वाराणसी के झिल्लू यादव ने कसाब को चटा दी थी धूल!
https://www.shirazehind.com/2013/11/blog-post_36.html
वाराणसी. 26/11 की आतंकी घटना को देश कभी भूल नहीं सकता। काले
नासूर के रूप में काला इतिहास बनकर वह मंजर हमेशा जिंदा रहेगा। मुम्बई का
छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन उस दिन आतंकी कसाब और उसके साथियों के
गोलियों से लहूलुहान हो चुका था।
चलती गोलियों के बीच एक शक्स ने दिलेरी दिखाते हुए अजमल कसाब को
कुर्सी दे मारी थी। आतंकी कसाब और उसके साथी दो कदम पीछे की ओर भाग गए। सेफ
पोजीशन से आतंकी कसाब ने उस युवक पर AK47 से 15 राउंड गोलियां झोक दी। तो
उसने साथी की बंदूक छीनकर कसाब पर फायर झोंक दिया। आतंकी वहां से भाग खड़े
हुए।
अजमल कसाब को खदेड़ना वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि वाराणसी के मोहाव
गांव का आरपीएफ जवान झिल्लू यादव हैं। जो स्टेशन पर उस वक्त आतंकी अजमल
कसाब से मोर्चा ले रहा था। आरपीएफ जवान झिल्लू यादव इस समय वैवाहिक कार्यक्रम में शामिल होने गांव
पहुंचे हैं। उन्होंने 26/11 की पूरी घटना को बयां किया।
उन्होंने बताया कि आतंकी स्टेशन को मानो कब्रिस्तान बना देना चाहते थे।
झिल्लू यादव ने बताया कि उनकी तैनाती उस समय वहीं थी और अचानक गोलियों की आवाज के साथ लोगों की चीख गुजने लगी। हर ओर लाशे बिखरने लगी, तभी दो आतंकियों से उनका सामना हुआ। निहत्था होने के कारण जब कसाब मासूमों पर फायर कर रहा था, तो उन्होंने उसे कुर्सी खींचकर मारी।
वह कुछ पलों के लिए भाग खड़ा हुआ। फिर अचानक AK47 से कसाब ने उनपर 15 राउंड से ज्यादा गोलियां चलाईं। फिर वह आसानी से दीवार की आड़ में हो गए। पास में उनका साथी खड़ा था, उसे उन्होंने फायर करने के लिए बोला लेकिन वह डर गया था। फिर साथी से उन्होंने 303 बोर की रायफल को छीन कर फायर करना शुरू कर दिया। गोली ज्यादा न होने के कारण चालाकी से फायर किया। कसाब को जरूर उस समय यह लगा होगा जो इंसान कुर्सी से वार कर सकता है उसके पास अब बंदूक है।
झिल्लू यादव ने बताया कि उनकी तैनाती उस समय वहीं थी और अचानक गोलियों की आवाज के साथ लोगों की चीख गुजने लगी। हर ओर लाशे बिखरने लगी, तभी दो आतंकियों से उनका सामना हुआ। निहत्था होने के कारण जब कसाब मासूमों पर फायर कर रहा था, तो उन्होंने उसे कुर्सी खींचकर मारी।
वह कुछ पलों के लिए भाग खड़ा हुआ। फिर अचानक AK47 से कसाब ने उनपर 15 राउंड से ज्यादा गोलियां चलाईं। फिर वह आसानी से दीवार की आड़ में हो गए। पास में उनका साथी खड़ा था, उसे उन्होंने फायर करने के लिए बोला लेकिन वह डर गया था। फिर साथी से उन्होंने 303 बोर की रायफल को छीन कर फायर करना शुरू कर दिया। गोली ज्यादा न होने के कारण चालाकी से फायर किया। कसाब को जरूर उस समय यह लगा होगा जो इंसान कुर्सी से वार कर सकता है उसके पास अब बंदूक है।
जाबाज झिल्लू यादव का कहना है कि दिल में मलाल रह गया कि अजमल उनकी गोली से बच गया था। लेकिन वह खुश हैं कि अजमल को फांसी दी गई।
उनको अदम्य साहस के लिए राष्ट्रपति की ओर से पुरस्कार भी दिया गया है। गांवों में वह सबके लिए आदर्श के रूप में हैं।
shubhkmanyen-
जवाब देंहटाएंझिल्लू यादव को नमन, दे कसाब को रोक |
हटाएंपहले कुर्सी फेंकता, फिर दे फायर झोंक |
फिर दे फायर झोंक, राष्ट्रपति पदक दिए थे |
साधुवाद हे वीर, बड़े उपकार किये थे |
तेरे जैसे शेर, मार देंगे ये पिल्लू |
खत्म होय आतंक, अगर होवे इक झिल्लू ||