इतिहास के पन्नो पर पहुंच गयी डोलियां
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चलो रे डोली उठाओं कहार पिया मिलन की ऋतु आयी। अब ये गाने और डोली, सिनेमा और किताबों में ही दिखाई पड़ती हैं। तेजी से बदलते जमाने ने जहां हमारी संस्कृति पर कुठाराघात किया है वही प्राचीन परम्परा को किस्से कहानियां और इतिहास के पन्नो पर पहंुचा दिया हैं। इसी में से एक हैं डोली और कहार। तीन दषक पूर्व तक वैवाहिक जीवन में प्रवेष करने के लिए दूल्हे डोली में सवार होकर जाते थे और शादी की रस्म पूरी होने के बाद दूल्हन उसी डोली में बिदा होकर ससुराल आती थी। लेकिन इस आधुनिकता के बदलते दौर में दूल्हे के जोड़े जामे की जगह सूट और शेरवानी ने ले लिया और डोली की जगह लग्जरी गाडि़यों ने ले लिया है। ऐसी स्थिति में अब डोलियां इतिहास के पन्नो पर पहुंच गयी और कहार रोजी रोटी की जुगाड़ में महानगरों का रास्ता पकड़ लिया हैं।
एक विचारणीय पोस्ट ....आप अपना यह प्रयास यूँ ही जारी रखें ...आपका आभार
जवाब देंहटाएंकृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...
जवाब देंहटाएंवर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
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