जब रो पडे थे नेहरू जी
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शिवेन्द्र पाठक |
हमें विश्वास है कि, आप सब महानुभाव इस बात को भूल भी गये होंगे कि उत्तर-प्रदेश, पुर्वाचल की लोकसभा सीट गाजीपुर से चुने गये, सांसद, विश्वनाथ सिंह गहमरी ने, पंडित जवाहर लाल नेहरू के प्रधान मंत्रीत्व काल में, पुर्वांचल में व्याप्त गरीबी की सच्ची तस्वीर दिखाने की गरज से संसद में बैलों के गोबर को घोल कर, उसमें से अनाज छान कर निकाला और बताया कि पुर्वांचल में गरीबी व भुखमरी की यह स्थिति है कि आमजन के भोजन का यह गोबर से निकला हुआ अनाज ही एक मात्र सहारा है।
इस कारूणिक दृश्य को देख उपस्थित माननीय अवाक रह गये, और नेहरू जी रो पड़े। तब इसके निदान के दृष्टिगत पंडित जी द्वारा तत्काल वी. पी. पटेल की अध्यक्षता में, पुर्वांचल की गरीबी का कारण और तत्काल निवारण विषयक आयोग गठित किया गया। जिसे पटेल आयोग के रूप में जाना गया। इस आयोग के सदस्य आर. डी. धर, आर. एन. माथुर, कृष्णचन्द्र, जे. के. पाण्डेय, आर. एस. वर्मा, जे. पी. जैन, आर. आर. अग्रवाल और के. मित्रा नामित हुए, जो विकास के लिए वांछित अलग-अलग विषयों के विशेषज्ञ थे।
इन पर पुर्वांचल की समस्याओं और उपलब्ध संसाधनों की समीक्षा हेतु प्रदेश के चार जनपदों गाजीपुर, जौनपुर, आजमगढ़, और देवरिया (उस समय मऊ आजमगढ़ तथा कुशीनगर देवरिया का हिस्सा था) की आर्थिक तथा सामाजिक दशा और विकास सम्बन्धी समस्याओं का बारीकी से अध्ययन, इन जनपदों में प्रथम दो पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान हुई प्रगति का मुल्यांकन तथा तृतीय पंचवर्षीय योजना हेतु विकास की योजना पर विचार विमर्श, साथ ही अध्ययन द्वारा प्रशासनिक एवं वैकाशिक सुझाव का भार सौपा गया।
इस जनपद में आयोग द्वारा अनेक स्थलों का स्थलीय निरीक्षण व सम्बन्धित विषयों पर अध्यक्ष जिला परिषद, सांसद सरजू पाण्डे, सांसद विश्वनाथ गहमरी विधायक राजनाथ सिंह, आज अखबार के सम्पादक ईश्वर चन्द सिन्हा, सिन्हा वकील, रामकुवँर सिंह, के. एस. यादव विंध्याचल सिंह, जिलाधिकारी गाजीपुर, जिला उद्योग अधिकारी गाजीपुर एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी से विचार विमर्श व लगातार दो वर्षों तक यहाँ रह कर गहन मंथन के उपरान्त पाँच खण्डों में अपनी रिपोर्ट सौपी। जिसमें प्रस्तावित जिलों के लिए उन जिलों की आवश्यकतानुसार अलग-अलग संस्तुतिया की गयी। उसमें इस जनपद के सन्दर्भ में इसे व्यावसायिक केन्द्र बनाने के दृष्टिगत गाजीपुर मुख्यालय के पास गंगा नदी पर रेल तथा सड़क पुल का निर्माण, फल संरक्षण, कैनिंग इन्डस्ट्रीज, चर्म उद्योग, हैण्डलुम उद्योग, प्लास्टिक खिलौना उद्योग की स्थापना तथा कृषि हेतु सिंचाई संसाधन बढ़ाने की संस्तुति की गयी है। संस्तुति के आधार पर सड़क पुल का निर्माण तो हो गया किन्तु रेल पुल (जो ताड़ीघाट से गाजीपुर को जोड़ता) व अन्य संस्तुतियां (जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी सन् 62 में) पुर्वाचल के लोगों द्वारा बारम्बार प्रेषित पत्र और पत्रकों के बावजूद शीर्ष नेतृत्व के अनदेखी की शिकार है जबकि पुर्वाचलवासी क्रियान्यवयन के लिए लालायित ।
जननेता पंडित जवाहर लाल नेहरू की पहल पर पटेल आयोग की जनोपयोगी संस्तुतिया इतिहास के पन्नों में विलीन हो जाय इसके पूर्व पुर्वांचल के बुद्धिजीवी, पत्रकारों, समाज के चिन्तकों, जागरूक नागरिकों, सबसे बढ़कर होनहार युवाओं को आगे आकर इन संस्तुतियों को धरातल पर लाने के लिए हर सम्भव उचित प्रयास करना होगा। याद रहे महात्मा गान्धी का मानना था कि अपने प्रयोजन में दृढ़ विश्वास रखने वाला एक सुक्ष्म शरीर भी इतिहास के रूख को बदल सकता है।
स्व नेहरू जी और स्व गहमरी जी ने पुर्वांचल विकास के लिए जो सार्थक पहल किया उसे धरातल पर लाना हम सभी का दायित्व है और जिसके लिए आज का लिया गया हम सभी का संकल्प ही इस पृत्रपक्ष में इन सच्चे जननायकों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।