किष्किंधा से आए दोनों मणिधारी नागराज सगे भाई हैं
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वाराणसी । नागपंचमी के एक दिन पहले अस्सी स्थित रामजानकी मठ में
गुरु राजकुमार ने मंत्रों की शक्ति के जरिए हजारों साल पुराने दो नागराजों
को बुलाया। रामकुमार दास जी का दावा है कि किष्किंधा से आए दोनों मणिधारी
नागराज सगे भाई हैं। उनका ये भी कहना है कि दोनों नागराज उनसे बात करते हैं
और उनकी बातों को मानते भी हैं। उन्होंने बताया कि ये मणिधारी नागराज हैं,
जो मंत्रों के आह्वान और सिद्धि के दम पर पृथ्वी लोक पर आए हैं।
गुरु राजकुमार दास का दावा है कि ये नागदेवता कहीं से पकड़े नहीं गए
है। इन्हें तप और मंत्रों की शक्ति से दुनिया में दूसरी बार बुलाया गया है।
इस चमत्कार को देख भक्त इसे महादेव की कृपा मान रहे हैं। उन्होंने बताया
कि नागराजों को बुलाने की इस पूरी प्रक्रिया को मंडल कहा जाता है।
पंजाबी भगवान के शिष्य महंत राजकुमार दास ने बताया कि दो नागदेवों को
कई वर्षों तक तप और मंत्र की शक्ति से नागराजों के मंडल का आह्वान किया गया
है। इन नागों कि आयु पांच हजार साल से भी ज्यादा है। मंडल वो प्रक्रिया
है, जिसमें प्रभु से आज्ञा लेने के बाद घोर तपस्या करना पड़ता है। मंडल में
दो नाग ही आह्वान के दौरान इस बुलाए जाते हैं। पृथ्वी पर पंजाबी भगवान ने
सैकड़ों साल पहले ऐसा किया था। ये तीसरी बार है, जब इतनी आयु के नागराज धरती
पर अवतरित हुए हैं। राजकुमार दास ने बताया कि नागों के प्रकट होने और
अदृश्य होने को कोई नहीं देख सकता। बर्तन में गुलाब की पंखुड़ियों से भरे एक
बड़े से भगोने में एक के बाद एक, दो नाग देवता प्रकट हुए।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शनिवासरीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंरहस्य और रोमांचकारी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकाश कि आज गिरते मानव स्तर में इंसानियत का संचार कर पाती ऐसी शक्तियां..
rhnksssss ravikar ji & kavita ji
जवाब देंहटाएंअदभुत।
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