गुरू शिष्य का हमेशा कल्याण चाहता है : योगी देवनाथ
https://www.shirazehind.com/2016/01/blog-post_46.html
जौनपुर। सिपाह स्थित मीनाक्षी उपवन परिसर में चल रहे श्रीमद् भागवत
कथा के सातवें दिन शाम जनसंत योगी देवनाथ महराज ने कहा कि दान देने से धन
कम नही होता अपितु गुरू की कृपा से कई गुना बढ़ता है। उन्होंने बताया कि एक
भिखारी अपनी झोली में दो मूठा चावल डालकर भीख मांगने के लिए निकला। सामने
से राजा आया भिखारी ने सोचा कि राजा से भिक्षा मांगकर ढ़ेर सारा धन प्राप्त
कर लूंगा लेकिन इसके विपरीत राजा रथ से उतरकर भिखारी से ही भिक्षा मांगा।
बहुत मिन्नत के बाद भिखारी ने राजा को एक चावल भिक्षा दिया। राजा उसे लेकर
अपने महल चला गया। भिखारी उस दिन कई गुना चावल भिक्षा में प्राप्त किया। घर
आकर पत्नी को पूरी बात बताई । झोली से चावल जमीन पर गिराने पर पत्नी ने
देखा कि एक चावल सोने का था। भिखारी को बहुत दुःख हुआ कि यदि मैं पूरा चावल
भिक्षा में देता तो सोना हो जाता।
गुरू शिष्य का हमेशा कल्याण चाहता है उसे सद्मार्ग पर चलने का राह दिखाता है। शिष्य गुरू का चयन नही कर सकता है, गुरू ही सही शिष्य का चयन करता है। जैसे धरती जितनी तपती है समुद्र भी उतना ही गर्म होता है जो बादल बनकर धरती की प्यास बुझाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार कुआं प्यासे के पास स्वयं आता है। गुरू तेग बहादुर ने अपने पांच शिष्यों के गर्दन काटकर पुनः जोड़ दिया। उन्होंने शिष्यों को तलवार देकर अपनी गर्दन काटने का निर्देश दिया। शिष्यों ने कहा कि आपके पास काटने एवं जोड़ने का सामर्थ्य है इसलिए हमारे पास जोड़ने की विद्या नही है इसलिए हमें शिष्य रूप में ही स्वीकार करें।
पं0 रजनीकान्त द्विवेदी द्वारा सर्वप्रथम योगी देवनाथ द्वारा गणेश व श्रीमद् भागवत की विधिवत पूजा करायी। दर्जनों भक्तों ने योगी देवनाथ का माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रदीप, अनमोल, ज्ञान, पंकज यादव, प्रीती देवनाथ ने भजन गाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। पं0 रजनीकान्त द्विवेदी के नेतृत्व में सुबह शाम पूजा अर्चन मुख्य यजमान राकेश कुमार श्रीवास्तव धर्मपत्नी किरन श्रीवास्तव द्वारा सम्पन्न हो रहा है। इस अवसर पर श्याम मोहन अग्रवाल, ओम श्रीवास्तव, गीतांजलि के अध्यक्ष गौतम सोनी, ब्रम्हेस शुक्ल , पं0 राजाराम त्रिपाठी, महंत महेन्द्र दास त्यागी, अपर्णा देवनाथ, रवि , जवाहरलाल मौर्य, नन्द गोपाल, अशोक गुप्ता, पद्मा गुप्ता सहित सैकड़ों महिला पुरूष भक्तगण उपस्थित रहे। उक्त जानकारी श्रीनाथ योग प्रचार समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश कुमार श्रीवास्तव ने दी है।
गुरू शिष्य का हमेशा कल्याण चाहता है उसे सद्मार्ग पर चलने का राह दिखाता है। शिष्य गुरू का चयन नही कर सकता है, गुरू ही सही शिष्य का चयन करता है। जैसे धरती जितनी तपती है समुद्र भी उतना ही गर्म होता है जो बादल बनकर धरती की प्यास बुझाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार कुआं प्यासे के पास स्वयं आता है। गुरू तेग बहादुर ने अपने पांच शिष्यों के गर्दन काटकर पुनः जोड़ दिया। उन्होंने शिष्यों को तलवार देकर अपनी गर्दन काटने का निर्देश दिया। शिष्यों ने कहा कि आपके पास काटने एवं जोड़ने का सामर्थ्य है इसलिए हमारे पास जोड़ने की विद्या नही है इसलिए हमें शिष्य रूप में ही स्वीकार करें।
पं0 रजनीकान्त द्विवेदी द्वारा सर्वप्रथम योगी देवनाथ द्वारा गणेश व श्रीमद् भागवत की विधिवत पूजा करायी। दर्जनों भक्तों ने योगी देवनाथ का माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया। प्रदीप, अनमोल, ज्ञान, पंकज यादव, प्रीती देवनाथ ने भजन गाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। पं0 रजनीकान्त द्विवेदी के नेतृत्व में सुबह शाम पूजा अर्चन मुख्य यजमान राकेश कुमार श्रीवास्तव धर्मपत्नी किरन श्रीवास्तव द्वारा सम्पन्न हो रहा है। इस अवसर पर श्याम मोहन अग्रवाल, ओम श्रीवास्तव, गीतांजलि के अध्यक्ष गौतम सोनी, ब्रम्हेस शुक्ल , पं0 राजाराम त्रिपाठी, महंत महेन्द्र दास त्यागी, अपर्णा देवनाथ, रवि , जवाहरलाल मौर्य, नन्द गोपाल, अशोक गुप्ता, पद्मा गुप्ता सहित सैकड़ों महिला पुरूष भक्तगण उपस्थित रहे। उक्त जानकारी श्रीनाथ योग प्रचार समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश कुमार श्रीवास्तव ने दी है।