ये स्मार्ट सिटी ना हो कही एक सुनहरा सपना |
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जौनपुर बने स्मार्ट सिटी -एक सुनहरा सपना या केवल झून झुना |-- लेखक --एस एम मासूम
स्मार्ट सिटी प्रॉजेक्ट पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया मिशन का अहम हिस्सा है। पीएम मोदी चाहते हैं कि ऐसी स्मार्ट सिटी बसाई जाए जहां 24 घंटे आवश्यक सेवाएं नागरिकों को उपलब्ध हो, लोगों को टेक्नोलॉजी आधारित गवर्नेंस मिले और सर्विसेज की कड़ी निगरानी की जाए। इसके अलावा स्मार्ट सिटी में वाई-फाई जोन और मनोरंजन के स्थलों समेत हाई क्वॉलिटी का सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराना भी सरकार की योजना में शामिल है। योजनाकारों का पूरा फोकस है। स्मार्ट लिविंग। स्मार्ट पीपुल्स । स्मार्ट एन्वायरमेंट। स्मार्ट इकोनामी। स्मार्ट गवर्नेंस। स्मार्ट शहर मिशन के तहत चुने गए शहर को पांच साल तक 100 करोड़ रुपये सालाना केंद्रीय सहायता मिलेगी। इस योजना पर गंभीरता से अमल किया गया तो अगले दस सालों में उत्तर प्रदेश में वाराणसी समेत सर्वाधिक 13 स्मार्ट सिटी तैयार होंगे।
आज जौनपुर के लोगो मे एक जोश देखा जा रहा है कि जौनपुर भी स्मार्ट सिटी की लिस्ट मे चुन लिया जाय | स्मार्ट सिटी बनते ही जौनपुर की तस्वीर बदल जाएगी। शहर का विकास तो होगा ही आधारभूत संरचना का भी विकास होगा। नाली, सड़क की स्थिति में सुधार होगा। गंदगी से राहत मिलेगी। सड़क और जलापूर्ति व्यवस्था में सुधार होगा।
और जोश क्यू न हो ? जौनपुर की जनता आज वर्षो से कभी इस सरकार कभी उस सरकार के पास जाती रही है केवल इस आशा मे कि जौनपुर का कोई तो विकास करेगा पानी, बिजली, सड़क और चिकित्सा की समस्या को हल करेगा लेकिन नतीजा आज तक कूछ नही निकला |
जिस शहर में सात मिलीमीटर बरसात होने से सड़कों पर पानी भर जाता हो और सडको पे चारो तरफ नाली की गंदगी फैल जाती हो । प्रदूषित पानी नलों के जरिए घरों में जाता हो। लोग इस पानी को पीकर बीमार पड़ते हों। जनप्रतिनिधियों के मुंह बंद रहते हो वहा के लोग आखिर इस स्मार्ट सिटी के सुनहरे सपने के पीछे क्यू नही भागते नजर आयेंगे ?
जिस शहर मे पार्किंग ,सडक जाम और गंदगी की समस्या विकराल हो गई हो। जहां डी एम को खुद
जहां सालभर रखरखाव के नाम पर कटौती होती रहे। फिर भी हवा के झोंके से बिजली गुल हो जाए। बरसात के बाद हफ्तो लोग अंधेरे में डूबे रहें। वहा के लोग आखिर इस स्मार्ट सिटी के सुनहरे सपने के पीछे क्यू नही भागते नजर आयेंगे ?
जहा हो स्कूलों के हाल बेहाल। अस्पताल बबदहाल। झोला छाप डॉक्टर सडको पे आराम से लगाते हो दुकान यूनिवर्सिटी का भगवान ही मालिक। वहा के लोग आखिर इस स्मार्ट सिटी के सुनहरे सपने के पीछे क्यू नही भागते नजर आयेंगे ?
जिस शहर मे चिकित्सा सुविधा का यह हो हाल कि डॉक्टर और अस्पताल पूरे शहर मे कुकुरमुत्ते की तरह फैल गये हो लेकिन मरीज को दो चार दिन के बाद हालत बिगडने पे बनारस या लखनउ का रास्ता बता दिया जाता हो वहा के लोग आखिर इस स्मार्ट सिटी के सुनहरे सपने के पीछे क्यू नही भागते नजर आयेंगे ?
तो ऐसे हालात में अपना शहर स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल हो गया है। योजनाकारों का पूरा फोकस है। स्मार्ट लिविंग। स्मार्ट पीपुल्स । स्मार्ट एन्वायरमेंट। स्मार्ट इकोनामी। स्मार्ट गवर्नेंस। । अगर स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला तो हर साल दो सौ करोड़ मिलेंगे विकास के लिए। खर्च तो अब भी सैकड़ों करोड़ हो रहे हैं। पर स्मार्टनेस नहीं आ रही।
सब लगे हैं शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिलाने में ,सारे लोग स्मार्ट शहर के दर्जे के लिए उतावले हैं | चलिये अभी तक जौनपुर को राजाओं ने बसाया, सरकारों ने बसाया, अतिक्रमण करने वालो ने बसाया ,अब बाहरी कंपनियां शहर बसायेंगी।
ध्यान रहे इन स्मार्ट सिटी ने चीन मे बहुत से भूतहे शहर भी दिये है जहां सारी सुख सुविधा के बाद भी जीवन नही रहा | बडे शहरो मे हमारे देश के बडे बडे बिल्डर भी स्मार्ट सिटी बनाते है और वो बन भी जाते है लेकिन इन सिटी मे सडक किनारे प्रेस वाले, बनिये की दुकान इत्यादी के लिये भी जगह हुआ करती है |
हम जौनपुरी है भाई प्रक्रती की गोद मे पलने वाले | हमारी पानी, बिजली, सड़क , रोजगार और चिकित्सा की समस्या को हलकर दो बस | हम इतने मे ही खुश है | इतना तो हमारी सरकारे यदि चाह जाये तो खुद कर सकती है जो १०-१५ साल के इंतेजार के बाद मिलने वाले स्मार्ट सिटी से बेहतर होगा |
चलिये अगर कुछ नही हो सकता मौजूदा सरकार से तो ये स्मार्ट सिटी के झुनझुने कि आवाज मे सुनहरे सपने ही देखते है आखिर कुछ ना होने से तो अच्छा ही है | और भाई सपने भी तो कभी कभी सच हो जाया करते है |