इजराइल फिलिस्तीन व अरब देश की समस्या का जड़ क्या है?

डा. दिलीप सिंह एडवोकेट

अरब प्रायद्वीप में भूमध्य सागर के किनारे पर स्थित फिलिस्तीन इजरायल का जन्म 1948 में हुआ जो लगभग उसी तरह है जैसे कि भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश का 1947 में जन्म हुआ। इजराइल का जन्म यूरोप और अमेरिका की देन है जिस तरह भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश का जन्म इंग्लैंड की देन है। इस प्रकार भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इजराइल, फिलिस्तीन, हमज, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन और मिस्र का संघर्ष लगभग एक जैसा है। प्राचीन काल में यहूदी एक शक्तिशाली साम्राज्य था। जब केवल सनातन धर्म के अलावा दुनिया में और कोई भी धर्म नहीं था। इनका इतिहास 4000 वर्ष से भी अधिक पुराना है जबकि मुस्लिम धर्म को जन्म लिए मुश्किल से 1500 वर्ष हुआ है और ईसाई धर्म के जन्म को भी 2000 वर्ष से कुछ ही अधिक समय हुआ है जबकि सनातन धर्म सनातन है और आदिकाल से है जिसका करोड़ों वर्षों का लिखित इतिहास है।

क्या है इसराइल और मुस्लिम देशों के संघर्ष की जड़?
इसराइल प्राचीन काल में एक शक्तिशाली साम्राज्य था जिसका नाम याकूब था और ऐसा माना जाता है कि जो सनातनी लोग द्वारिका के विनाश के बाद समुद्र के रास्ते इसराइल अरब देशों और मिस्र में फैल गए थे। उन्होंने ही यहूदी धर्म काअलग हटकर देशकाल परिस्थितियों के अनुसार विकास किया जिसके आधिकांश तत्कालीन धर्म ग्रंथ अब विलुप्त हो चुके हैं लेकिन इसराइल देश की हिब्रू भाषा उनका रहन-सहन उनके मंदिर और संस्कारों में हमें सनातन धर्म की झलक मिलती है। कालांतर में इन पर रोमन और ऑटोमन साम्राज्य ने कब्जा करके इसराइल लोगों को तीतर बितर कर दिया और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर द्वारा संदेह के आधार पर 60 लाख यहूदी लोगों का सामूहिक नरसंहार किया गया तब यह लोग खानाबदोश जीवन व्यतीत करते हुए यूरोप अमेरिका और भारत तथा पूरी दुनिया में फैल गया लेकिन अपने इतिहास और भाषा को भी भूल नहीं पाये। मुस्लिम साम्राज्य और मुस्लिम धर्म के उदय होने पर धीरे-धीरे संपूर्ण अरब प्रायद्वीप और अफ्रीका सहित 56 देश पर मुस्लिम लोगों का कब्जा हो गया और इसराइल को भी इन्होंने कब्जा कर लिया।

द्वितीय विश्व युद्ध व फिलिस्तीन और इजराइल का जन्म
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संसार की परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गयीं। वह ब्रिटिश साम्राज्य जिसने छल, बल, साम, दाम, दण्ड और भेद द्वारा दुनिया के बड़े भाग पर कब्जा जमा रखा था और उसके साम्राज्य का सूरज नहीं डूबता था वह बेहद कमजोर हो गया। जर्मनी जापान इटली भी काफी कमजोर हो गये और विश्व शक्ति का संतुलन रूस और अमेरिका के बीच में बट गया तब यूरोप और अमेरिका ने मिलकर दुनिया भर में फैले हुए यहूदी लोगों के लिए भूमध्य सागर के किनारे इसराइल नामक राज्य की 1948 में स्थापना किया और दुनिया भर के यहूदी वहां पर आने लगे इसके माध्यम से यूरोप और अमेरिका का लक्ष्य अरब प्रायद्वीप सहित चीन भारत और अफ्रीका पर नियंत्रण स्थापित करना था। अरब इजरायल संघर्ष और इजरायल की शक्तियों और क्षेत्र का लगातार विस्तार भूमध्य सागर पर छोटा सा इजराइल देश बनाना अरब देशों को स्वीकार नहीं हुआ। आपस में लड़कर कट करने के बाद भी सारे अरब देश उसे समय इसराइल पर धावा बोल दिये जबकि इजराइल का अभी जन्म ही ठीक से नहीं हुआ था। एक तरफ नन्हा सा इसराइल जहां केवल कुछ लाख लोग थे और दूसरी तरफ सारे अरब देश और दुनिया भर के मुसलमान एक साथ मिलकर लड़े थे, फिर भी भयानक जिजीविषा का प्रर्दशन करते हुए संसाधन विहीन इजरायल ने निर्णायक विजय प्राप्त किया।

मुस्लिम साम्राज्य का छल छिपा हुआ है गाजा पट्टी में
अगर मुस्लिम देश चाहते तो लगभग 500 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में पहले गजब पट्टी की जगह ईरान इराक सऊदी अरब के सीमा पर हजार वर्ग किलोमीटर का एक देश बनकर फिलिस्तीन और गाजा पट्टी के मुसलमान को आराम से वहां पर बसाकर शरण दे सकते थे लेकिन अपने विस्तारवादी नीति के कारण वह ऐसा नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसराइल को मिटाने के लिए फिलिस्तीन और गाजा पट्टी तथा आतंकवादी संगठनों का बड़ी ही चालाकी और क्रूरता से इस्तेमाल कर रहे हैं। यही कारण है कि भयानक से भयानक विपत्ति आने पर भी कोई मुस्लिम अपने हम मुस्लिम शरणार्थियों को शरण नहीं देता है, बल्कि यह सब एक अत्यंत ही शैतानी योजना के अंतर्गत अत्यंत ही मक्कारी के साथ उन देशों में शरण लेते हैं जहां मुसलमान नहीं होते हैं। इसी के चलते हुए भारत  यूरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया तक फैलकर अब सबके लिए खतरा बन गए हैं, अन्यथा यह समस्या कब की हाल हो गई होती और यह हल हो भी नहीं सकती है। इसके बाद हुए हर युद्ध में इजरायल का विस्तार होता गया भारत और इजराइल इमेज केवल एक समानता है कि दोनों का जन्मदाता साथ हुआ लेकिन यहां पर इजराइल में अपने जन्म के बाद लगातार आपने भूभाग का विस्तार करके सही गुना बड़ा दिया। वहीं भारत ने अपने जन्म के बाद काफी भूभाग शत्रु के हाथ हारकर गवां दिया। 1967 और 1973 फिर 2000 और 2005 2012 2015 और 2023 में जो वर्तमान में भीषण युद्ध हो रहा है। इसराइल हमेशा एक विजेता की तरह उभरा और अपने को और भी शक्तिशाली  सिद्ध कर दिया।

वर्तमान इजरायल गाजा पट्टी हमाज व वेस्ट बैंक
1948 में इजराइल का क्षेत्रफल मुश्किल से कुछ 100 वर्ग किलोमीटर था लेकिन आज हजारों वर्ग किलोमीटर में फैल चुका है। मुसलमान की आबादी है जो 4 से लेकर 10 किलोमीटर चौड़ी और 40 किलोमीटर लंबी है। वेस्ट बैंक और फिलिस्तीन भी खाने के लिए अलग देश है लेकिन जल, थल और नभ का नियंत्रण इजरायल के हाथ में ही है। वर्तमान में इजरायल की लगभग 1 करोड़ जनसंख्या में 20 लाख मुसलमान है। अर्थात भारत की तरह यहां भी 20% मुस्लिम रहते हैं। यही लोग सभी समस्याओं की जड़ हैं जबकि गजब पट्टी के छोटे से इलाके में 25 लाख मुसलमान रहते हैं। पहले यहां या फिर अराफात के नेतृत्व में फिलीस्तीन मुक्ति संगठन अब देश और मुसलमान देशों के सहयोग से बनाया गया जिसे मानता नहीं मिली। वर्तमान में फिलिस्तीन और गजब पट्टी का वास्तविक नियंत्रण समाज नामक आतंकवादी संगठन के हाथ में है जिसमें मोहम्मद अब्बासी प्रधानमंत्री नाम मात्र के हैं। इस समाज नामक आतंकवादी संगठन को दुनिया भर के मुस्लिम आतंकवादी संगठन और हर मुसलमान का समर्थन प्राप्त है। यही कारण है कि हम आज आतंकवादियों द्वारा इजराइल में घुसकर हजारों लोगों का कत्लेआम बर्बर दिल दहला देने वाला भयानक नरसंहार सामूहिक बलात्कार अपहरण लूटपाट होते हुए भी हर देश जो मुस्लिम है। हर नागरिक जो मुसलमान है, समाज आतंकवादियों के समर्थन में दुनिया भर में प्रदर्शन कर रहा है।

हमाज द्वारा 2023 का नरसंहार व इजरायल की भयानक बदले की प्रतिक्रिया
उस समय पूरी दुनिया स्तब्ध रह गई जब 7 अक्टूबर 2023 को वार्षिक समारोह मना रहे यहूदी लोगों पर हमज नामक आतंकवादी संगठन ने ईरान और सभी मुस्लिम देश के इशारे पर एक साथ 5000 रॉकेट एक ही साथ दागकर भीषण नरसंहार किया और हजारों आतंकवादियों ने इसराइल में घुसकर सड़कों पर मौत का नंगा नाच किया। महिलाओं से सड़कों पर बलात्कार किया। उनकी वीडियो बनाई और अत्यंत ही भयानक वीडियो जिसको देखा नहीं जा सकता। पूरी दुनिया में फैलाया और जानवरों की तरह सैकड़ों लोगों को बंधक बनाकर गाजा पट्टी में ले गये। इसके बाद इजरायल ने जब जवाबी कार्यवाही किया तब चारों ओर हाहाकार मच गया। छप्पन मुस्लिम देश की सहायता और हिजबुल्ला जैसे आतंकवादियों के मदद के बाद भी समाज और गजा पट्टी पूरी तरह से मिटने के कगार पर पहुंच गया है। सबसे आश्चर्य की बात है कि दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन और संयुक्त राष्ट्र संघ समाज आतंकी और हिसबुल्ला की शैतानी कार्यवाही का जरा भी विरोध नहीं कर रहे हैं। उनको केवल इजरायल द्वारा अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए की गई कार्यवाही नजर आ रही है। इसी के चलते हुए युद्ध विराम और निंदा प्रस्ताव मुस्लिम देश के अथक परिश्रम से संयुक्त राष्ट्र संघ में पारित किया गया जिस पर आग बबूला होकर इजरायल के प्रतिनिधि ने उसे प्रस्ताव को ही खुलेआम फाड़कर फेंक दिया। आखिर सारी दुनिया इसराइल और में फिलीस्तीन के नरसंहार को दोहरी दृष्टि से क्यों देख रही है?

इजराइल, फिलिस्तीन व अरब देशों के संघर्ष का मुख्य कारण
पूरी दुनिया जानती है कि लगभग 1500 वर्ष पहले मुस्लिम धर्म के अस्तित्व में आने के बाद सारी दुनिया के धर्म संस्कृति और सभ्यता के मिटाने का भयानक खतरा पैदा हो गया है या ऐतिहासिक और सार्वत्रिक सत्य है। 56 मुस्लिम देश जो बने हैं वह सभी स्वतंत्र देश थे जहां पहले हिंदू अर्थात सनातनी जैन बौद्ध सिख यहूदी पारसी या फिर ईसाई लोग थे। कहीं भी किसी भी स्थान पर एक भी मुसलमान के बस जाने का अर्थ होता है या तो उनको मिटा दो या फिर मिटाने के लिए तैयार हो जाओ। समय चाहे जितना लगे, भारत में इसी का अनुसरण करते हुए हजारों गजा पट्टी बन चुकी हैं और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में नियम कानून संविधान केवल दिखाने भर के लिए है। अधिकांश स्थानों में तो पूरा मुस्लिम देशों की तरह नमाज शुक्रवार के दिन छुट्टियां और सारा ढांचा ही इस्लामी हो गया है। अरब देशों के एकजुट संघर्ष और पूरी दुनिया के मुसलमान द्वारा गजपति को समर्थन देने और फिलीस्तीन को हर संभव मदद देने के कारण अमेरिका, यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश इसराइल के लिए वचनबद्ध हैं, अन्यथा इजराइल का नाम ही अब तक मानचित्र से मिट गया होता। यूरोपीय और अमेरिकी देश चाहते हैं कि इजरायल एक प्रतिरोधी शक्ति बनकर अरब देशों का शक्ति संतुलन करें और उनसे लड़ने में अरब देशों की ऊर्जा बर्बाद हो। इसके अलावा रूस, चीन, अमेरिका जैसी महाशक्तियां अरबों—खरबों डॉलर का हथियार बेचकर अपना खजाना भी भर रही है। बदले में अरब देशों से तेल पेट्रोलियम गैस और इजराइल से उन्नत टेक्नोलॉजी ले रही है।
अरब देश इजराइल से विजय क्यों नहीं प्राप्त कर पा रहे हैंत्र अरब देश चारों ओर से इसराइल को घेरे हुए हैं। केवल एक तरफ समुद्र है दक्षिण में मिश्र यहूदियों का कतर देश है और खुद भी मुस्लिम देश है। कभी पूरी तरह ईसाई धर्म मानने वाला लेबनान आज खुद ही मुस्लिम देश बन चुका है। आर्मेनिया, अज़रबैजान, बोशनिया, हरजगोबिनिया, कश्मीर जैसे देशों का अस्तित्व मिटकर उन्हें पूरी तरह मुस्लिम बन चुका है। भारत की स्थिति इजराइल से भी भयानक है, क्योंकि भारत के पास तो प्रतिरोधी कार्यवाही करने की क्षमता और दृढ़ इच्छा शक्ति भी नहीं है। पूरी दुनिया में कोई भी देश इसराइल और अरब के संघर्ष को रोकना नहीं चाहता। यह संजोग की बात है कि इस समय अगुआ की भूमिका में ईरान है जो शिया देश है और जिसका सुन्नी लोगों से घनघोर संघर्ष जारी है। देखना है कि कब तक उसको अरब के देश अपना अगुआ स्वीकार करते हैं। एक बात अवश्य है कि शिया सुन्नी, कुनबी, अंसारी, मौलवी सहित तमाम मुस्लिम जातियां जनजातियां बाहरी लोगों से लड़ने के लिए हमेशा एक हो जाती है। यही उनकी ताकत है और बाकी धर्म और देश की यही कमजोरी है।

मुस्लिम देश व धर्म का इतिहास हिंसा का इतिहास है
लगभग 1500 वर्ष पहले मक्का मदीना से शुरू हुए इस्लामी धर्म की शाखाएं आज कुछ देशों को छोड़कर पूरी दुनिया में फैल चुकी है। यह लोग साम दाम दंड भेद कल बल छल से अपने धर्म को पूरी दुनिया में फैलने के लिए कृत संकल्प है। चाहे इसके लिए खून की नदियां बह जाए चाहे। इसके लिए उन्हें सामूहिक हत्याकांड सामूहिक बलात्कार करना पड़े। चाहे बच्चों और बूढ़ों को मारना पड़े। चाहे औरतों को खुलेआम सड़कों पर बलात्कार करना पड़े लेकिन वह मानने वाले नहीं हैं। उनका मजहब केवल लाभ का मजहब है। कहीं पर दाढ़ी रखकर कहीं पर लुंगी पहनकर तो कहीं पूरी तरह पश्चिम वेशभूषा में रहते हैं। केवल जहां हानि दिखती है, वहां अपने पवित्र धर्म ग्रंथ की अल्लाह और कुरान की दुहाई देने लगते हैं। वरना जितनी हराम की चीज हैं। उनमें से किसी का अनुपालन बहुत ही कम लोग करते हुए दिखाई देते हैं। भारत मुस्लिम हिंसा आक्रमण का सबसे लंबे समय तक शिकार होने वाला देश है। अपने अनगिनत अभूतपूर्व और कल्पना से परे त्याग बलिदान वीरता और लड़ने की अपार क्षमता के कारण आज भी बचा हुआ है लेकिन मुस्लिम लोग आज भी इस देश को इस्लामी देश में बदलने के लिए मन वचन और कर्म से जुटे हुए हैं और उनके इस काम को अंजाम तक पहुंचने में देश के गद्दार देशद्रोही सहायक बन रहे हैं लेकिन इसराइल के लोग अपनी अस्तित्व रक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजरने को तैयार है इसके आगे बड़े से बड़ा हथियार और शैतान से भी भयंकर शैतान हार मानने पर विवश है। यह युद्ध अब और इजराइल का न होकर मुस्लिम धर्म बनाम गैर मुस्लिम धर्म के बीच का युद्ध है जिसकी जान मोहम्मद साहब द्वारा मक्का मदीना में की गई पहले धर्म युद्ध के समान है।
वास्तव में इस समय पूरी दुनिया में मुस्लिम जिहादी चरम पर पहुंच गया है। इस काम को कहीं पर प्रेम से कहीं सूफी संतों द्वारा कहीं पर मस्जिदों इमामबाड़ों द्वारा कहीं पर दरगाह द्वारा कहीं जमीन तो कहीं लव जिहाद द्वारा और अनगिनत प्रकार के जिहाद चलकर पूरा किया जा रहा है। यह ऐतिहासिक और सार्वत्रिक सत्य है कि मुस्लिम धर्म में दया, क्षमा, करुणा, त्याग, परोपकार और एहसान मानने का कहीं कोई संकल्प या विचारधारा नहीं है। आज तक अनगिनत युद्ध हुए लेकिन कहीं भी विजेता मुसलमान ने जीते गये लोगों पर रंच मात्र भी उदारता, करुणा, परोपकार, दया या क्षमता की भावना नहीं दिखाई है। कश्मीर जैसे राज्य में जहां वे हजारों वर्षों तक साथ रहे मजहब का नाम आते ही गाजर मूली की तरह काटकर फेंक दिया और उनके जर जमीन जोरू खेत खलिहान बगीचे गाड़ी भवन सब पर कब्जा कर लिया, बल्कि उसकी मटिया मेट कर दिया है। जघन्य और क्रूर ढंग से हत्याएं करते हुए इनका हाथ नहीं कटता है। वजह चाहे जो हो, अब इस भयानक स्थिति को देखकर यूरोप—अमेरिका के इसी इजरायल के यहूदी और चीन में अमर बांग्लादेश जैसे देश तो अत्यंत सतर्क हो चुके हैं और इनको ठिकाने लगाना शुरू कर दिया है लेकिन भारत जैसे देश विनाश के कगार पर खड़े हैं। वैसे भी दुर्भाग्य से अरब देशों का पेट्रोल समाप्त हो रहा है, इसलिए वह अपनी जड़े भारत जैसे अन्य फल सब्जियां और दुग्ध उत्पादक देश में जमाने के लिए कृत संकल्प है। इनके लिए सभ्यता संस्कृति और अन्य धर्म के आदर सम्मान का कोई महत्व नहीं है। सच यही है कि डर के कारण दुनिया के लोग भले नहीं लिखते हैं। वजह चाहे जो हो लेकिन मुस्लिम धर्म पर अगर सरसों भी गिरती है तो हाहाकार मच जाता है। वही इजरायल, भारत, चीन इत्यादि पर पहाड़ भी गिरता है तो उसकी धमक संयुक्त राष्ट्र संघ सहित किसी को सुनाई नहीं देती है। आज दुनिया भर को मिटाने के लिए और सबको मुसलमान बनाने के लिए एक या दो नहीं 100 या 50 नहीं हजारों आतंकवादी संगठन दिन-रात जुटे हुए हैं जिनको दुनिया के एक-एक मुसलमान का समर्थन प्राप्त है। यह कोई छिपा हुआ सच नहीं है। सारी दुनिया जानती है कि इस्लाम के नाम पर सारी दुनिया के लोग किसी भी देश का नियम कानून संविधान मानने से साफ इनकार कर देंगे।

अरब इजरायल मुस्लिम बनाम गैरमुस्लिम धर्म के संघर्ष का क्या भविष्य होगा?
इसराइल से कभी भी अरब फिलिस्तीन और सारे आतंकवादी संगठन और अन्य मुस्लिम देश मिलकर भी नहीं जीत सकते हैं, क्योंकि दुनिया की प्रत्येक सर्वश्रेष्ठ संसाधनों पर यहूदी मूल के लोगों का कब्जा है। सबसे बड़े वैज्ञानिक सबसे बड़े उद्यमी सबसे बड़े कलाकार सबसे बड़े अन्नवेषक आज भी यहूदी है और दुनिया के सभी शीर्ष पदों पर सबसे अधिक संख्या में बैठे हैं। विज्ञान की दिशा बदल देने वाले अल्बर्ट आइंस्टीन स्वयं एक यहूदी थे। हिटलर का पता नहीं इसीलिए हो गया, क्योंकि उन्होंने यहूदी लोगों का अस्तित्व मिटने की कोशिश किया और अल्बर्ट आइंस्टीन जो एक शांतिप्रिय वैज्ञानिक थे। उन्होंने भयानक परमाणु बम के सिद्धांत को कार्य रूप में परिणत किया और जर्मनी का विनाश हो गया। इस तरह इजराइल की आड़ में सभी गैरमुस्लिम धर्म धीरे-धीरे एक होंगे और पूरी दुनिया में एक भयानक युद्ध और महाभयानक नरसंहार होगा। यह निश्चित है कि गैर मुस्लिम धर्म विजय होंगे और शायद  इस्लाम का अस्तित्व सदैव के लिए समाप्त हो जाएगा, क्योंकि जब तक अरब में पेट्रोलियम और उसे निर्मित पदार्थ है तब तक उसका दोहन अमेरिका यूरोप करते रहेंगे। उसके बाद उसे मटिया मेट कर देंगे। चीन में हमार श्रीलंका जैसे देश पहले ही संभाल चुके हैं और भारत में भी एक अद्भुत पूर्व जन जागरण शुरू हो चुका है।

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