मेलों के मौसम में गट्टा बनाने की कवायद जारी

 

जौनपुर। मछलीशहर के ग्रामीण इलाकों में इस समय किसी न किसी गांव में मेला जरूर लग रहा है। विजयदशमी के बाद ग्रामीण इलाकों में जैसे जैसे आगे पीछे गांवों का रामलीला शुरू होता है वैसे ही आगे पीछे इन गांवों मेला लगता रहता है यह सिलसिला दीपावली तक जारी रहता है। क्षेत्र के बामी, कठार, खरूआंवा, तिलौरा,लासा,खजुरहट आदि अनेक गांवों का मेला बाकी है। मेलों में सबसे ज्यादा जिस मिठाई की खरीदारी होती है वह है गट्टे की।इसकी मांग को देखते हुए ग्रामीण बाजारों में मिठाई बनाने वाले गट्टा बनाने में जुटे हुए हैं। यह विकास खंड मछलीशहर के अदारी गांव का दृश्य है जहां गट्टा बनाने की कवायद जारी है। जिसके लिए गट्टा बनाने के लिए पेड़ों की खूंटी पर खिचाई का कार्य किया जा रहा है। खिचाई में जुटे लोगों ने बताया कि 15 से 20 मिनट तक खिंचाई करने से गट्टे में सफेदी आ जाती है। बाद में इसे छोटे छोटे टुकड़ों में बांटकर सुखा दिया जाता है। गट्टे की मेलों में अधिक मांग के सम्बन्ध में बामी गांव निवासी रविन्दर सिंह कहते हैं कि गट्टा एक ऐसी मिठाई है जो कई महीनों तक सुरक्षित रहती है जिसके चलते मेलों में हर घर में दस पांच किलोग्राम तक गट्टे की खरीदारी की जाती है जबकि अन्य मिठाईयां सप्ताह भर के अन्दर ही खराब हो जाती हैं।

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