सामाजिक बंधन और घुघट की आड़ भी नही रोक पाई डॉ0 जाह्नवी को
https://www.shirazehind.com/2013/09/0.html
अपनी तीनो पुस्तको के साथ डॉ जान्हवी |
हर राह पहुंचती है मंजिल के किनारों तक , अपनी चाहतो को अगर तुम उड़ने का अभास दो…….
कुछ ऐसा ही कर दिखाई है मनो वैज्ञानिक डॉ जान्हवी श्रीवास्तव ने। जौनपुर जिले के मोहम्मद हसन डिग्री कालेज की मनोविज्ञान विभाग की प्रवक्ता जान्हवी श्रीवास्तव कड़ाके की ठंड और लू की थपेड़े का सामना करते हुए अपने मुकाम को हासिल किया है। जान्हवी ने मइके में 7 से 8 किलोमीटर पगड्ण्डीय़ो पर साईकिल की सवारी करके इंटर पास किया तो ससुराल में आकार घुघट में बी ए, एम ए , बीएड और रिसर्च कर डॉक्ट्रेट की उपाधि हासिल किया। आज इनके 6 शोध पत्र जारी हुए और तीन किताबे प्रकाशित हुई है।
जान्हवी श्रीवास्तव ने उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के कुंडा स्टेट के एक छोटे से रामापुर गाँव में एक मध्यवर्गीय परिवार में जन्म लिया था। प्राथमिक शिक्षा गाँव के ही सरकारी स्कूल से लिया था हाई स्कूल इंटर कालेज हथिगंवा से और इंटर बजरंग इंटर कालेज भदरी से किया। जान्हवी श्रीवास्तव बताती है कि उस समय गाँव में पांचवी तक का स्कूल था और काफी पिछड़ा हुआ इलाका था , जिसके कारण मेरे गाँव की लडकियाँ को आगे की पढाई करने में काफी मुश्किलें आती थी। मेरे पिताजी मुझे पढ़ाना तो चाहते थे लेकिन कालेज दूर होने के कारण डरते भी थे लेकिन मेरे जिद्द पर उन्होंने मेरा दाखिला स्कूल में करवा दिया। उनका सपना भी था मै डाक्टर बनू लेकिन आस पास साइंस कालेज ना होने के कारण मुझे हाई स्कूल के बाद की पढाई आर्ट साइड से करनी पड़ी। बीए में एडमिशन लेने के बाद ही मेरी शादी हो गई। शादी के बंधन में मुझे लगा कि मेरी पढाई यही समाप्त हो जाएगी। लेकिन जब मैंने अपने पति और ससुर जी से आगे पढाई जारी रखने का आग्रह किया तो दोनों लोगो ने केवल मुझे इजाजत ही नही दिया बल्कि हर तरह का पूरा सहयोग देने का वादा भी किया। मैंने बीए बजरंग डिग्री कालेज से स्नातक किया एमए , बीएड और पीएचडी पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर से किया। इस दरम्यान पारिवारिक जीवन में तीन बच्चे भी हुए। इसके बाद भी इन्होने अपनी पढाई जारी रखा। जिसका परिणाम रहा कि आज जान्हवी श्रीवास्तव अपने शिखर पर है इसके बाद भी वे आज छात्र -छात्राओं को पढाने के साथ ही खुद पढाई जारी रखे हुए है जिसका परिणाम है उनकी पहली पुस्तक सन 2012 में (मनोवैज्ञानिक एंव परीक्षण) को अग्रवाल पब्लिकेशन आगरा ने प्रकाशित किया दूसरी किताब ( प्रयोगात्मक विधियाँ एवं सांखिकी ) 2013 में ग्रीन लिफ़ पब्लिकेशन वाराणसी से प्रकाशित हुई और एक सप्ताह पूर्व तीसरी किताब (व्यक्तित्व का मनोविज्ञानं) को अग्रवाल पब्लिकेशन आगरा ने प्रकाशित किया है।
behtareen
जवाब देंहटाएंmahilao k lye preranashrot hai, is behtarin mukam tak pahuchane k liye inki sangharsh kshamata ko salam karta hu
जवाब देंहटाएं