लालापुर ड्रेन किसानों के लिए अभिशाप
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क्षेत्र के सुइथाकलां, कटघर गांव के बीच स्थित हिनौती ताल प्रति वर्ष झील में तब्दील हो जाती है। इस ताल में ज्यादातर मध्यम व लघु सीमान्त किसानों के खेत हैं। पैदावार की दृष्टि से इतनी उपजाऊ मिट्टी शायद ही क्षेत्र में कहीं हो। किसान केदार यादव के अनुसार समस्या पहले से ही थी पर जब से लालापुर ड्रेन आधी-अधूरी खोदकर इस 'ताल' में छोड़ दी गई तब से समस्या 'कोढ़ में खाज' बन गई। विनय सिंह के मुताबिक जिस वर्ष प्री मानसून की बारिश हल्की होती है, अच्छी पैदावार होती है, पर जिस वर्ष शुरुआत में अधिक वर्षा हुई एक इंच रोपाई नहीं हो पाती। आद्या पांडेय के अनुसार रोपाई का समय बीतने को है लेकिन अभी तक हम खेतों में नर्सरी की रखवाली कर रहे हैं। खेतों में पानी घटने का नाम ही नहीं ले रहा है। सुरेन्द्र सिंह के अनुसार सिर्फ समस्या धान की फसल की ही नहीं है, जल जमाव की वजह से रबी की बुवाई भी पिछड़ जाती है।
..जब जिला मुख्यालय तक पहुंचे थे किसान
हिनौती ताल में जल जमाव की समस्या लेकर भारी संख्या में किसान जिला मुख्यालय पहुंचे थे। वर्ष 2007 में तत्कालीन सांसद पारसनाथ यादव के प्रयास से समस्या रामनगर-भगासा मार्ग पर पुल बनने से दूर हुई थी। पर कुछ वर्षो बाद लालापुर ड्रेन की वजह से समस्या जस की तस हो गई।
बूढ़ूपुर ड्रेन तक खुदाई हो तो बने बात
किसानों का कहना है कि लालापुर ड्रेन को आगे बुढूपुर ड्रेन से जोड़ा जाय तभी हमेशा के लिए समस्या खत्म होगी। इस संबंध में स्थानीय विधायक से बात की गई है। यदि स्थानीय स्तर से समस्या हल नहीं हुई तो आगे की रणनीति तय होगी।
इन गांवों के किसान हैं प्रभावित
हिनौती ताल में जल जमाव से प्रमुख रूप से कटघर, रामनगर, करीमपुर बिंद, छितमपट्टी, शेरवाहीं, चौहान का पूरा, सुइथाकलां समेत कुछ अन्य गांवों के किसान प्रभावित होते हैं।