दा रह सका। अन्यथा हमारे विशाल पिछड़े कुल के कुलद्रोही वशिष्ठ सिंह यादव (बाईप्लास्ट), अशोक सिंह@प्रदीप सिंह (सगुन केमिकल्स), अपरवल सिंह (शैवाल केमिकल्स), डाॅ0 एम0डी0 सिंह (एम0डी0 होमियों लैब) एवं बाहरी लोगों एम0के पिलानिया (नन्दगंज डिस्टलरी), सुखबीर सिंह (सुखबीर एग्रो प्रा0लि0) सरीखे जनपद के पिछड़ेपन के द्रोही कुपुत्र हमारे पिछड़ेपन की धज्जी बिखेर कर हमें अगड़ों की पंक्ति में खड़ा कर देते। इन पिछड़ेपन के द्रोहियों की छटपटाहट से हम पिछड़े लोगों को यह संदेश स्वतः ही प्राप्त होता रहता है कि कुछ नया करने की बात तो दूर, सोचों भी मत, नहीं तो इन्हीं की तरह पछताओगे।
हम आभार प्रकट करते हैं जनपद के विकास विभाग से जुडे उन समस्त अधिकारियों / कर्मचारियों का जिन्होंने दिन-रात गोष्ठी, भाग-दौड़ अथक परिश्रम कर हमें आज तक अविकसित रखा, जिसके लिए हम गौरवान्वित हैं।
हम चरण वन्दन करते हैं जनपद के उन विद्यालयों / महाविद्यालयों के संचालकों का जो स्वयं सरस्वती विहीन एवं संस्कारविहीन रहते हुए भी सरस्वती सेवाव्रती बने जनपद के बच्चों, युवाओं को शिक्षित एवं संस्कारित करने का वीणा उठाया है। फलतः उनके अथक प्रयासों ने नौनिहालों और किशारों में नकल जैसा गुरूमन्त्र देकर डिग्री के बावजूद पूर्णतः अशिक्षित बनाये रखने में योगदान कर आने वाले वर्षों में भी जनपद को योग्यता विहीन होने की गारण्टी प्रदान की। पिछड़ेपन के साथ-साथ बेरोजगारी बढ़ाने में इनका अभूतपूर्व योगदान सराहनीय है। अवसर मिले तो इनका सार्वजनिक अभिनन्दन किया जाना चाहिए।
हम विशेष रूप से आभार प्रकट करते है बाल विकास के समस्त अधिकारियों@कर्मचारियों का जिनके कंधों पर जनपद की महिलाओं, किशोरियों, और बच्चों के स्वास्थ्य@कुपोषण@स्कूल पूर्व शिक्षा@टीकाकरण का भार सौंपा गया था। मुझे लगा था कि सचमुच हम पिछड़ों का कुपोषण, अशिक्षा, बीमारियोंं का ज्वलन्त मुद्दा ही हमारे हाथों से निकल जायेगा किन्तु बड़ी ही होशियारी से अरबों रूपये खर्च कर कागजी आंकड़ेबाजी में ही अपने को व्यस्त रख ऐसा विकास किया कि हमारी आने वाली संतानें इन्हें शौर्य पदक प्रदान करेगी। कुल मिलाकर इन्होंने हमारे अस्तित्व को बरकरार रखने में अभूतपूर्व सहयोग दिया है।
हम आभार प्रकट करते हैं नगर पालिका परिषद के समस्त पदाधिकारियों का जिनके सौजन्य से जनपद के सकरे चैराहों पर माननीयों की मूर्तियों या फौब्बारें (जो कभी भी न चले) स्थापित कर नित्य दुर्घटनाओं को जन्म देकर अप्रत्यक्ष सहयोग किया है एवं इस पवित्र कार्य में व्यस्त रह सफाई कार्यों की अनदेखी की।
हम विशेष रूप से ऋणी है जनपद के विभिन्न संगठनों, राजनैतिक पार्टियों अपने होनहार छात्र संगठनों के जिनके प्रकरणों का जनपद स्तर से कोई मतलब हो, न हो माह के पांच-दस दिन अनशन प्रदर्शन, बन्दी तोड़-फोड़ कराकर विकास के कच्छप गति को रोक कर हमें सशक्त बनाने में तत्पर रहते हैं।
हम उन ज्ञात@अज्ञात समस्त हुतात्माओं के प्रति नतमस्तक होते हैं जिन्होंने हमारे इस पिछड़ेपन के सर्वनाश के लिए ‘‘ पटेल आयोग’’ सरीखे ब्रम्हास्त्र का अनुसंधान किया, जो हमारे पिछड़ेपन का दो वर्षों तक स्थालीय अनुसंधान का कारण और निवारण का उपाय बताया किन्तु धन्य हैं वह लोग हम जिन्होंने उनका रूख समुद्र की ओर कर उसकी तलहटी में दफना दिया, जिसे अब लोग-बाग भूल भी गये हैं। धन्य हैं हमारे प्रिय लोग वे यदि ऐसा नहीं करते तो निश्चय ही अब तक हमारा गौरव मटियामेट हो गया होता।
आज से साठ वर्ष पूर्व जनपद के विशिष्ट नागरिकों द्वारा जनपद के किशोरो@युवाओं को आग्नेयास्त्रों का उचित प्रशिक्षण देने तथा अनुशासित एवं आत्मविश्वासी बनाकर नागरिक दायित्व भी भावना से ओत-प्रोत करने के उद्देश्य से राइफल क्लब का गठन किया गया। क्लब का अध्यक्ष पदेन जिलाधिकारी बनायें गये। यह इसलिए तय किया गया कि भारतीय लोक सेवक से सर्वोत्तम प्रबन्धकीय@प्रशासकीय सेवाओं की अपेक्षा की जाती है किन्तु धन्य है तब से आज तक के वह कलक्टर्स जिन्होंने क्लब संचालन के नाम पर जनता से करोड़ों रूपयों की उगाही तो किया किन्तु उन लोगों के भविष्य निर्माण के बजाया क्लब हेतु भवन निर्माण मे व्यस्त रहे। यह बात दीगर है कि भवन निर्माण से जुडे+ फैक्स पैड के अभियन्ताओं का उसी धन से अपना भवन भी खड़ा हो गया। हम पुनः उन कलक्टर्स को बधाई देते हैं कि यदि उनका सर्वोत्तम दिमाग इस दिशा में प्रयोग नहीं होता तो इन साठ वर्षों में यहां के उत्साही युवक देश-विदेश में अपने प्रतिभा का झण्डा बुलन्द किये होते, जो इस पिछड़े जनपद के हित में नहीं होता। इस हेतु जनपद के युवा उन सभी जिलाधिकारियों को कोटिशः प्रणाम करते हैं जिन्होंने वह अवसर ही नहीं आने दिया।
और अब अन्त में आज हमारे युवा वर्ग में जो दिशाहीनता, विद्रोह, अपराधी मनोवृत्ति और प्रलोभनों के प्रति सहज समर्पण दिखाई दे रहा है वह आने वाले भीषण संकट का संकेत है। उपरोक्त के दृष्टिगत यदि अब भी नहीं चेते तो आने वाले वर्षों में सरकारों को हर गांव में एक थाना और हर थाने में एक पागलखाना का निर्माण कराना आवश्यक होगा, ताकि हमारे दिशाहीन शिक्षित बेरोजगारों को झेल सकें।
sach ke karib .............
जवाब देंहटाएंati sundar pathak jee ....................
जवाब देंहटाएं