वहां क्या ढूढते हो अपना ,दो गज जमीं ही काफी है
https://www.shirazehind.com/2013/08/blog-post_9.html
जितना छेड़ोगे आसमां,जमी पर होगी उतनी ही सितम
वहां क्या ढूढते हो अपना ,दो गज जमीं ही काफी है
कभी तारो से खेलते हो , कभी चांद तक पहुंचते हों
बताओं काम क्या उनसें ,नमन करके ही हट जाओं
छेड़ों ना उन्हे इतना ,कि धरती पर प्रलय आ जाये
जितना छेड़ोगे आसमां ,जमी पर होगी उतनी ही सितम
वहां क्या ढूढते हो अपना ,दो गज जमीं ही काफी है।
संदीप गुप्ता तेजीबाजार ,जौनपुर
वहां क्या ढूढते हो अपना ,दो गज जमीं ही काफी है
कभी तारो से खेलते हो , कभी चांद तक पहुंचते हों
बताओं काम क्या उनसें ,नमन करके ही हट जाओं
छेड़ों ना उन्हे इतना ,कि धरती पर प्रलय आ जाये
जितना छेड़ोगे आसमां ,जमी पर होगी उतनी ही सितम
वहां क्या ढूढते हो अपना ,दो गज जमीं ही काफी है।
संदीप गुप्ता तेजीबाजार ,जौनपुर